31 जुलाई को जेकेके में होगा - मुंशी प्रेमचंद और मोहम्मद रफ़ी की याद में आयोजन

० अशोक चतुर्वेदी ० 
जयपुर: साहित्य, संगीत और रंगमंच को समर्पित पहल कला संसार...मधुरम् के तहत जवाहर कला केन्द्र की ओर से विभिन्न आयोजन किये जा रहे हैं। महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की जयंती और मशहूर गायक मोहम्मद रफ़ी की पुण्यतिथि के अवसर पर 31 जुलाई को केन्द्र में कार्यक्रम किया जा रहा है। केन्द्र व राजस्थान प्रगतिशील लेखक संघ के संयुक्त तत्वावधान में मुंशी प्रेमचंद पर विभिन्न साहित्यिक सत्र होंगे। वहीं पद्मश्री सुरेश वाड़ेकर अपने सुरीले गीतों से शाम सजायेंगे।

 रंगायन सभागार में प्रेमचंद जयंती समारोह मनाया जाएगा। गोविन्द माथुर की अध्यक्षता में 'प्रेमचंद की विरासत के मायने' विषय पर मनीषा कुलश्रेष्ठ और विक्रम सिंह अपने विचार रखेंगे। रजनी मोरवाल इसका संयोजन करेंगी। दूसरे सत्र में डॉ. आर. डी. सैनी की अध्यक्षता और भागचंद सैनी के संयोजन में संवाद सत्र 'कहानी के नए स्वर' होगा। इसमें कविता मुखर, उमा और उषा दशोरा कहानी पाठ करेंगी तथा तस्नीम खान, राजाराम भादू व नितिन यादव समीक्षा करेंगे।

 सावन शृंगार कार्यक्रम में पद्मश्री सुरेश वाड़ेकर अपने मधुर गीतों से समां बांधेंगे, गायिका पद्मा वाड़ेकर भी उनके साथ मंच साझा करेंगी। आयोजन में पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर हिस्सा ले सकेंगे। दिनेश कुमार गोपी एंड ग्रुप के 8 कलाकार इनके साथ संगत करेंगे। पद्मश्री सुरेश वाड़ेकर ने बॉलीवुड और मराठी फिल्मों के गीतों में अपनी आवाज़ का जादू बिखेरा है। शास्त्रीय गायन में भी उन्हें महारत हासिल है। फिल्म 'पहेली' में 'वृष्टि पड़े टापुर टुपुर' गीत के साथ उन्होंने सफर शुरू किया। 

उन्होंने मशहूर संगीत निर्देशकों के साथ काम किया। संगीत प्रेमियों के पसंदीदा गीतों की फेहरिस्त में आज भी सुरेश वाड़ेकर के 'मोहब्बत है क्या चीज़', 'मेरी किस्मत में तू नहीं शायद', 'ऐ जिंदगी गले लगा ले', 'लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है', 'चप्पा-चप्पा चरखा चले' जैसे गीत शामिल है। पद्मा वाड़ेकर के गीतों ने भी श्रोताओं के दिल पर अमिट छाप छोड़ी है।

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