28 जुलाई से शुरू होगा जुल्म की निशानी पुस्तकों का वितरण

० आशा पटेल ० 
वाराणसी। सर्व सेवा संघ के मामले में 28 जुलाई को सिविल कोर्ट में सुनवाई है। रामधीरज ने बताया कि अगर सबूत, तर्क और कानून के आधार पर फैसला होगा तो हमारे पक्ष में आएगा क्योंकि हमारे पास 1960, 1961 और 1970 का रजिस्ट्री पेपर है। हमें विश्वास है न्यायालय कानून और साक्ष्य की अनदेखी नहीं करेगा।
अदालत का फैसला जो भी आएगा, हम उसे स्वीकार करेंगे। 
उन्होंने कहा कि अब हम जनता अदालत में भी जाएंगे। हम कूड़े की तरह फेंकी गई किताबों को सहेज सवार रहे हैं। 5 और 10 पुस्तकों के छोटे छोटे पैकेट बना रहे है।
विद्यार्थियों के लिए गांधी आत्मकथा, विनोवा की अहिंसा की तलाश, जयप्रकाश का संपूर्ण क्रांति व लोकतंत्र आदि साहित्य , गांव के लोगों के लिए खेती और ग्राम स्वराज्य संबंधी किताबें, आध्यात्मिक लोगों के लिए गीता प्रवचन, महागुहा में प्रवेश, वेदा अमृत आदि किताबें, शिक्षकों के लिए विनोवा का शिक्षण विचार और गांधीजी का बुनियादी तालीम आदि अलग-अलग विषयों से संबंधित पुस्तकें विद्यालयों और घरों में पहुंचाएंगे और उन्हें बताएंगे कि यह पुस्तकें दमनकारी सरकार की जुल्म की निशानी है। इसे सहेज कर रखें और आने वाली पीढ़ियों को बताएं ।

1 अगस्त से बुजुर्गों और नौजवानों की टोली गांव और स्कूलों में जाकर इसका वितरण करेगी और उनसे संवाद भी करेगी। 9 अगस्त को क्रांति दिवस पर राष्ट्रीय सम्मेलन होगा और 10 अगस्त को रैली करेंगे।इस रैली मे मेघा पाटकर, राकेश टिकैत और जेपी आंदोलन के 100 से अधिक सांसद, विधायक और लोकतंत्र सेनानी आ रहे हैं।

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