स्वामी चिदानन्द सरस्वती उत्तराखंड गौरव सम्मान से सम्मानित

० योगेश भट्ट ० 
ऋषिकेश : परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती को उत्तराखंड गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया। देवभूमि उत्तराखंड के प्रथम मुख्यमंत्री स्व नित्यानन्द स्वामी की जयंती के अवसर पर श्री नित्यानन्द स्वामी जनसेवा समिति, देहरादून द्वारा पुरस्कार प्रदान किया गया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने देवभूमि उत्तराखंड के प्रथम मुख्यमंत्री स्व नित्यानन्द स्वामी की जयंती के अवसर पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कहा कि कई बार लोग अपने वस्त्र बदल लेते हैं परन्तु विचारों को नहीं बदल पाते, बात विचारों को बदलने की है; 
किरदारों को बदलने की है और उसी पर ध्यान दिया हमारे स्वामी नित्यानन्द ने। जो दूसरों के लिये जीते हैं उनका स्मरण होता है और जो अपने लिये जीते हैं उनका मरण होता है। इतिहास वे लोग नहीं लिखते जो लकीरों पर चलते हैं बल्कि वे लोग लिखते हैं जो देखते है कि लकीरों के बीच में क्या है, ऐसे ही चलकर हमारे महापुरूषों ने इतिहास लिख दिया। उत्तराखंड के इतिहास और राजनीति के क्षेत्र में नित्यानन्द स्वामी ने एक अद्भुत पहचान स्थापित की हैं। उन्होंने हिन्दी को उसकी वास्तविक गरिमा प्रदान करने के लिये भी विलक्षण कार्य किये, वे पहाड़ के दर्द को महसूस करते थे, पहाड़ व पहाड़वासियों के लिये उनके हृदय में अत्यंत वेदना थी। उनकी राष्ट्र भक्ति व राष्ट्रप्रेम को नमन।
स्वामी ने कहा कि आज देश के पास सोच भी है, संस्कार भी है, संकल्प भी है और समर्पण भी है। ऐसे व्यक्तित्व देश के पास है जिनकी वजह से बहुत कुछ बदल रहा है; भारत बदल रहा है; भारतीय बदल रहे हैं और भारतीय संस्कृति का स्वरूप बदल रहा है   उत्तराखंड गौरव पुरस्कार ग्रहण करते हुये कहा कि उत्तराखंड ही नहीं बल्कि पूरे भारत का गौरव है देवात्मा हिमालय और माँ गंगा। हिमालय है तो गंगा है, हिमालय है तो हम है इसलिये इस पुरस्कार के साथ स्वयं को भी माँ गंगा व हिमालय को समर्पित करते हैं ताकि सभी को प्राणवायु ऑक्सीजन देने वाला हमारा देवात्मा हिमालय और भारत की बड़ी आबादी को जीवन व जीविका देने वाली माँ गंगा स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त रह सकें।

 भारत में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक हर क्षेत्र अपनी विशिष्टता, विविधता और अद्भुत संस्कृति के लिये विख्यात है। भारत का रेगिस्तान हो या सदानीरा नदियाँ, हिमालय हो या फिर ग्लेशियर सभी मन को शान्ति देते है। भारत की नदियों और पर्वत श्रृंखला ने जनमानस को न केवल अपनी ओर आकर्षित किया है बल्कि संबल भी प्रदान किया है। माँ गंगा और हिमालय ने भारत को एक उत्कृष्टता प्रदान की है। उत्तराखंड के पास अनेक मनमोहक सांस्कृतिक और प्राकृतिक विविधता से युक्त ऐतिहासिक विरासतें हैं जिन्हें सुरक्षित रखना हमारा कर्तव्य है।

 वास्तव में निस्वार्थ भाव से दूसरों की सेवा करना ही भारतीय संस्कृति का मूल मंत्र है और यही मानवता की सेवा भी है। दुनिया में ऐसे कई महापुरूष हुये जिन्होंने दूसरों की सेवा के लिये अपने प्राणों की आहुति दे दी। प्रत्येक मनुष्य को गरिमापूर्ण जीवन देने, समाज के हर वर्ग और प्रत्येक व्यक्ति के जीवन स्तर में सुधार करने हेतु भारतीय सनातन संस्कृति का सूत्र ‘सेवा ही साधना है’ को अंगीकार करना होगा ताकि हमारे ऋषियों और महापुरूषों द्वारा प्रदान की गयी यह दिव्य संस्कृति जीवंत व जागृत बनी रहे।

इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती को ’’उत्तराखंड गौरव सम्मान’’, राज्यसभा सांसद नरेश बंसल को ‘‘स्वच्छ राजनीतिज्ञ सम्मान’’, पद्मश्री डा माधुरी बड़थ्वाल को ’सांस्कृतिक संपदा अलंकरण’, कुलाधिपति स्वामी राम हिमालयन यूनिवर्सिटी, डा विजय धस्माना को ’शिक्षाविद् अलंकरण’, सीईओ रामपीर इंडस्ट्रीज कॉपोरेशन दर्शन सांखला को ’उद्योग अलंकरण’, आहूजा पैथोलॉजी, डा अलका आहूजा  को ’चिकित्सा सेवा अलंकरण’ से सम्मानित किया गया।

स्वच्छ राजनीतिज्ञ सम्मान समाारोह-2023 कार्यक्रम में वित्त, शहरी विकास, आवास व संसदीय कार्य मंत्री  प्रेमचन्द्र अग्रवाल ,  निवर्तमान महापौर, देहरादून सुनील उनियाल गामा , अध्यक्ष बाल अधिकार संरक्षण आयोग डा श्रीमती गीता खन्ना , पूर्व उपाध्यक्ष लोकसभा, चरणजीत सिंह अटवाल , विधायक, सहसपुर सहदेव पुंडीर , अध्यक्ष बाल अधिकार संरक्षण आयोग डा श्रीमती गीता खन्ना और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने सहभाग किया। अध्यक्ष नित्यानन्द स्वामी जनसेवा समिति, आर के बक्शी , उपाध्यक्ष ज्योत्सना शर्मा ,  विनायक शर्मा स्वामी और पूरी टीम को रूद्राक्ष का पौधा आशीर्वाद स्वरूप भेंट किया।

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