हरियाणा रेवाड़ी का "लुखी" गांव और राजस्थान चुरू का "लाबा की ढाणी" गांव जहां एक भी मंदिर नहीं

० रीटा चौधरी ० 

हरियाणा के रेवाड़ी जिले का "लुखी" गांव और राजस्थान के चुरू जिले का "लाबा की ढाणी"दो ऐसे गांव है जहां एक भी मंदिर नहीं किसी प्रकार का अंधविश्वास नहीं लेकिन दोनों गांव के सबसे ज्यादा लोग सरकारी नौकरी में उच्च पदों पर लगे हुए हैं लांबा की ढाणी के लोग नदी में अस्थि विसर्जन के लिए भी नहीं जाते । कभी पैदल सालासर भी नहीं जाते और आसपास के गांव के मंदिर में भी नहीं जाते । इस गांव में कभी धार्मिक जागरण और धार्मिक कथा भी नहीं करते ।

इस गांव में 105 घरों की बस्ती है उसमें से 200 लोग सरकारी सेवा में हैं।कुछ लोग बहुत उच्च पदों पर ऑफिसर है तथा कई लोग कनाडा में डॉक्टर भी है ।हरियाणा के लुखी गांव में भी कोई मंदिर नहीं तथा इस गांव की 400 बेटियां सरकारी नौकरी में लगी हुई हैइस गांव के मंदिर बनाकर देवी देवताओं की पूजा करने के बजाए शिक्षा को महत्व देते हैं जिसका उनको फल भी मिल रहा है ।

आज यदि दूसरे गांव के लोग इस प्रकार धार्मिक स्थल रहित गांव की बातें भी करें तो पढ़े लिखे लोग भी उसको धर्म विरोधी, हिंदू विरोधी, वामपंथी और ना जाने क्या-क्या कहकर गालियां निकालने लगते हैं । इन गांव की तरह ही विकसित देश धर्म के पाखंड को छोड़कर विकसित बन गए जबकि हिंदू और मुस्लिम देश धर्म के पाखंड के कारण आज भी दुनिया के सबसे गरीब और पिछड़े हुए देशों में से एक है । इन 2 गांव से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए और मंदिर मस्जिद की बजाय बच्चों को शिक्षित और जागरूक बनाने की जरूरत है।

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