भारत के 17 राज्य और 365 जिले पानी की कमी का सामना कर रहे हैं

नूरुद्दीन अंसारी 0

ग़ज़ियाबाद ~ सेठ आनंदराम जैपुरिया स्कूल, गाजियाबाद में मैग्सेसे पुरस्कार विजेता जल संरक्षणवादी और पर्यावरणविद् राजेंद्र सिंह की सस्टेनेबलिटी पर एक वार्ता आयोजित की गई।

‘जल संरक्षण के माध्यम से सस्टेनेबलिटी’ पर यह वार्ता सेठ आनंदराम जैपुरिया ग्रुप ऑफ एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस के सभी केंद्रों में चल रहे अभियान ‘जैपुरियंस फॉर सस्टेनेबल इंडिया’ के तहत आयोजित की गई। अध्यक्ष शिशिर जैपुरिया, स्कूल की निदेशक डॉ. नीता बाली और स्कूल की निदेशक प्रिंसिपल शालिनी नांबियार सहित अन्य लोग शामिल थे।

अपने संबोधन में डॉ. बाली ने सस्टेनेबल जिन्दगी के लिए संसाधनों के संरक्षण पर जोर दिया। शिशिर जैपुरिया ने मीठे पानी के भंडार में गिरावट के परिणामस्वरूप वैष्विक जलसंकट की ओर ध्यान आकर्षित किया। “पर्यावरण के प्रति संवेदना हमारे समूह के विजन स्टेटमेंट की बुनियाद है। हमारे नेटवर्क के संस्थान पर्यावरण सुरक्षा के उपाय करने के नए-नए प्रयास कर रहे हंै।’’

अपने व्याख्यान में राजेंद्र सिंह ने कहा कि भारत के प्राचीन ग्रंथों में जल संरक्षण का महत्व बताया गया है। “भारत के 17 राज्य और 365 जिले किसी न किसी रूप में पानी की कमी या फिर सूखे का सामना कर रहे हैं।

160 जिले बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं। ऐसे में समाधान में धरती के नीचे फिर से पानी भरने का उपाय करने और पानी के सदुपयोग सहित जल संरक्षण के सस्टेनेबल प्रबंधन करने में है। हमें मिट्टी के कटाव और गाद बनने से रोकने की दिशा में भी काम करना है। कृषि के स्मार्ट तरीकों को बढ़ावा देने के लिए हमें फसलों के पैटर्न और बारिश के पैटर्न में तालमेल करना होगा।’’

जल संरक्षण के क्षेत्र में राजेंद्र सिंह ने मौलिक काम किया है। उनके अथक प्रयास से 14,800 छोटे बांध और 2,50,000 कुएं बने हैं। उन्हें 2001 में मैग्सेसे पुरस्कार और 2015 में स्टॉकहोम वॉटर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। शालिनी नांबियार ने उपस्थित लोगों का धन्यवाद ज्ञापन किया।

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