तीसरी आजादी के लिए नौजवान उठ खडे़ हों--ज्ञानेन्द्र रावत

० योगेश भट्ट ० 
नयी दिल्ली- लोकनायक जय प्रकाश की जयंती की पूर्व संध्या पर बहादुरशाह जफर मार्ग स्थित कोटला मैदान के समीप लोकनायक स्मृति पार्क में श्रृद्धांजलि सभा का आयोजन लोकनायक जयप्रकाश अंतरराष्ट्रीय अध्ययन विकास केन्द्र के तत्वावधान में सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ। सभा की शुरूआत लोकनायक जयप्रकाश के चित्र के समक्ष अतिथियों द्वारा दीप जलाकर व पुष्पांजलि अर्पण के साथ हुआ। इसके उपरांत समारोह की शुरूआत प्रख्यात नृत्यांगना डा०अनु सिन्हा की टीम की अंशिका भदौरिया द्वारा सरस्वती वंदना की नृत्य नाटिका की भावविहोर कर देने वाली मनोहारी प्रस्तुति के साथ हुयी।
समारोह के प्रारंभ में लोकनायक जयप्रकाश अंतरराष्ट्रीय अध्ययन विकास केन्द्र के महासचिव अभय सिन्हा ने सभी अतिथियों का पटका पहनाकर व पुष्प गुच्छ भेंट कर स्वागत किया और तदुपरांत केन्द्र की स्थापना से लेकर अब तक के क्रियाकलापों, उनके मध्य आ रहे व्यवधानों और लोकनायक की जयंती की पूर्व संध्या पर किये जा रहे इस आयोजन के बारे में विस्तार से जानकारी दीऔर कहा कि आप सभी की भावनाओं और सहयोग के चलते हमारा भरसक प्रयास है कि देश की राजधानी में लोकनायक की स्मृति में एक विचार एवं अनुसंधान केन्द्र की स्थापना हो जिसके लिए हम सभी हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।

 अल्प सूचना के बावजूद आप सबकी यहां भारी संख्या में उपस्थिति हमारे लिए बहुत बडा़ संबल है। हम आप सभी का हृदय से स्वागत करते हैं,अभिनंदन करते है़ं। समारोह में मौजूद वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ताओं, जेपी के अनुयायियों व उनके अंतिम समय में साथ रहे लोगों ने अपने-अपने संस्मरणों को समारोह में साझा किया और जे पी के व्यक्तित्व तथा जीवन के अनछुए प्रसंगों का,पहलुओं का सिलसिलेवार खुलासा करते हुए कहा कि उनके सानिध्य और चरणों में बैठकर आंदोलन के समय में सहभागिता का जो अवसर मिला, वह हमारी अमिट धरोहर है।

इस अवसर पर अखिल भारतीय सेवादल के अध्यक्ष, वयोवृद्ध नेता राम नगीना सिंह ने कहा कि देश आज संक्रमणकाल से गुजर रहा है। वर्तमान राजनैतिक हालात इसके जीवंत प्रमाण हैं। ऐसे दौर में हमें जय प्रकाश के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने और जन-जागरण की बेहद जरूरत है। फिल्म समीक्षक डा० राजीव श्रीवास्तव ने अपने संस्मरण में जेपी पर बन रहे वृत्त चित्र की चर्चा की और उसमें स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के सहयोग का खुलासा किया। भारत-तिब्बत मैत्री संघ के अध्यक्ष आचार्य फंशतोक ने साठ और सत्तर के दशक में जेपी की महत्वपूर्ण भूमिका और कोलकाता व सारनाथ में जेपी के दौरों तथा उस दौरान उनसे किए संवाद की विविधता व उनके सरलतापूर्ण व्यवहार के बारे में बताया।

 सुभाषवादी समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अशोक श्रीवास्तव ने सन 1974 में जेपी के गाजियाबाद आगमन और उस दौरान सभा के प्रचार के तौर-तरीकों व अपनी भूमिका की चर्चा की, वहीं पार्टी के महासचिव जुझारू नेता सतेन्द्र यादव ने कहा कि हम बातें तो गांधी,लोहिया, सुभाष और जेपी की करते हैं लेकिन क्या हम सही मायने में उनके विचारों को अपने जी़वन में उतारने में कामयाब हुए हैं। बालाजी ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस बल्लभगढ़ व सिवान के निदेशक डा० जगदीश चौधरी ने कहा कि मैंने गांधी,लोहिया और जयप्रकाश को देखा तो नहीं लेकिन जहांतक उनके जीवन और व्यक्तित्व-कृतित्व के बारे में पढा़ है,जाना है, 

उसके आधार पर मेरा यह निश्चित मत है कि आज देश के नौजवान को वास्तव में गांधी,लोहिया और जेपी को जानने-समझने की बेहद जरूरत है और मैं यह काम शिक्षा से जुडे़ होने के नाते पूरे मनोयोग से कर रहा हूं ।  शिकागो से आये डा० मुनीश रायजादा ने कहा कि जब से मैंने जेपी को जाना,समझा और आपातकाल से पहले और बाद में उनकी भूमिका को देखा, उस आधार पर मेरा यह निश्चित मानना है कि ऐसे लोग यदा-कदा ही धरती पर अवतरित होते हैं। मैं देश में व्यवस्था परिवर्तन की दिशा में मुझे जेपी विचार के प्रचार और प्रसार में आपके मूल्यवान सहयोग की अपेक्षा है। 

सुप्रसिद्ध विचारक एवं इतिहासकार डा० भगवान सिंह ने तो जेपी के जी़वन के अनछुए प्रसंगों के बारे में बताकर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया, वही इंटक के अध्यक्ष अशोक चौधरी व प्रख्यात पत्रकार प्रसून लतांत ने जेपी के पटना प्रवास और बिहार आंदोलन के दौर के अपने संस्मरणों से सबको अभिभूत कर दिया। समारोह में राष्ट्रीय युवा योजना के समन्वयक सुरेश राठी,पर्यावरणविद सुबोध नंदन सहाय, भारतीय शोषित सेना के अध्यक्ष सुभाष बिहारी, एटा जनपद स्थित अवागढ़ रियासत के कुंवर जितेन्द्र सिंह, प्रख्यात वैज्ञानिक श्याम सुंदर राठी, राष्ट्रीय नेशनलिस्ट पार्टी के महासचिव चंद्रहास मौर्य, 

जनता पार्टी के महासचिव रंजीत सिंह,प्रसिद्ध समाजसेवी एवं शायर पुरुषोत्तम जी, पर्यावरणविद प्रशांत सिन्हा, प्रयास एक आशा की प्रमुख जयश्री सिन्हा एवं सुशील कुमार सिन्हा, फिल्म निर्देशक असलम खान, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता राजेश अरोरा, भूमेंद्र पाल सिंह, रिद्धिमा फाउंडेशन की प्रमुख रजनी श्रीवास्तव, महंत भाई तिवारी, जाने-माने छायाकार योगेश बिष्ट, प्रख्यात पत्रकार सुधांशु रंजन आदि जाने माने समाजसेवियों, राजनीतिक कार्यकर्ताओं,पत्रकारों व पर्यावरण कार्यकर्ताओं की उपस्थिति उल्लेखनीय थी। समारोह में आचार्य फांशुतोक सहित सभी अतिथियों ने केन्द्र के महासचिव अभय सिन्हा को शाल पहनाकर सम्मानित किया।

अंत में अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार, प्रख्यात पर्यावरणविद एवं राष्ट्रीय पर्यावरण सुरक्षा समिति के अध्यक्ष ज्ञानेन्द्र रावत ने अपने भाषण में कहा कि इस आयोजन हेतु पिछले बीस बरसों से जेपी के सपनों का भारत बनाने के अभियान में लगे भाई अभय सिन्हा बहुत बहुत बधाई और साधुवाद के पात्र हैं। इनकी जितनी भी प्रशंसा की जाये वह कम है। सच तो यह है कि देश को सदियों की गुलामी के बाद असंख्य क्रांतिवीरों, महान योद्धाओं, आजादी के आंदोलन के नायकों बहादुर शाह जफर, 

वीर कुंवर सिंह, महारानी लक्ष्मीबाई, नाना साहेब पेशवा, तांत्या टोपे, बेगम हजरत महल, ऊदा देवी, बिरसा मुंडा, तिलका मांझी, सिद्धू-कान्हू, सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुखदेव राजगुरू,अशफाक उल्ला खान, ठाकुर रोशन सिंह, पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, महात्मा गांधी, सरदार बल्लभ भाई पटेल, पंडित जवाहर लाल नेहरू, डा०राजेन्द्र प्रसाद,अरुणा आसफ अली, अच्युत पटवर्धन, जे बी कृपलानी आदि असंख्य बलिदानियों के बलबूते 1947 में आजादी मिली और 1977 में जेपी के नेतृत्व में नौजवानों के भारतीय नवनिर्माण आंदोलन 

और उसके बाद विभिन्न राजनीतिक दलों के आपातकाल के विरुद्ध आंदोलन के पश्चात मिली दूसरी आजादी के बाद भी देश ठगा सा रह गया और नौजवानों के सपने सपने ही रह गये। लोकनायक जय प्रकाश इसी पीडा़ के साथ स्वर्ग सिधार गये। इसलिए जरूरी है कि उनके सपनों को पूरा करने हेतु आप सब एकजुट हों। संख्या बल से लडा़ई नहीं जीती जाती। देश को आप सबसे बहुत आशायें हैं। आइये हम सब संकल्प लें कि हम व्यवस्था परिवर्तन के जेपी के अधूरे सपनों को साकार करने के लिए कोई कोर कसर नहीं रखेंगे तभी जेपी की आत्मा को शांति मिलेगी।  समारोह के कुशल संचालन हेतु सभी अतिथियों सहित उपस्थित जनों ने कवि एवं साहित्यकार कैप्टन गोपाल सिंह को बधाइयां दीं और उनकी दीर्घायु की कामना की।

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