75 देशों से आये 1400 योग जिज्ञासुओं 65 योगाचार्यों का महा कुम्भ

० योगेश भट्ट ० 
ऋषिकेश। अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव ड्रमवादक शिवमणि के ड्रम की थाप, सूफी गायिका रूना रिज़वी शिवमणि की रूहानी आवाज़ और रंग बरसे भीगे चुनरवाली रंग बरसे गीत पर जम का थिरके। फूलों की ताजगी और रंगों की मस्ती का योगियों ने खूब आनंद लिया। अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के अन्तिम दिन 75 देशों से आये 1400 योग जिज्ञासुओं, 25 देशों से आये 65 योगाचार्यों को पतंजलि योगपीठ, आयुर्वेद के आचार्य बालकृष्ण और आध्यात्मिक गुरू प्रेमबाबा का पावन सान्निध्य प्राप्त हुआ।
वैश्विक योगी परिवार ने उत्तराखंड की समृद्ध लोक संस्कृति व परंपरा का प्रतीक उत्तराखण्ड के लोकपर्व फूलदेई पर जमकर फूलों की होली खेली और फिर सभी ने गंगा स्नान किया। उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति फूलदेई का उत्सव मनाया। तत्पश्चात सद्भाव, भाईचारा और विविधता में एकता का आध्यात्मिक पर्व होली का उत्सव पर्यावरण-अनुकूल, हरित व योगिक होली मनायी। आध्यात्मिक गुरूओं, योगाचार्यो और योग जिज्ञासुओं ने माँ गंगा में डूबकी लगायी तथा सभी ने मिलकर विश्व शान्ति की प्रार्थना की।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने वैश्विक योगी परिवार को होली पर्व के माध्यम से विश्व बंधुत्व का संदेश देते हुये कहा कि “भारत समग्रता, एकता और एकजुटता में विश्वास करता हैं।’’ भारत की आत्मा हमेशा से महान ऋषियों द्वारा दिए गए दिव्य मंत्र ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ में विश्वास करती है। आज पूरे विश्व को इसी दिव्य मंत्र ‘‘वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर‘‘ को आत्मासात करने की जरूरत है।

आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि शरीर, मन और आत्मा को स्वस्थ रखने के लिये योग के साथ आयुर्वेद युक्त जीवन शैली अपनाना अत्यंत आवश्यक है। हिमालय की इस दिव्य धरा से आप आयुर्वेद के सूत्रों को लेकर जायें। साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि भारत का प्रत्येक पर्व एक संदेश देता है। चाहे वह प्रकृति के संरक्षण का हो, परिवार के संरक्षण का हो या संस्कारों के संरक्षण का हो। आज हम उत्तराखंड की समृद्ध परम्परा का प्रतीक फूलदेई पर्व के साथ होली का दिव्य पर्व मना रहेे हैं।

 प्रेमबाबा ने कहा कि मानव का एक ही धर्म है ‘आपस में प्रेम करना’। आपने सात दिनों तक परमार्थ निकेतन में जिस प्रेम का अनुभव किया उसे अपने साथ प्रसाद स्वरूप लेकर जाये यहीं महोत्सव की पूर्णाहुति है।

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