प्राचीन भगवान महावीर की खडगासन प्रतिमा का महामस्तकाभिषेक

० आशा पटेल ० 
जयपुर । जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के 2623 वें जन्म कल्याणक महोत्सव के उपलक्ष में राजस्थान जैन सभा जयपुर के तत्वावधान में पहली बार भगवान महावीर की संवत 1148 की प्रतिष्ठित प्राचीन अतिशयकारी खडगासन प्रतिमा के महामस्तकाभिषेक किये गये ।इस मौके पर पूरा मंदिर परिसर भगवान महावीर के जयकारों से गुंजायमान हो उठा। 
सभा के अध्यक्ष सुभाष चन्द जैन एवं महामंत्री मनीष बैद ने बताया कि आचार्य चैत्य सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में राजस्थान जैन सभा जयपुर के तत्वावधान में मंदिर समिति के सहयोग से पहली बार गोपालजी का रास्ता स्थित 215 वर्ष प्राचीन श्री दिगम्बर जैन मंदिर कालाडेरा (महावीर स्वामी ) के मंदिर में भगवान महावीर की संवत 1148 में प्रतिष्ठित अतिशयकारी एवं मनोज्ञ खडगासन प्रतिमा का महामस्तकाभिषेक का विशाल आयोजन हुआ ।

इस आयोजन में सैकड़ों की संख्या में पुरुष श्रद्धालुओं ने शुद्ध केसरिया वस्त्र पहनकर भगवान के सिर पर मंत्रोच्चार के साथ जयकारें लगाते हुए प्रासुक जल का कलशा डाला। मंत्री विनोद जैन कोटखावदा ने बताया कि आयोजन का शुभारंभ भगवान महावीर के चित्र के समक्ष रमेश - इंदू गंगवाल, दीन दयाल पाटनी, मुकेश मनोज सोगानी, कैलाश चन्द माणक चन्द रमेश ठोलिया, आलोक-मुक्ता जैन कंचन देवी सुनील गोधा, विनय - स्नेहलता सोगानी, नरेश - आशा रावकां द्वारा दीप प्रज्जवलन से हुआ। आयोजन के मुख्य समन्वयक मुकेश सोगानी, 

मुख्य संयोजक राकेश गोधा एवं मीना चौधरी, अध्यक्ष सुभाष चन्द जैन, उपाध्यक्ष मुकेश सोगानी, महामंत्री मनीष बैद, मंत्री विनोद जैन कोटखावदा,संयुक्त मंत्री भानू छाबड़ा कोषाध्यक्ष राकेश, छाबड़ा एवं महावीर जयंती समारोह के प्रमुख समन्वयक अशोक जैन नेता आदि ने अतिथियो का सम्मान किया।इस मौके पर प्रसिद्ध गायक नरेन्द्र जैन एवं नेहा चांदवाड द्वारा भजनों की प्रस्तुति दी गई जिस पर इन्द्र - इन्द्राणियो ने झूमकर भक्ति नृत्य किये।

इस मौके पर आचार्य चैत्य सागर महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि प्राचीन मंदिरों के दर्शन एवं प्राचीन प्रतिमाओं के अभिषेक से बडा पुण्य मिलता है। इस दौरान जैन धर्म के तीसरे तीर्थंकर भगवान संभवनाथ का मोक्ष कल्याणक महोत्सव मनाते हुए जयकारों के साथ निर्वाण लाडू चढाया गया । इस मौके पर मंदिर समिति अध्यक्ष रिटायर्ड आई ए एस नरेश कुमार सेठी, मंत्री अशोक टकसाली, महेश चांदवाड, अशोक चांदवाड, कुशल ठोलिया सहित बडी संख्या में गणमान्य श्रेष्ठीजनों ने सहभागिता निभाई ।

मुख्य समन्वयक मुकेश सोगानी के मुताबिक इस मौके पर पुरुष श्रद्धालुओं को भगवान महावीर का महामस्तकाभिषेक करने के लिए सभा की ओर से पीला धोती दुपट्टा नि:शुल्क दिया गया। भगवान महावीर की भगवान महावीर एवं पंच परमेष्ठी की महाआरती के बाद कार्यक्रम का समापन हुआ । महामंत्री मनीष बैद ने महावीर जयंती समारोह में होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी दी। मुख्य संयोजक राकेश गोधा ने सभी का आभार व्यक्त किया। दलपति राकेश छाबड़ा के नेतृत्व में व्यवस्था में श्री वीर सेवक मण्डल जयपुर के कार्यकर्ताओं ने अपनी सेवाएं दी।

कहा जाता है कि आमेर के किसी पुराने मंदिर में दो जैन मूर्तियां मिली थी। इन्हें ले जाने के मामले में जैन बन्धुओं में मतभेद हो गया तब यह निर्णय लिया गया कि दोनो मूर्तियों को अलग अलग बिना सारथी की दो बैल गाडिय़ों में विराजमान कर बैलगाडियां रवाना कर दी जाए जो बैलगाड़ी जहां रुकेगी वही पर मूर्तियों को विराजमान कर दिया जाएगा। ऐसा ही किया गया। भगवान नेमीनाथ की पद्मासन मूर्ति वाली बैलगाड़ी आमेर में बाहरलीं आमेर के चन्द्रप्रभू भगवान के मंदिर पर जाकर रुकी तो भगवान नेमीनाथ की मूर्ति को उस मंदिर में विराजमान कर दिया गया।

दूसरी बैलगाड़ी में भगवान महावीर स्वामी की खडगासन मूर्ति विराजमान थी। दूसरी बैलगाड़ी बिना सारथी के चलती हुई गोपालजी का रास्ता स्थित श्री दिगम्बर जैन मंदिर कालाडेरा (महावीर स्वामी ) के बाहर आकर रुक गई। और मूर्ति को यहां बडी वेदी बनाकर विराजमान कर दिया गया। यह मूर्ति 82' गुणा 21' के आकार की आदमी के कद के बराबर है। यह जानकारी मंदिर समिति के अध्यक्ष एन के सेठी एवं मंत्री अशोक टकसाली ने दी है।

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