नजर मिले न मिले मगर परछाइयां को छुआ होता


काश एक दिन मिला होता.....
शायद खुशियों के दामन से घेरा होता 
नजर मिले न मिले मगर परछाइयां को छुआ होता
काश एक दिन.........



गफलत हो गई माफी कौन मांगता
लिखी ही बातों से थोड़ा जज्बा जगा होता
काश एक दिन.....
मधु विश्वास की खबर ही नहीं
आफत भाई पल पल
सताती



कोई संभाले ज़रा अगर मंजर कुछ ऐसा होता
काश एक दिन........
मुकर न जाना होंगे दिन बहार के
अगर जिंदगी का लिफाफा खुला होता
बेरी हो जाते दुनिया वाले 
 एक नजर में आपका नजारा दिखा होता 
काश एक दिन मिला होता


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