एक शाम,डॉ. लालित्य ललित के नाम

० योगेश भट्ट ० 
मई दिल्ली -  साहित्यिक संस्था दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन ने व्यंग्यकार लालित्य ललित पर वर्ष के अंत में विशेष संध्या का आयोजन किया। मुख्य वक्ता आचार्य राजेश कुमार ने कहा,"लालित्य ललित की अपनी शैली है, जो उन्होंने अपने श्रम से विकसित की है। आज के दौर में वे बहुपठित व्यंग्यकार हैं। उनका रचना संसार बड़ा है और निरंतर सक्रिय भाव से वे अपने लेखन के प्रति प्रतिबद्ध हैं। उनका व्यापक परिवेश है।
उनका मुख्य पात्र है - विलायती राम पांडेय, जिसके माध्यम से वे वर्तमान दौर की विसंगतियों और विद्रूपताओं का सूक्ष्म अन्वेषण करते हैं। उनका अपने कर्तव्य के प्रति दायित्वबोध ही उन्हें मुखर बनाता है। वे चेतन और अवचेतन मन के बीच की मनोभूमि तैयार करते हैं। उनकी भाषा का आत्मिक सौंदर्य पाठकों को बाँधे रखने में सक्षम है।"

डॉ. संजीव कुमार ने कहा,"लालित्य ललित ने विलायती राम पांडेय को देश का 'मिकी माउस' बना दिया है। उनका लेखन आम जनमानस की बात करता हुआ नजर आता है। उन्होंने व्यंग्य और कविता का 'कॉम्बो' प्रस्तुत किया है।"संजीव ने लालित्य ललित के विभिन्न पक्ष रखते हुए उनके लेखन पर धारदार चर्चा की। उन्होंने लालित्य ललित को चेतना पुरुष की संज्ञा से सुशोभित किया। यह कहने में अतिशयोक्ति नहीं है कि लालित्य ललित का लेखन वैविध्य पूर्ण है। वे सबको साथ ले कर चलते है, जो उनकी विशेषता है।

पालमपुर (हिमाचल प्रदेश) से आमंत्रित चंद्रकांता ने लालित्य ललित के व्यंग्यों के शिल्प पर बोलते हुए,अपने वक्तव्य में कहा,"लालित्य ललित के व्यंग्य लेखन में समरसता दिखाई देती है; बतौर लेखक उन्होंने अपने पाठकों का स्नेह अर्जित किया है। ललित जी का लेखन एक सजग रिपोर्टर की तरह है, जो सामाजिक व्यवस्था को दर्शाता है। उनके व्यंग्य लेखन में चौपाल चित्रण भी दिखाई देता है, जो जीवन की जड़ता को तोड़ता है। मैं कहना चाहूँगी कि उनका लेखन पाठकों को बाँधे रखता है।

 उनके विषय और शैली आज के मौजूदा दौर से अलग है।बल्कि कहना चाहिए कि उनके पात्र किसी मंचीय व्यवस्था की मानिंद हैं, जो बेहद सक्रिय हैं । उनका लेखन आँखों देखी भाषा में है, जो उनके लेखन को बहुत ज्यादा प्रामाणिक बनाता है। उनके लेखन में देशज शब्दों के अलावा,अंग्रेजी के साथ पंजाबी का भी टच मिलता है। इनकी व्यंग्य शैली का मूल स्वर करुणा है। यदि हमें आम आदमी के जीवन से परिचित होना है, तो लालित्य ललित के व्यंग्य को पढ़ना चाहिए।"

भिवाड़ी से कथाकार रेणुका अस्थाना ने कहा, "लालित्य ललित का व्यंग्य लेखन उनकी अपनी जिंदगी से उठाए गए विषय हैं। इनके व्यंग्य में मानवीय मनोविज्ञान की एक सहज अभिव्यक्ति है। लालित्य ललित का लेखन विलक्षण है, जो मुझे बेहद पसंद है।"कार्यक्रम में लालित्य ललित ने अपने व्यंग्य के कुछ कविताओं का वाचन भी किया, जिसे श्रोताओं ने मन से सुना।

 संस्था की अध्यक्ष वरिष्ठ गीतकार इंदिरा मोहन ने कहा, "आज की सांझ ललित पर केंद्रित रही, जिसमें जिंदगी की वास्तविकता उजागर हुई। मैं कृतज्ञ हूँ, आज की शाम सार्थक रही। डॉ. लालित्य ललित के रचना संसार के माध्यम से हमें अपने चेहरे दिखाई दिए।" उन्होंने संस्था के कोषाध्यक्ष स्व. सुरेश खंडेलवाल जी के निधन का दुखद समाचार देकर उनकी आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखवाया।

आरंभ में संस्था की ओर से स्वागत उद्बोधन संस्था के महामंत्री प्रो रवि शर्मा 'मधुप' ने किया।उल्लेखनीय साहित्यकारों में डॉ. नीलम वर्मा, डॉ. सुधा शर्मा 'पुष्प', डॉ. रंजना अग्रवाल, सरिता गुप्ता, रामगोपाल शर्मा, प्रदीप कुमार, डॉ प्रीता कौशिक, कुमार सुबोध, प्रेम कुमार शर्मा सहित अनेक लेखक और बुद्धिजीवी मौजूद थे। कार्यक्रम के अंत में आभार वक्तव्य संस्था के प्रबंध मंत्री आचार्य अनमोल ने दिया। कार्यक्रम का प्रभावी संचालन साहित्यकार रणविजय राव ने किया।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

"मुंशी प्रेमचंद के कथा -साहित्य का नारी -विमर्श"

गांधी जी का भारतीय साहित्य पर प्रभाव "

“द ग्रेट इंडियन ट्रेवल बाजार 2024“ का आयोजन 5 से 7 मई जयपुर में

हस्तशिल्प आर्टीजंस के प्रमोशन हेतु हुआ फ्लो जयपुर चैप्टर का ' जयपुर आर्ट फेयर

इशरे का बिल्डिंग सेक्टर में स्थिरता को बनाये रखने हेतु हुआ सम्मेलन