लोकतंत्र भारत की जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा : लोकसभा अध्यक्ष

० अशोक चतुर्वेदी ० 
विधायक केवल अपने क्षेत्र के मुद्दों और समस्याओं तक ही सीमित नहीं रहें बल्कि उन्हें राज्य के प्रमुख मुद्दों पर व्यापक रूप से चर्चा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को प्रतिपक्ष के मुद्दों पर भी गंभीरता से विचार करना चाहिए। सदन में गतिरोध को अनुचित बताते हुए कहा कि सार्थक चर्चाओं से ही सरकार के कामकाज में जवाबदेही और पारदर्शिता आ पाएगी।
जयपुर । लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सदनों में सार्थक चर्चाएं होने से ही जनता के हित में बेहतर परिणाम आएंगे। यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि जन आकांक्षाओं पर खरा उतरें और जनकल्याण का दायित्व निभाएं। पक्ष-विपक्ष मिलकर जनता के हित में कार्य करेंगे तो ही राज्य को विकास के पथ पर अग्रसर कर पाएंगे। लोकसभा अध्यक्ष राजस्थान विधानसभा में नवनिर्वाचित विधायकों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने सत्र की अध्यक्षता की जबकि मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।
लोकसभा अध्यक्ष ने नवनिर्वाचित विधायकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जनता ने इस विश्वास के साथ आपको चुनकर भेजा है कि आप अपने संवैधानिक दायित्वों का भली प्रकार से निर्वहन करेंगे। विधायक जितना अधिक समय सदन में देंगे, वे उतनी ही अधिक तार्किकता से अपनी बात रख पाएंगे। उन्होंने कहा कि राजस्थान विधानसभा की गौरवशाली परम्पराएं और परिपाटियां रहीं हैं। यह देश के अन्य विधान मंडलों के लिए भी मार्गदर्शक की भूमिका निभाती रही है। 

उन्होंने कहा कि यह साबित हो चुका है कि लोकतंत्र ही शासन की सर्वश्रेष्ठ पद्धति है और यह भारत की जीवनशैली का हिस्सा रही है। लोकतंत्र की कार्यशैली हमारे विचारों और कार्यों में भी झलकती है। हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं पूरी दुनिया के लिए मिसाल है। बिरला ने कहा कि विधायक केवल अपने क्षेत्र के मुद्दों और समस्याओं तक ही सीमित नहीं रहें बल्कि उन्हें राज्य के प्रमुख मुद्दों पर व्यापक रूप से चर्चा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को प्रतिपक्ष के मुद्दों पर भी गंभीरता से विचार करना चाहिए। बिरला ने सदन में गतिरोध को अनुचित बताते हुए कहा कि सार्थक चर्चाओं से ही सरकार के कामकाज में जवाबदेही और पारदर्शिता आ पाएगी।

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि
 अब समय आ गया है कि हम नई तकनीकों को अपनाएं। हम जितना अधिक तकनीक का उपयोग करेंगे उतना ही बेहतर संवाद कर पाएंगे। बिरला ने कहा कि विधानसभा में प्रश्न लगाने की प्रक्रिया ऑनलाइन तथा विधानसभा पेपरलेस होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विधान मंडल का प्रमुख कार्य कानून बनाना है। कानून और नियम बनते समय सदस्यों को विशेष रूप से ध्यान देकर व्यापक चर्चा करनी चाहिए। कानून पर जितनी अधिक चर्चा होगी, वह उतना ही कल्याणकारी और प्रभावी बनेगा।

विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि सोलहवीं विधानसभा में प्रथम बार निर्वाचित सदस्यों के लिए प्रबोधन कार्यक्रम अधिक महत्वपूर्ण है। उन्हें इससे लोकहित के मुद्दे उठाने, विधेयक पारित कराने तथा अन्य प्रक्रियाओं की जानकारी मिलेगी। विभिन्न सत्रों में विषय विशेषज्ञों द्वारा दी गई जानकारी से संसदीय कार्यप्रणाली के बारे में उनकी समझ बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि सदन में मर्यादित आचरण और सदन का समय बहुत महत्वपूर्ण है। सदन की कार्यवाही सुचारू रुप से चलाना पक्ष और विपक्ष की सामूहिक जिम्मेदारी है।

 देवनानी ने कहा कि सदन में जनता की समस्याएं उठाने के लिए आपको पूरा समय मिलेगा, लेकिन सदन की कुछ मर्यादाएं भी हैं जिनका आपको पालन करना होगा।  विधानसभा में 21 समितियां गठित होती हैं, जिनका सदस्य और सभापति बनने का अवसर विधायकों को मिलेगा। उन्होंने कहा कि ये समितियां शक्तिशाली होती हैं, इन्हें और अधिक प्रभावी बनाना आप पर निर्भर है। उन्होंने विधायकों से इन समितियों में सक्रिय रूप से भूमिका निभाने का आह्वान किया।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि विभिन्न सत्रों में हुई सार्थक चर्चा में संसदीय प्रक्रियाओं, विधियों, कार्य संचालन नियमों और समितियों के कार्यों की जानकारी से हमें प्रदेश के विकास के लिए दिशा मिली है। कार्यक्रम में वरिष्ठ विशेषज्ञों द्वारा साझा किए अनुभवों से हमें सदन के बहुमूल्य समय का सर्वोत्तम उपयोग करने में मदद मिलेगी।  शर्मा ने उपराष्ट्रपति के उद्बोधन का उल्लेख करते हुए कहा कि सदन को चलाने की जिम्मेदारी पक्ष और विपक्ष दोनों की होती है। इसलिए हमारा आचरण अनुकरणीय और आदर्श होना चाहिए। हमें भारत की संविधान सभा से प्रेरणा लेनी चाहिए। 

 सदन के सदस्यों की तरफ से उपराष्ट्रपति को विश्वास दिलाया कि सदन उनकी उम्मीदों पर खरा उतरेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि विधानसभा की कार्यप्रणाली में पारंगत होने के लिए निरंतर सीखते रहना चाहिए। जनप्रतिनिधि के रूप में हमें जनहित के मुद्दों को नियमों के तहत उठाना चाहिए। संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने सभी का आभार व्यक्त किया। विधानसभा अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री ने पौधा भेंट कर लोकसभा अध्यक्ष का स्वागत किया। विधानसभा अध्यक्ष देवनानी ने लोकसभा अध्यक्ष एवं संसदीय कार्य मंत्री ने मुख्यमंत्री को स्मृति चिह्न भेंट किया। 

प्रबोधन कार्यक्रम के दौरान विशेषज्ञों ने छह विभिन्न सत्रों में नवनिर्वाचित विधायकों को सदन के कार्य संचालन, प्रक्रियाओं एवं नियमों की जानकारी दी। पहले सत्र में लोकसभा सांसद डॉ. सत्यपाल सिंह तथा राजस्थान विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष राव राजेन्द्र सिंह ने सदस्यों को सदन की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियम तथा सदन में आचरण संसदीय परम्पराओं के विषय में जानकारी दी।  सत्यपाल सिंह ने कहा कि सदस्यों को सदन में मर्यादित आचरण करना चाहिए और उनकी वाणी में ज्ञान और तर्क के साथ भावना का भी मिश्रण होना चाहिए। सदन लोकतंत्र का शिरोधार्य मंच और यहां की गरिमा लोकतंत्र का मान है। उन्होंने कहा कि लोकहित की मर्यादा का ध्यान रखकर सदस्य अपने आचरण से इसे प्रतिपादित करें।

 सत्र में संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने सदस्यों को प्रश्नकाल एवं शून्यकाल के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि प्रश्नकाल और शून्यकाल बहुत महत्वपूर्ण है जिनके माध्यम से जनता के मुद्दों को उठाया जा सकता है।  पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी ने संसदीय समितियों एवं उनकी कार्य प्रणालियों के बारे में विधायकों से चर्चा करते हुए कहा कि विधायकों को समितियों में अपनी भागीदारी बढ़ानी चाहिए क्योंकि जनप्रतिनिधि अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन प्रभावशाली ढंग से कर गुड गवर्नेंस में प्रभावी योगदान दे सकते हैं।

 राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से संसदीय विशेषाधिकार एवं विधेयक पारण प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विधानसभा का मूल कार्य विधान बनाने का है। उन्होंने सदस्यों को विभिन्न प्रकार के विधेयकों के बारे में विस्तार से समझाया। पंचम सत्र में पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के विधायी मामलों के विशेषज्ञ चक्षु राय ने बजट प्रबंधन एवं कटौती प्रस्तावों के बारे में सदन को अवगत कराया। 

उन्होंने कहा कि बजट से सरकार के आर्थिक हालात के बारे में जानकारी मिलती है और विकास के बारे में उसके दृष्टिकोण के बारे में भी पता चलता है।  लोकसभा सांसद राजेन्द्र अग्रवाल ने संसदीय प्रस्तावों के विषय पर चर्चा की। उन्होंने स्थगन प्रस्ताव, अविश्वास प्रस्ताव तथा विशेष उल्लेख के प्रस्ताव सहित अविलम्बनीय लोक महत्व के विषयों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

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