किम्‍बर्ले प्रक्रिया की अंतरसत्रीय बैठक 2019 मुंबई में

नयी दिल्ली- किम्बर्ले प्रक्रिया की अंतरसत्रीय बैठक का आयोजन 17 से 21 जून तक मुंबई में किया जा रहा है। इसमें किम्बर्ले प्रक्रिया प्रमाणन योजना की विभिन्‍न समितियों और कार्य समूहों की बैठकों के अलावा हीरे की शब्‍दावली और खनन- 'छोटे कदम-बड़े परिणाम' पर दो विशेष सत्र भी आयोजित किए जाएंगे। इस पांच दिवसीय बैठक में भारत तथा सदस्‍य देशों के  करीब 300 प्रतिनिधियों के अलावा उद्योग जगत और नागरिक समाज के प्रतिनि‍धि भी हिस्‍सा लेंगे।


भारत और केपीसीएस


भारत केपीसीएस के संस्‍थापक सदस्‍यों में से एक है और वर्ष 2019 में यह केपीसीएस की अध्‍यक्षता कर रहा है। मौजूदा वर्ष के लिए रूसी संघ केपीसीएस का उपाध्‍यक्ष बनाया गया है।   इससे पहले भारत ने 2008 में केपीसीएस की अध्‍यक्षता की थी। विदेश व्‍यापार निदेशालय के महानिदेशक आलोक वर्धन चतुर्वेदी को 2019 के लिए केपीसीएस का अध्‍यक्ष तथा वाणिज्‍य विभाग की आर्थिक सलाहकार रूपा दत्‍ता को इसकी मुख्‍य प्रवक्‍ता नियुक्‍त किया गया है।.


वर्तमान में,केपीसीएस में 55 सदस्‍य 82 देशों का प्रतिनिधित्‍व कर रहे हैं। जिसमें यूरोपीय संघ के 28 सदस्‍य भी शामिल हैं । किम्‍बर्ले  की अध्यक्षता, सदस्‍य देशों को बारी बारी से दी जाती है। इसका उपाध्‍यक्ष आमतौर पर केपी प्‍लेनेरी द्वारा प्रत्येक वर्ष चुना जाता है जो अगले वर्ष अध्‍यक्ष बन जाता है। वर्ष 2003 के बाद से, भारत सक्रिय रूप से केपीसीएस की प्रक्रियाओं में भाग ले रहा है और इसके सभी कार्यकारी समूहों (आर्टिजियन और एलुविएल प्रोडक्‍शन पर कार्य समूह को छोड़कर) का सदस्य है। वाणिज्य विभाग को केपीसीएस का नोडल विभाग बनाया गया है तथा रत्‍न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद् (जीजेईपीसी) 
को भारत में केपीसीएस के आयात और निर्यात प्राधिकरण के रूप में नामित किया गया है।  जीजेईपीसी को केपी प्रमाण पत्र जारी करने का काम दिया गया है साथ ही यह  देश में प्राप्‍त किए जाने वाले केपी प्रमाण पत्रों का संरक्षक भी है।


किम्‍बर्ले प्रक्रिया हीरे के दुरुपयोग को रोकने के लिए कई देशों, उद्योगों और नागरिक समाज की संयुक्त पहल है। यह ऐसे हीरों के व्‍यापार पर अंकुश लगाने की प्रक्रिया है जिनका इस्‍तेमाल विद्रोही गुटों द्वारा  चुनी हुई सरकारों के खिलाफ संघर्ष एवं युद्ध के वित्त पोषण के लिए किया जाता है। इस किस्‍म के हीरों की संयुक्‍त  राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा अलग से व्‍याख्‍या की गई है।


वर्ष 1998, में अफ्रीका में (सिएरा लियोन, अंगोला, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्‍य और लीबिया) कुछ विद्रो‍ही गुटों ने अन्‍य वस्‍तुओं के अलावा इस किस्‍म के हीरों का इस्‍तेमाल चुनी हुई सरकारों के खिलाफ अपने संघर्ष के वित्‍त पोषण के लिए किया था। इस तरह के हीरों के व्‍यापार पर रोक लगाने के लिए विश्‍व के हीरा उद्योग संयुक्‍त राष्‍ट्र, कई देशों की सरकारों और गैर-सरकारी संगठनों ने मिलकर नवम्‍बर, 2002 में स्विट्जरलैंड में किम्‍बर्ले प्रक्रिया उपायों का मसौदा तैयार किया। अब तक 50 से ज्‍यादा देश इसकी पुष्टि कर चुके है। केपीसीएस पहली जनवरी 2003 से प्रभावी हो गया। इसके तहत गलत कार्यों के लिए हीरों के व्‍यापार को रोकने के लिए एक प्रभावी प्रणाली बनाई गई है।


केपीसीएस की कार्य प्रणाली


केपीसीएस के मूल नियमों के अनुसार किम्‍बर्ले प्रक्रिया निम्‍नलिखित 6 कार्य समूहों और सीमितियों द्वारा संचालित की जाती हैं –


·         निगरानी के लिए कार्य समूह (डब्‍ल्‍यूजीएम) – इस कार्य समूह को भागीदार देशों में योजना के क्रियान्‍वयन की निगरानी करने का जिम्‍मा सौंपा गया है। इसके लिए समीक्षा दौरे/अभियान के बाद कार्य समूह अपने सुझाव देता है।


·         आंकड़े इकट्ठा करने वाला कार्य समूह (डब्‍ल्‍यूजीएस)  - यह कार्य समूह सदस्‍य देशों में कच्‍चे हीरों के उत्‍पादन, आयात और निर्यात की आंकड़े एकत्र करता है।


·         हीरा विशेषज्ञों का कार्य समूह (डब्‍ल्‍यूजीडीई) – इसका काम कच्‍चे हीरों के संबंध में विश्‍व सीमा शुल्‍क संगठनों के लिए एक सर्वसम्‍मत कूट प्रणाली विकसित करने में आने वाली तकनीकी अड़चनों के संबंध में सुझाव देना तथा हीरों के मूल्‍यांकन के लिए एक सुगम पद्धति विकसित करने में मदद करना है।


·         हीरों के घरेलू उत्‍पादन पर कार्य समूह (डब्‍ल्‍यूजीएएपी) – यह कार्य समूह घरेलू स्‍तर पर हीरों के उत्‍पादन और व्‍यापार पर प्रभावी नियंत्रण रखना है।


·         भागीदारी और अध्‍यक्षता पर समिति (सीपीसी) – यह समिति किम्‍बर्ले प्रक्रिया के अध्‍यक्ष को नये सदस्‍य देशों को शामिल करने तथा मौजूदा सदस्‍य देशों द्वारा प्रक्रिया की शर्तों का अनुपालन नहीं किये जाने के मामलों में मदद करता है।


·         नियम और प्रक्रियाओं की समिति (सीआरपी) – यह समिति किम्‍बर्ले प्रक्रिया के नियम और तौर-तरीके तय करती है और समय-समय पर उनमें बदलाव भी करती है। .


समीक्षा और सुधारों पर तदर्थ समिति (एएचसीआरआर) इस समिति का गठन ऑस्‍ट्रेलिया  के ब्रिस्‍बेन में 2017 में केपीसीएस के प्‍लीनेरी सत्र में किया गया था। इसकी अध्‍यक्षता भारत ने की थी।


इसकी बैठक में केपीसीएस के मूल दस्‍तावेज समीक्षा की गई थी और केपीसीएस में प्रशासनिक सुधारों और उसके लिए वित्‍तीय मदद के उपायों पर विचार-विमर्श किया गया था। बेल्जियम में 2018 में आयोजित केपीसीएस के प्‍लेनेरी सत्र में भारत ने एएचसीआरआर की अध्‍यक्षता छोड़ दी, ताकि 2019 में केपीसीएस की बैठक की अध्‍यक्षता कर सकें।  


केपीसीएस के तहत कच्‍चे हीरों का व्‍यापार


केपीसीएस की योजना के तहत अन्‍तर्राष्‍ट्रीय सीमाओं के जरिये कच्‍चे हीरों का आयात और निर्यात सील बंद कंटेनरों में किम्‍बर्ले प्रक्रिया प्रमाणपत्र  के साथ किया जाना है। हीरों की कोई भी ऐसी खेप केवल केपीसीएस के भागीदार देशों को ही भेजी जा सकती है। बिना प्रमाणपत्र के कच्‍चे हीरों की कोई भी खेप केपीसीएस के सदस्‍य देशों को नहीं भेजी जा सकती।


किम्‍बर्ले प्रक्रिया की प्लेनेरी बैठक इस साल 11 से 15 नवंबर तक नई दिल्‍ली में आयोजित की जाएगी।


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