घंटा घंटा घंटा घंटा घंटा’ और ‘डू यू नो दिस सोंग ?’ का मंचन

० योगेश भट्ट ० 
नई दिल्ली । दिल्ली में चल रहे मेटा थिएटर फेस्टिवल में देशभर से प्राप्त 390 नाटकों में से चुने गये बेहतरीन 10 नाटकों का मंचन हो रहा है । 19 वे मेटा फेस्टिवल में नाटकप्रेमियों का उत्साह देखने लायक है, दो नाटकों का मंचन हुआ, पहला नाटक मोहित ताकालकर द्वारा निर्देशित ‘घंटा घंटा घंटा घंटा घंटा’ का प्रदर्शन श्री राम सेंटर में किया गया और दूसरा नाटक मल्लिका तनेजा द्वारा निर्देशित ‘डू यू नो दिस सोंग?’ का मंचन कमानी सभागार में आयोजित किया गया।
‘घंटा घंटा घंटा घंटा घंटा’ नाटक की कहानी फासीवादी शासन द्वारा शासित एक उजाड़ परिदृश्य में, फ़िरोज़ा और आदित्य, एक युगल, जीवन के अर्थ, प्रेम और राजनीति को जानने की खोज में निकलते हैं। कहानी उनके रिश्ते को गैर-रैखिक रूप से उजागर करती है, क्योंकि एक सख्त कानून दैनिक शब्द उपयोग को 140 तक सीमित करता है। फिरोजा, एक सरकारी वकील, और आदित्य, एक संगीत कलाकार, कानून की चिंताओं के बीच संवाद करने के लिए संघर्ष करते हैं, सवाल करते हैं कि क्या वे अराजकता को दूर कर सकते हैं ।
मोहित ताकालकर का यह नाटक एक पुरुष और एक महिला के बीच प्रेम की राजनीति की पड़ताल करता है, एक कार्यकर्ता और एक राज्य प्रतिनिधि का सामना करता है, और हाशिये पर पड़े संघर्षों से जुड़ने में विशेषाधिकारों को चुनौती देता है। आदित्य और फ़िरोज़ा के दोषपूर्ण रिश्ते के माध्यम से, यह नाटक समकालीन समय की खंडित वास्तविकता को दर्शाता है। नाटक ‘डू यू नो दिस सोंग? प्रेम ,दुःख ,हानि, आवाज और संगीत की खोज के बारे में एक शक्तिशाली नाटक है।

 एक ऐसी आवाज़ के बारे में कहानी जो कभी ख़ूबसूरत, अविस्मरणीय थी... और अब भुला दी गई है। यह कहानी है - बने और टूटे हुए सपनों की और उन तक पहुंचने की चाहत रखती आवाज की। 20 मार्च को कमानी सभागार में रेड कारपेट अवार्ड्स नाईट होगी जिसमें देशभर से रंगमंच और सिने जगत के मशहूर हस्तियाँ शामिल होगी ।

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