विभिन्न भाषा में कविता का अनोखा संगम

० योगेश भट्ट ० 
नई दिल्ली: दिल्ली के साप्ताहिक "प्रज्ञा मेल" के तत्वावधान में बहुभाषी राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। विश्व युवक केंद्र में आयोजित कवि सम्मेलन में श्रोताओं ने एक ही जगह में विभिन्न भाषाओं की कविता का रस ओ" वादन किया। इस कवि सम्मेलन में हिंदी, उर्दू  पंजाबी, अंग्रेजी,असमिया, बंगाली,नेपाली, गुजराती,  मलयाली,गड़वाली,मराठी एवम संस्कृत भाषा की कविता के कवियों ने अपनी कविताएं पढ़ी। इस कवि सम्मेलन की विशेषता यह रही कि सभी ने साथ-साथ उनका भावार्थ भी समझाया। 
कार्यक्रम में एफ एफ ए एस एस की निदेशक मनीषा शर्मा ने अतिथियों को पुष्प गुच्छ दे के स्वागत किया गया । विशेष अतिथियों में असम( करीमगंज ) के सांसद कृपानाथ मल्लाह, आर एस एस के  के प्रचारक राम सिंह,देहरादून से प्रोफेसर बहरूल इस्लाम, डॉ. हिरनमॉय रॉय, दिल्ली के जानेमाने हार्ट सर्जन डॉ.नवोजित तालुकदार,सुप्रीम कोर्ट के वकील धुरबेंदु भट्टाचार्जी और असम से आए डॉ. हेमंत कुमार दास और कवि दिलदार प्रमुख थे। कविता का आगाज उर्दू और पंजाबी के कवि राजेंद्र सिंह अरोड़ा दिलदार ने किया। इससे पूर्व असम से आई कवित्री ज्योति गोगाई ने सरस्वती वंदना गाई। दिलदार के पश्चात हिंदी के जानेमाने कवि गजेंद्र सोलंकी ने देशभक्ति से ओतप्रोत कविता सुनाई और कार्यक्रम के प्रारंभ में ही रंग जमा दिया।
कल्चर एंड इंटरनेशनल पोएट फोरम की सुश्री काव्यमोनी बोरा और उनके साथ आए कवियों के समूह का स्वागत किया गया। स्वागत आयोजन कमेटी के चेयरमैन एवम प्रज्ञा मेल के संपादक अरुण कुमार बर्मन,राष्ट्रीय सलाहकार रत्नाज्योति दत्ता और न्यूज मानिया (कोलकाता) की प्रधान संपादक बरनाली बिस्वास ने किया। काव्यमोनी समूह के कवियों में असम से अतुल चंद्र रॉय,मंजू मैक(नेपाली कवि),ज्यों चेंग चंगमई(असमिया),अब्दुल कादिर खान(असमिया),अनंत कुमार भुइयां (असमिया),बॉबी चेतिया(असोमिया) आदि अपने सांस्कृतिक वेशभूषा में आए थे। इसके अलावा सिलीगुड़ी की कवित्री महुआ चौधरी भी शामिल थी।

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ.ऋतुराज पाठक ने संस्कृत भाषा की उत्पेक्षा अलंकार और श्रृंगार रस से भरी कविता का रसोंवादन कराया मलयालम की एक मात्र कवित्री लक्ष्मीप्रिया मेनन ने एक मलयाली कविता सुनाई।जिसका भावार्थ हिंदी में बताया की कविता में नारी व्यथा को दर्शाया गया है।उनके पति विशेष रूप से इस कवि सम्मेलन के लिए लेकर आए थे। इसके पश्चात चाय नाश्ते के अंतराल के बाद दिल्ली के उर्दू शायर ने अपनी अम्मी पर लिखी नज़्म से भावविभोर कर दिया।फिर शायर और नाटक निर्देशक मसूद हाशमी ने चुटीले अंदाज में हंसाया।गुजराती कवि और इस कार्यक्रम के विशेष सहयोगी हितेश व्यास ने अपनी ताजातरीन कविता सुनाई ।

 इसी दौरान प्रधान अतिथि संजय शेरपुरिया का आगमन हुआ और उनका स्वागत एवम सम्मान समारोह चला।प्रधान अतिथि ने बताया के वह विशेष पढ़े नही है,आतंकवाद के कारण पढ़ाई चल नही पाई ।फिर भी वह नौ भाषा लिख व बोल लेते हैं।असम से कच्छ (गुजरात) में आकर बस गए। उन्होंने अपने भाषण में युवाओं से देश निर्माण में सहयोग का आह्वान किया ।हाल ही में उनकी पुस्तक "दिव्या दृष्टि मोदी" का विमोचन प्रयागराज में हुआ है। गुजराती कावित्री माधवी व्यास ने इंसानियत न भूलने की गुजारिश अपनी कविता में की।इसके बाद आशीष मुरादावादी और योगेश भट्ट ने हिंदी तथा गड़वाली कविता सुनाई तो बांग्ला में गाजियाबाद से आई कवित्री आलोका गोस्वामी और चंपा नाग ने कविता पाठ किया।

कार्यक्रम के अंतिम भाग में कोलकाता से आई प्रज्ञा मेल बहुभाषी कवि सम्मेलन की बरनाली दास ने बताया की उनकी शिक्षा शिलांग (मेघालय) के कांवेंट स्कूल में हुई है, वन्हा प्रादेशिक भाषा बोलने पर दंड दिया जाता था,जो एकदम अनुचित था । पत्रकार रत्नाज्योति दत्ता का कहना था कि कविता केवल प्रेम या विरह की चीज नही होनी चाहिए।सामाजिक सरोकार के लिए भी लिखी जानी चाहिए । प्रज्ञा मेल के प्रधान संपादक अरुण कुमार बर्मन का कहना था कि ' अकेला चला था जानिब ए मंजिल की ओर,लोग जुड़ते गए और कारवां बनता गया।' उन्होंने असम और बंगाल से आए कवियों को उनकी भाषा में संबोधित किया। 

 इस अवसर पर प्रज्ञा मेल की प्रकाशक प्रीति बर्मन भी मौजूद रही। पत्रकारों में उत्कल मेल के अरुण मिश्रा,जोशीला टाइम्स के सह संपादक योगेश कौशिक,गाजियाबाद के न्यूज स्पीक्स के संपादक शुभम तोमर और कल्कि टाइम्स के पत्रकार जयशंकर तिवारी, धारा के पत्रकार, सुधृति दत्ता,दिल्ली विश्वविद्यालय से अनिता गांगुली,संजय गांगुली मौजूद रहे। 

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