मंगलम प्लस मेडिसिटी में आधुनिक कैथ लैब एवं नवीन तकनीकों से जटिल हार्ट ब्लॉकेज का इलाज

० आशा पटेल ० 
जयपुर। ह्रदय रोगियों के इलाज के लिए मंगलम प्लस मेडिसिटी हॉस्पिटल में हृदय रोग विभाग का विस्तार हुआ है। इसमें राजस्थान के वरिष्ठ एवं अनुभवी विशेषज्ञ शामिल किये गये हैं।  इलाज के लिए उपयोग में ली जा रहीं नवीनतम तकनीकें भी शामिल की गई हैं जो राजस्थान के गिने चुने अस्पतालों में उपलब्ध है। जिससे मरीजों को हृदय रोगों का विश्वस्तरीय ट्रीटमेंट अब जयपुर में ही आसानी से संभव हो पा रहा है।  हॉस्पिटल में हृदय रोग विभाग के विशेषज्ञों ने मरीजों के इलाज में उपयोग ली जा रहीं नवीनतम तकनीकों के बारे में जानकारी दी।

हॉस्पिटल के हृदय रोग विभाग के चेयरमैन डॉ. दीपेंद्र भटनागर ने बताया कि मंगलम प्लस मेडिसिटी हॉस्पिटल अब राजस्थान के अत्याधुनिक सुपर स्पेशियलिटी संस्थानों में से एक है। यहां उत्तर भारत की सबसे बेहतर कैथ लैब है जहां हृदय रोग उपचार के सर्वश्रेष्ठ उपकरण उपलब्ध है , जिनमे लेजर (एल्का), रोटा प्रो, ओसीटी, आइवस, एफएफआर, तथा आईवीएल शामिल हैं। इनसे अत्याधिक कैल्शियम के साथ रुकावट वाले ब्लॉकेज भी कम से कम डाई के साथ सफलतापूर्वक खोले जा सकते हैं।

इस अवसर पर विभाग के डायरेक्टर डॉ. ऋषभ माथुर ने कहा कि हॉस्पिटल में अब हर प्रकार की जटिल एवं प्राइमरी एंजियोप्लास्टी संभव है। साथ ही पुराने 100 प्रतिशत ब्लॉकेज में भी सफलतापूर्वक स्टेंट्स डाले जा सकते हैं। दिल की धड़कन से जुड़ी बीमारियों के इलाज के लिए एआईसीडी, सीआरटीडी, पेसमेकर इंप्लांट भी संभव है। दिल में छेद होने पर नॉन सर्जिकल विधि से ही डिवाइस क्लोजर द्वारा उपचार किया जा सकता है।

इस अवसर पर सीनियर इंटरवेंशन कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. नरेन्द्र कुमार बैरवा ने कहा कि हॉस्पिटल में 24 घंटे कार्डियक इमरजेंसी का तुरंत एवं एडवांस मैनेजमेंट विश्व मानकों पर किया जाता है। बाइफर्केशन स्टेंटिंग तकनीक, रोटाबलेशन, लेजर, आवीएल द्वारा जटिल एंजियोप्लास्टी को संभव कर बाइपास सर्जरी के विकल्प में स्टेंट द्वारा ही बेहतर इलाज किया जा सकता है। इस अवसर पर डॉ अभिषेक पंचोली ने भी हॉस्पिटल में उपलब्ध सुविधाओ के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

मंगलम ग्रुप के चेयरमैन एन.के. गुप्ता ने कहा कि हमारा प्रयास है कि आमजन तक ये सुविधाएं ज्यादा से ज्यादा पहुंचे जिससे हार्ट अटैक, क्रोनिक कोरोनरी आर्टरी डिजीज का समय पर एवं विश्व स्तरीय ट्रीटमेंट हो सके एवं सडन कार्डियक डेथ ( हृदयाघात से अचानक मृत्यु) जैसी समस्याओं में कमी आए।

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