पद का दुरुपयोग और डीडीसीए को बदनाम कर रहे हैं पदाधिकारी

० ओम पीयूष ० 
नयी दिल्ली : प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, दिल्ली में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डी डी सी ए के पूर्व क्रिकेट निदेशक एवं दिल्ली रणजी के पूर्व खिलाड़ी संजय भारद्वाज ने डीडीसीए यानी दिल्ली एवम जिला क्रिकेट संघ की छवि को अपूर्णीय क्षति पहुंचाने के दोषी व्यक्तियों के खिलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की पुरजोर मांग उठाई है। इस संदर्भ में उन्होंने डीडीसीए को लिखे गए एक पत्र और कुछ वाइरल साक्ष्यों को पेश करते हुए जोर देकर कहा कि अमूल्य वोट से चुने गये डीडीसीए पदाधिकारियोँ द्वारा वित्तीय लूट, कुप्रबंधन, बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार तथा माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों की अवमानना की जा रही है। वर्तमान में डीडीसीए चला रहे इन हस्तियों के बारे में ठोस सबूत और पक्की जानकारी के आधार पर यह साबित कर रहा हूँ कि डीडीसीए पदाधिकारी दी गई जिम्मेदारी और पद का दुरुपयोग कर एसोसिएशन को बदनाम करने के मामले में दोषी हैं।

 संस्था का हितैषी होने का दावा पेश करते हुए संजय भारद्वाज ने एक नहीं अनेक मुद्दों ध्यान आकर्षित करते हुए रेखांकित किया है कि 27-12-2021 को डीडीसीए के निर्वाचित हुए अध्यक्ष रोहन जेटली का एक अश्लील सेल्फी वीडियो और चैट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसके साथ ही अध्यक्ष रोहन जेटली के खिलाफ़ एक महिला ने यौन उत्पीड़न और शोषण की शिकायत भी दर्ज़ कराई है। एक शिकायत यह भी है कि अध्यक्ष द्वारा अपनी इस महिला मित्र को लाभान्वित करने के लिए डीडीसीए फंड का दुरुपयोग भी किया गया है। पत्र के साथ संलग्न दस्तावेजों से साफ पता चलता है कि डीडीसीए के पैसों से महिला मित्र के लिए होटल में कमरा भी बुक कराया गया था। संजय का कहना है कि अध्यक्ष द्वारा संस्था के वित्तीय दुरुपयोग का स्पष्ट मामला है। 

उनकी मांग है कि इस मामले की स्वतंत्र जांच की जानी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने यह भी उजागर किया कि सिद्धार्थ साहिब सिंह सचिव को माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा तैयार और लागू संविधान के तहत दी गयी शक्तियों का प्रयोग करने से रोका जा रहा है। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने दिनांक 14-09-22 के सिविल अपील न 4235/2014 के माध्यम से विशेष रूप से निर्देश दिया है डीडीसीए के सचिव क्रिकेटिंग और गैर - क्रिकेटिंग के मामलों के संबंध में सभी शक्तियों का प्रयोग करेंगे। सीईओ, प्रबंधन कर्मी, कर्मचारी आदि सभी केवल सचिव के सीधे नियंत्रण और निर्देशन में काम करेंगे। अध्यक्ष का हस्तक्षेप इसके अनुपालन में बाधक साबित हो रहा है।

 एक ओर निर्वाचित सदस्य को अपनी शक्तियों का प्रयोग नहीं करने दिया जा रहा है और दूसरी ओर अध्यक्ष के चाटुकारों की तूंती बोल रही है। अध्यक्ष की चाटुकारिता करने वाले ज्यादातर सदस्यों ने एक असंवैधानिक प्रस्ताव पारित कर अध्यक्ष को डीडीसीए में क्रिकेट और गैर- क्रिकेट मामलों को संचालित करने के लिए अधिकृत कर दिया है, लेकिन क्या डीडीसीए अपेक्स काउंसिल के ज्यादातर सदस्य माननीय सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को ख़ारिज कर सकते हैं और सचिव को प्रदत्त शक्तियों से वंचित कर सकते हैं? इस आधार पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का खुलेआम विरोध करने के ये सदस्य दोषी हैं।

 कानून का अनुपालन न किये जाने की वजह से अध्यक्ष और सचिव के बीच अनबन चल रही है और इसका दुष्प्रभाव संघ के क्रिया कलापों पे पड़ रहा है। संजय भारद्वाज ने लिखित अर्जी दे कर गुज़ारिश की है कि असंवैधानिक ईजीएम में सुधारात्मक कारवाई तुरत की जानी चाहिये। इसके साथ ही उन्होंने यह भी जानकारी दी है कि सचिव सिद्धार्थ साहिब सिंह ने धारा 465,466,471,474 के तहत दिल्ली के तिलक मार्ग पुलिस स्टेशन में एक एफ आई आर भी दर्ज़ कराई है। 

इसके माध्यम से उन्होंने आरोप लगाया है कि डीडीसीए के अधिकारियों ने उनकी जानकारी के बिना दिल्ली हाई कोर्ट में झूठा वकालतनामा दाख़िल कर जालसाजी की है क्योंकि संविधान के मुताबिक केवल सचिव को ही डीडीसीए की ओर से अदालत में दस्तावेज़ दाखिल करने का अधिकार है और किसी को नहीं।  उनकी मांग है कि इसकी गहन जांच की जानी चाहिये। तभी सच- झूठ के बीच का पर्दा उठ सकेगा।

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