साहित्य में मानवीय मूल्यों के संवर्धन का प्रयास होना चाहिए-संतोष श्रीवास्तव

० मुज़फ्फर सिद्दीकी ० 
भोपाल - अंतर्राष्ट्रीय विश्वमैत्री मंच का अभिनव आयोजन, कहानी संवाद - दो कहानी दो समीक्षक गूगल मीट पर आयोजित किया गया। इस मौके पर अपने वक्तव्य में अंतर्राष्ट्रीय विश्वमैत्री मंच की संस्थापक अध्यक्ष संतोष श्रीवास्तव ने कहा कि "हिंदी साहित्य, उत्तरोत्तर समृद्ध हो रहा है। संसार को यदि किसी ने समृद्ध किया है तो वह साहित्य ही है। साहित्य में मानवीय मूल्यों के संवर्धन का प्रयास होना चाहिए। कहानी ने हमेशा चुनौतियों का सामना किया है।"

मुख्य अतिथि राज बोहरे ने मनीष वैद्य की कहानी, "अब्दुल मजीद की मिट्टी', की विस्तार से विवेचना करते हुए कहा कि यह कहानी हुनर मंद लोगों की कहानी है। हुनर मंद लोग अब यहां से हकाले जा रहे हैं। यह उस वर्ग की कहानी है जिनसे, उनके हाथ का काम छीन कर हाशिये की ज़िन्दगी जीने पर मजबूर किया गया। वसुधा सहस्त्र बुद्धे की कहानी 'संगम', अपने आप में एक अलग कहानी है। कहानी भी इतिहास का ही एक रूप होती है। जो हमें उस काल खंड में ले जाती है। काल जो ज़ख़्म देता है उसका कोई इलाज नहीं।"

अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार प्रकाश कांत ने दोनों कहानियों की विवेचना करते हुए अपने उद्बोधन में इस बात को विशेष तौर से रेखांकित किया कि "अब ख़त्म कुछ नहीं होगा। हम कहानियों के ज़रिये बहुत कुछ बचा ले जाएंगे। सारे विध्वंस के बीच भी मानवता को बचाने की कोशिशें किस तरह जारी हैं यह सबक हमें 'संगम' कहानी से मिलता है। मनीष वैद्य की कहानी पर आपने बहुत विस्तार से बात की। आपने कहा कि आज के युग में हमारे सामने अनेक चुनौतियां हैं। अनेक संकट हैं जिस का सामना किसी न किसी रूप में हमें करना पड़ता है।

जैसे रोज़गार का संकट, भीतर की टूट -फूट का संकट और सबसे बड़ा तो पहचान का वह संकट जिसमें आदमी अपने पहचाने जाने को ही रद्द कर दे। यही संकट मनीष वैद्य की कहानी 'अब्दुल मजीद की मिट्टी' , में देखने को मिलता है। यह कहानी समाज की अनेक समस्याओं को उजागर करती है। इस कहानी गोष्ठी में मानवता को बचाए रखने के लिए विशेष प्रयास की ज़रूरत पर ज़ोर दिया गया।

श्रोताओं में देश - विदेश से अनेक वरिष्ठ साहित्यकार, पत्रकार एवं कहानी के पाठकों का एक बड़ा वर्ग उपस्थित था जो केवल कहानी सुनने आया था। मुज़फ़्फ़र सिद्दीकी ने सञ्चालन करते हुए अपनी भूमिका में कहा कि "हिंदी कहानी की विकास यात्रा आज अपने चरम पर है।" सभी का आत्मीय स्वागत मध्यप्रदेश इकाई की निदेशक जया केतकी शर्मा ने किया तो उत्तर प्रदेश इकाई की अध्यक्ष अलका अग्रवाल ने सभी उपस्थित जनों के प्रति इस गोष्ठी को सफल बनाने के लिए आभार प्रकट किया।

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