झारखण्ड में खाद्य सुरक्षा योजना का सफल क्रियान्वयन कर रहा भारतीय खाद्य निगम

० योगेश भट्ट ० 
धनबाद । भारतीय खाद्य निगम झारखण्ड में खाद्य सुरक्षा योजना का सफल क्रियान्वयन कर रहा है तथा इसने तमाम सरकारी कल्याणकारी योजनाओं को जमीन पर उतारने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है । निगम के झारखंड के महाप्रबंधक (क्षेत्र) मनोज कुमार ने यहां संवाददाता सम्मेलन में बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत झारखंड के सभी 24 राजस्व जिलों में 25,210 उचित मूल्य दर की दुकानों के माध्यम से राज्य सरकार के सहयोग से 2.64 करोड़ कार्ड धारकों को प्रति माह लगभग 1.36 लाख मी. टन खाद्यान्नों ( 5 किलोग्राम चावल एवं गेहूँ) का निशुल्क प्रदान किया जा रहा है 

वहीँ अन्य कल्याणकारी योजना जैसे मध्याह्न भोजन योजना (पी.एम. पोषण योजना / पी.एम. शक्ति योजना), डब्लू. बी. एन. पी (आईसीडीएस) के माध्यम से लाभार्थियों को खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा रहा है । वितीय वर्ष 2022-23 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के अलावा, लगभग 1.68 लाख M अतिरिक्त खाद्यान्न अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत झारखंड के लाभार्थियों को उपलब्ध कराया गया है.

एफसीआई के महाप्रबंधक मनोज कुमार ने बताया कि  अप्रैल 2020 से दिसम्बर 2022 के दौरान भारत सरकार द्वारा प्रारंभ प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को सात चरणों में देश में सफलतापूर्वक लागू किया गया ताकि राज्य के नागरिकों को खाद्यान्न संकट का सामना न करना पड़े। इस महामारी के दौरान झारखंड के 3.3 करोड़ नागरिकों को भारतीय खाद्य निगम से 58.08 लाख मी. टन चावल एवं 20.13 लाख मी. टन गेहूँ उपलब्ध कराया है. भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत उपलब्ध कराये जा रहे निशुल्क खाद्यान्न को प्रत्येक लाभार्थियों तक शत-प्रतिशत पहुँचाने हेतु भारतीय खाद्य निगम, झारखंड क्षेत्र कृतसंकल्प है । 

इसमें राज्य सरकार का भी निरंतर समर्थन प्राप्त है. इसके लिए भारतीय खाद्य निगम, क्षेत्रीय कार्यालय, झारखंड यह सुनिश्चित करता है कि खाद्यान्न की पर्याप्त मात्रा प्रत्येक जिले में उपलब्ध रहे । वर्तमान में भी झारखंड क्षेत्र लगभग 02 माह का बफर स्टॉक बनाये हुए है, जो कि राज्य की खाद्य आवश्कताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त है । मूल्य नियंत्रण के लिए झारखंड में 0.61 लाख एम. टन गेहूँ की खुले बाजार में बिक्री  मार्च 2023 में भारत सरकार के आदेश के अंतर्गत भारतीय खाद्य निगम के मुख्यालय के निर्देशानुसार खुली बाजार बिक्री योजना (घरेलु) अंतर्गत मात्र 2 महीना में झारखंड में 0.61 लाख एम. टन गेहूँ को खुले बाजार में बेचा गया 

जिससे मार्केट मूल्य तत्काल घटना शुरु हुआ जिससे मुद्रास्फीति को नियंत्रण करने में सहायता मिली. यह जानकारी देते हुए एफसीआई के जनरल मैनेजर मनोज कुमार ने बताया कि वर्तमान में भी भारत सरकार के आदेशानुसार मुख्यालय के निर्देश पर गेहूँ एवं चावल का खुला बिक्री (गेहूँ - एफएक्यू रू. 2150/- प्रति क्विंटल एवं यूआरएस रू. 2125/- प्रति क्विंटल ) एवं चावल (एफआरके रू. 3173/- प्रति. क्विंटल ) मूल्य पर किया जा रहा है जिसे पात्रताधारी 100 मी.टन तक झारखंड के चिन्हित गोदामों से एफआरके चावल एवं गेहूँ को उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए प्राप्त कर सकते हैं तथा इससे मानव हस्तक्षेप को न्यूनतम करते हुए वेबसाईट के माध्यम से किया गया है

 तथा इसकी बिक्री प्रत्येक शुक्रवार को टेंडर के माध्यम से की जा रही है ।अब तक तीन इ – नीलामियों में क्रमश: 11, 180, एम.टी, 2930 एम.टी. तथा 5080 एम.टी. गेहूं की बिक्री की गयी. देखा जा सकता है कि इन 3 इ- नीलामी में बिक्री में निरंतर बढ़ोतरी हुई है और अब ज्यादा से ज्यादा छोटे व्यापारी, गेहूं विक्रेता व मिलर इसमें भाग ले रहे हैं। इ-नीलामी में भाग लेने हेतु विक्रेतायों के पंजीकरण संख्या में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही हैं, पूर्व में जहाँ राज्य में 54 पार्टी पंजीकृत थे, अब उसकी संख्या बढ़कर 80 हो गयी है। भारत सरकार व निगम की इस पहल से बाज़ार में गेहूं की बढ़ती कीमतों पर काबू पाया गया है । इस मौके पर तुलसीराव हरि सिंह श्याम बाबू आदि उपस्थित थे.

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