सांसदों का निलंबन लोकतंत्र के लिए आपातकाल का पूर्वाभ्यास : अजय खरे

० आशा पटेल ० 
रीवा । समता संपर्क अभियान के राष्ट्रीय संयोजक अजय खरे ने कहा है कि संसद की सुरक्षा में सेंधमारी के सवाल पर दोनों सदनों में विरोध का सुर मुखर करने वाले सांसदों की आवाज सुनने के बजाय लोकसभा के 33 और राज्यसभा के 34 विपक्षी सांसदों की सदस्यता एक झटके में निलंबित करना भारतीय संसदीय लोकतंत्र को कलंकित करने वाली कार्रवाई के साथ मोदी सरकार का आपातकाल का पूर्वाभ्यास है। खरे ने कहा कि मोदी सरकार के शासनकाल को शुरूआती दौर से ही अघोषित आपातकाल कहा जा रहा है। इस दौरान संवैधानिक संस्थाओं का बेहद कमजोर बना दिया गया है ।

 ये सभी केन्द्र सरकार की कठपुतलियां बन गई है। सही व्यक्ति का चयन नहीं हो रहा है। भारत निर्वाचन आयोग का काम देश में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराकर लोक कल्याणकारी सरकार का गठन करवाना है लेकिन उसके सदस्यों के चयन के मामले में सत्ता पक्ष और विपक्ष के साथ में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को रखने की आवश्यकता को खत्म किया जाना अत्यंत आपत्तिजनक बात है।  खरे ने कहा कि ईवीएम को लेकर पूरे देश का जनमानस सशंकित है। पता नहीं क्यों मतपत्र से मतदान कराने की बात को मोदी सरकार और चुनाव आयोग बार बार खारिज कर रहा है। 

 खरे ने कहा कि दुनिया के अधिकांश देशों में ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर उठे सवालों के चलते मतपत्र से मतदान कराया जा रहा है वहीं भारत में उसे बनाए रखना लोकतंत्र के लिए घातक और तानाशाही मानसिकता को बढ़ावा है। श्री खरे ने कहा कि देश के करोड़ों लोगों को रोजगार के सवाल पर भ्रमित रखा गया है। दो करोड़ रोजगार देने की बात भी 15 लाख रुपए देने की तरह जुमला बन गई है। संसद की सुरक्षा में हुई चूक निश्चित रूप से चिंताजनक है लेकिन मोदी सरकार का इस मामले पर चर्चा से भागना अत्यंत गैरजिम्मेदाराना क़दम है।

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