सीएससी एसपीवी ने टेली-लॉ 2.0 कार्यक्रम का आयोजन किया

० आनंद चौधरी ० 
नई दिल्ली।  भारत सरकार का न्याय विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस) और सीएससी एसपीवी ने टेली-लॉ 2.0 कार्यक्रम का आयोजन किया। कानून एवं न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम में 50 लाख कानूनी सलाह पूरा करने का जश्न भी मनाया गया।
टेली-लॉ 2.0 के तहत कानूनी सलाह सेवा को न्याय बंधु (प्रो बोनो) कार्यक्रम के कानूनी सेवाओं के साथ एकीकृत कर दिया गया है। 
इससे आम नागरिक को एक ही जगह पंजीकरण करके मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त करने में मदद मिलेगी। न्याय बंधु (प्रो बोनो लीगल सर्विसेज) कार्यक्रम का उद्देश्य हाशिए पर रहने वाले वर्गों को मुफ्त कानूनी मदद प्रदान करना है। लाभार्थी सिर्फ एक ही जगह पंजीकरण करके टेली लॉ और न्याय बंधु सुविधा का लाभ उठा सकेंगे। न्याय बंधु मोबाइल एप्लिकेशन पंजीकृत अधिवक्ताओं को आवेदकों से जोड़ता है।
इस अवसर पर कानून राज्य मंत्री ने कहा कि कॉमन सर्विस सेंटर सरकार की डिजिटल इंडिया पहल में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने कहा कि टेली लॉ योजना ग्रामीण नागरिकों को सशक्त बनाने और भारत में ‘न्याय की पहुंच’ के अवसर प्रदान कर रही है। टेली-लॉ के माध्यम से हम वंचितों, विशेषकर ग्रामीण भारत में रहने वाले लोगों की सेवा करने के सरकार के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। आगे उन्होंने कहा "सरकार ने भारतीय संहिता सुरक्षा विधेयक 2023 पेश किया है, जो सदियों पुराने औपनिवेशिक आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में संशोधन करेगा।
1860 से 2023 तक देश की आपराधिक न्याय प्रणाली अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुसार कार्य करती रही है। तीन कानून बदल जाएंगे और देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव होगा." उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम का उदाहरण देते हुए बताया कि प्रोबोनो शब्द का इस्तेमाल हमारे देश में आजादी के आंदोलन से होता रहा है। टेली लॉ योजना में हम इसी अवधारणा का इस्तेमाल कर रहे हैं।
कार्यक्रम में कानून और न्याय मंत्रालय के सचिव एस.के.जी. रहाते ने कहा, "साल 2017 में जब टेली लॉ योजना की शुरुआत हुई थी, उस समय सिर्फ 18000 ग्राम पंचायतों में ही यह सेवा उपलब्ध थी जो आज बढ़कर ढाई लाख ग्राम पंचायतों तक हो गई है। हमें गर्व है कि आज टेली लॉ के लाभार्थियों की संख्या 50 लाख तक पहुंच गई है।" उन्होंने कहा कि हमने फील्ड में काम करने वाले लोगों के क्षमता निर्माण को बढ़ाया और डिजिटल प्लेटफार्म को अपडेट किया।

 घर-घर न्याय पहुंचाने के लिए विधि एवं न्याय मंत्रालय ने साल 2025 तक एक करोड़ लोगों को कानूनी साक्षर बनाने और इतने ही लोगों को निशुल्क कानूनी सलाह देने का लक्ष्य रखा है। लाभार्थियों के सशक्तिकरण के लिए नई तकनीक और आर्टिफिशिल इंटेलिजेंस की मदद ली जाएगी। दिशा योजना के अंतर्गत संचालित टेली लॉ सेवा का लाभ देश के सभी नागरिक ले सकते हैं। जरूरतमंद लोगों को सक्षम वकीलों से मुफ्त में सहायता दी जाती है। सीएससी के माध्यम से वीडियो कांफ्रेंसिंग के द्वारा आवेदक को इस योजना का लाभ मिलता है। देश के नागरिक कहीं से भी इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।

2017 में शुरू की गई टेली-लॉ सेवा दहेज, घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न जैसे मुद्दों पर कानूनी सलाह लेने के लिए शुरू की गई थी। ग्रामीण और वंचित तबके की कानूनी मदद के लिए शुरू की गई इस सेवा के तहत भूमि विवाद, किरायेदारी और पट्टे के मुद्दे, संपत्ति और विरासत के अधिकार, और बाल विवाह जैसे मसलों पर कानूनी सलाह दी जाती है। टेली-लॉ के मोबाइल एप्लिकेशन (एंड्रॉइड और आईओएस दोनों) को नागरिकों तक आसान और सीधी पहुंच के लिए साल 2021 में लॉन्च किया गया था।

इस मौके पर कानून राज्य मंत्री ने दूरदराज इलाकों में काम करने वाले वीएलई और टेली लॉ के लाभार्थियों से संवाद किया और पुरस्कार वितरण किए। कार्यक्रम के दौरान, टेली-लॉ सेवा का लाभ उठाने वाले लाभार्थियों के अनुभवों पर आधारित पुस्तक का विमोचन किया गया। कार्यक्रम में न्याय विभाग, सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड के अधिकारी, लॉ स्कूलों के तहत गठित प्रो बोनो क्लब के छात्र, डीओजे की विभिन्न भागीदार एजेंसियां, देश में टेली-लॉ लागू करने वाले पैरालीगल स्वयंसेवक, ग्राम स्तर के उद्यमी, पैनल वकील और राज्य समन्वयकों की भागीदारी रही।

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