नाटक भंवरया कालेट में मोईन के अभिनय ने सभी को लुभाया

० आशा पटेल ० 
जयपुर | रविन्द्र मंच प्रशासन के द्वारा आयोजित त्रि दिवसीय हीरक जयंती रंग महोत्सव में शहर के युवा रंग निर्देशकों को मंच प्रदान किया गया।  रविन्द्र मंच मुख्य सभागार में आयोजित नाटक भँवरया कालेट यथार्थवादी शैली के लिए नया उदाहरण प्रस्तुत करता है। राजस्थानी भाषा का यह नाटक राजस्थान की लोक संस्कृतियों की भी बात करता है। समाज से विलुप्त होते गायन वादन से जुड़े मिरासी समाज पर आधारित दो भाई भँवरया -जफरया की
इस कहानी में समाज का दोगलापन, अपराध की दुनिया में गड़ता हुआ गरीब, उम्मीद में कटती हुई ज़िंदगी, बच्चों की बेवकूफी, बेगानों का मिलाप, प्यार, झगड़ा, रोना, खोना, गाना, बजाना, नाचना सब देखने को मिला। इस नाटक के कई मंचन राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय नाट्य फेस्टिवल्स में हो चुके हैं। राजस्थान के यही रंग कलाकार वैश्विक स्तर के कई रंग महोत्सवों में जयपुर रंगमंच का परचम लहरा चुके हैं।
वर्ष 2018 में नाटक भंवरिया कालेट को पूरे 1 साल की प्रोसेस से तैयार किया गया। प्रोसेस के दौरान किरदार को महसूस करने के लिए कई दिनों बिना नहाए रहे। बिना ब्रश किये। जो दुर्गंध थी माहौल की जब तक की वो किरदारो को सुगंध न लगी तब तक उस माहौल में जिये। एक नाटक की कहानी में बाड़ा तैयार किया गया वहीं रहना, खाना, सोना किया गया। गर्मी, बरसात, सर्दी को जिया गया और इस तरह यह नाट्य प्रयोग जयपुर रंगमंच के समक्ष प्रस्तुत हुआ और इस ने दर्शकों के मध्य यादगार नाट्य प्रस्तुति के तौर पर अपनी जगह बनाई है|

निर्देशक सिकंदर खान के अनुसार इसे कई वरिष्ठ रंगकर्मी, पत्रकार, बुद्धिजीवी व साहित्यकारों के द्वारा सराहा गया है और कई अच्छे समीक्षकों व आलोचकों के द्वारा नाटक में और अधिक निखार लाने के लिए मार्गदर्शन किया गया। लेखक व निर्देशक सिकंदर खान द्वारा अपने दम पर रंगमंच के बड़े समुद्र में से एक छोटी सी अपनी लाइन निर्मित की गयी।  नाटक ने राजस्थान रंगमंच के इतिहास में अपनी अमिट पहचान बना ली ।

मोईन अयान के द्वारा मुख्य भूमिका निभाई गयी जो कि जयपुर रंगमंच में अपनी समीक्षाओ की वजह से चर्चाओं का कारण रहते हैं व स्वंय निर्देशक सिकंदर खान खान द्वारा भी अभिनय किया गया। महबूब, मनीषा शेखावत, महेश, अनिल, जितेंद्र, दाऊद, राजकुमार, कुणाल ने भी महत्वपूर्ण किरदार निभाए। प्रकाश परिकल्पना विमल मीना, रिकॉर्डेड संगीत पर अपूर्वा चतुर्वेदी व प्रोडक्शन इंचार्च शिल्पी माथुर रही। वहीं मंच के पीछे की भूमिका निभाने वाले कलाकार नाटक का आधार होते हैं। किरण चौहान, सादिक, विशेष व चिराग ने मंच के पीछे रह कर नाटक को बेहतरीन तरीके से मंचित करने की ज़िम्मेदारी उठाई।

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