महिलाओं एवं लड़कियों की आबादी विश्व की कुल आबादी की 49.7℅ हशिये पर

० संवाददाता द्वारा ० 
जयपुर, लैंगिक समानता पर जागरुकता फैलाने के साथ महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के उपायों पर राजनैतिक व सामाजिक रूप से प्राथमिकता देनी चाहिए. महिलाओं एवं लड़कियों की आबादी विश्व की कुल आबादी की 49.7℅ हशिये पर है जो ऐसी समस्या है जो हमें अधिक समृद्ध, शांतिपूर्ण व दीर्घ कालिक भविष्य बनाने से रोकती है. उक्त विचार हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्व विद्यालय, UNFPA व लोक संवाद संस्थान के आयोजित कार्यशाला में उभर कर आए.
 कार्यशाला युवा पत्रकारों को लिंग समानता पर जागरुक करने के लिए आयोजित की गई. वरिष्ठ पत्रकार गोविंद चतुर्वेदी ने कहा कि पत्रकार जज से भी बड़ा होता है क्योंकि लिखे हुए शब्दों का बहुत असर होता है. जो पत्रकार इस भावना से काम नहीं कर सके उनको अपना करिअर बदल लेना चाहिए. चार माह की परियोजना के अंतर्गत युवा पत्रकारों को जेंडर संवेदनशील रिपोर्टिंग करने के लिए तैयार किया जाएगा.
इस कार्यशाला में चालीस चयनित युवा पत्रकारों को जेंडर व मीडिया के विशेषज्ञों द्वारा संबोधित किया गया. कार्यशाला में UNFPA की युवा जेंडर विशेषज्ञ त्रिशा पारीक, ज्योति, महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष डॉ लाड़ कुमारी जैन, प्रोफेसर शोभिता राजगोपाल, वरिष्ठ मीडिया कर्मी हिमांशू व्यास, शालिनी अग्रवाल व लोक संवाद के सचिव कल्याण सिंह कोठारी ने भी संबोधित किया.

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