गांधी की धरोहर राजघाट की भूमि को विवाद में लाने वाली सरकार क्या इसका महत्व जानती है

० आशा पटेल ० 
वाराणसी । सर्व सेवा संघ एक अद्भुत ऐतिहासिक स्मरणीय स्थल है। इस भूमि यानि सर्व सेवा संघ , राजघाट का चयन संत विनोबा भावे ने अपनी पदयात्रा के दौरान गया (बिहार) जाते हुए यहां की ऊर्जा शक्ति को महसूस करके किया था।दरअसल, आचार्य विनोबा भावे की परिकल्पना थी कि यह स्थल एक साधना केंद्र - ऐसे साधना एवं शिक्षण-प्रशिक्षण केंद्र के रूप में विकसित हो; जहां से नैतिक रूप से सक्षम सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओ का निर्माण का कार्य व्यापक रूप से किया जा सके. और यही हुआ भी।
सर्व सेवा संघ के प्रशिक्षण सत्रों में गढ़े-मंजे स्वर्गीय सुन्दरलाल बहुगुणा, एस.एन.सुब्बाराव, ठाकुर दास बंग, निर्मला देशपांडे, कृष्ण राज,प्रभाष जोशी, प्रो आनंद कुमार, पत्रकार श्रवण गर्ग, के विक्रम राव, रामचंद्र राही,नचिकेता देसाई, अनुपम मिश्र, अशोक भार्गव, अरुण चौबे, रामदत्त त्रिपाठी, रामधीरज समेत अनगिनत प्रतिभाओं ने राष्ट्र निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया.प्रशिक्षण देने वालों में जयप्रकाश नारायण, दादा धर्माधिकारी, नारायण देसाई, आचार्य राममूर्ति, धीरेंद्र मजूमदार, ठाकुरदास बंग, सिद्धराज ढढ्ढा, किशन पटनायक जैसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और समाज निर्माता सम्मिलित रहे.
 परिसर में तरुण शांति सेना जिसके सेना नायक स्वयं जे पी थे का राष्ट्रीय कार्यालय रहा है । जहां से देशभर के शान्ति सेना व तरुण शान्ति सेना के सदस्यों को संगठित किया जाता रहा है। इन्ही सैनिकों ने उस समय जे पी आंदोलन की देश के कौने कौने में कमान संभाली थी जो जे पी के आवाहन पर हर क्षण आंदोलन को तैयार रहते थे।

इसी राजघाट में है सर्व सेवा संघ प्रकाशन जिसे विशेष कर गांधी , विनोबा, जयप्रकाश का साहित्य ,सामाजिक और आध्यात्मिक पुस्तकों के सस्ते प्रकाशन के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। ये पुस्तकें देश भर के 72 रेलवे स्टेशनों पर स्थापित 'सर्वोदय बुक स्टालों' और सर्वोदय कार्यकर्ताओं द्वारा संचालित हजारों सर्वोदय साहित्य केंद्रों के जरिए देशभर में पहुंचकर स्वस्थ- संवेदनशील सामुदायिक समाज निर्माण की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं.

और हां यहां सर्व सेवा संघ, राजघाट वाराणसी परिसर में स्थित 'गांधी विद्या संस्थान' के प्रवेश द्वार पर एक संगमरमरी शिला पर अंकित स्वप्न का उल्लेख करना महत्वपूर्ण होगा :"जहां तक मैं समझा हूं गांधीवादी आन्दोलन एवं समाज विज्ञान को जोड़ने की पहल गांधी विद्या संस्थान ने की है। यदि यह प्रयास सफल होता है तो इसके युगांतकारी परिणाम होंगे।"यह अंग्रेजी में लिखा हुआ हैं।गांधी विद्या संस्थान, सम्पूर्ण क्रांति के जनक लोकनायक जयप्रकाश नारायण के इसी सपने को साकार करने की कोशिश तथा शोध सामग्री से समृद्ध पुस्तकालय के कारण आज भी वैश्विक स्तर पर अपनी प्रासंगिकता रखता है.

इसी क्रम में काशीवासी यह कभी नहीं भूल सकते कि सर्व सेवा संघ की बालवाड़ी अनेक गरीब बेसहारा बच्चों को उनकी शिक्षा का अधिकार निःशुल्क प्रदान करा रही है. जयप्रभा स्मृति भवन, लोकनायक की पुरानी जीप , दो सौ वर्ष पुराना पीपल और बरगद, 150 वर्ष पुराना वाल्टेयर कुआं आदि के कारण भी सर्व सेवा संघ परिसर भारत की आजादी, इतिहास और राष्ट्रीयता की दृष्टि से एक विशेष तीर्थ स्थली सरीखा है. यही कारण है कि सर्व सेवा संघ परिसर देश भर के गांधीवादियों के लिए विशेष श्रद्धा और गर्व का केन्द्र है.

वर्तमान समय में पूर्व में चल रही गतिविधियों के साथ साथ NEP 2020 के पूर्व शालेय शिक्षा कार्यक्रम के अनुरूप बालवाड़ी का संचालन, समग्र स्वास्थ्य की प्राप्ति हेतु दवा रहित स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन, स्पिरिचुअल टैबलेट्स रिसर्च फाउंडेशन के सहयोग से प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन, साप्ताहिक स्वच्छता कार्यक्रम, ध्यान शिविर, आध्यात्मिक शिविर,मार्शल आर्ट प्रशिक्षण आदि गतिविधियां संचालित हो रही हैं। आगामी समय में पर्यटन गतिविधियों का केंद्र बन रही काशी को दृष्टिगत रखते हुए काशी की इस धरोहर को पर्यटकों के लिए खोलने, गांधी, विनोबा और जे पी अध्ययन एवं शोध पीठ स्थापित करने, आरोग्य विद्यापीठ की स्थापना, मिलेट्स आधारित देशी रसोई आरंभ करने , योग एवं पिरामिड ध्यान केंद्र स्थापित करने जैसी अनेक योजनाओं पर कार्य तीव्र गति से चल रहा है।

विद्यार्थियों को चरखा चलाने का प्रशिक्षण, बांस और लकड़ी के सामान बनाने की ट्रेनिंग, हर्बल पार्क और बच्चों के खेलने एवं उनकी सृजन शक्ति के विकास के लिए बाल उद्यान विकसित करने की तैयारी है।
इस संबंध में खास बात सरकार के संज्ञान में यह लाना आवश्यक है कि सर्व सेवा संघ भूमि विवाद प्रकरण में जिला प्रशासन की भूमिका एकतरफा, मनमानी पूर्ण, जल्दबाजी वाला रहा जिसके कारण लगभग 50 दिनों तक देश भर के गांधीवादी कार्यकर्ता शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन करने को बाध्य हुए। 

इतना ही नहीं गांधी विद्या संस्थान के संचालन के विवाद से प्रारंभ इस विवाद के प्रत्येक स्तर पर जिला प्रशासन और रेलवे प्रशासन की भूमिका सरकार की छवि को धूमिल करने वाली रही है। गांधी विचारों के अनुकूल समाज रचना के स्वप्न को आगे ले जाने वाले विनोबा-जेपी से जुड़े सर्व सेवा संघ , राजघाट की भूमि को बचाने की मुहिम को सरकार तुरंत प्रभाव से बंद करे।

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