सूफी गायक कैलाश खेर और कैलाशा बैंड ने 75 से अधिक देशों से आये योग साधकों के सामने प्रस्तुति दी

० योगेश भट्ट ० 
ऋषिकेश।  सूफी गायक कैलाश खेर और कैलाशा बैंड ने परमार्थ निकेतन में विश्व के 75 से अधिक देशों से आये योग साधकों के सामने अपनी प्रस्तुति दी । कैलाशा बैंड से सभी को अद्भुत नृत्य योग कराया। कैलाश खेर ने कहा कि कोई सोच भी नहीं सकता कि ऋषिकेश में एक ’मिनी वल्र्ड’ देखने को मिलेगा। यहां पर अनेकों देशों से आये लोग मिलकर योग कर रहे हैं, ध्यान लगा रहे हैं और भारतीय परम्परा और परिधानों का आनंद ले रहे हैं। वास्तव में यहां आकर लोग अद्भुत शान्ति, प्रेम और सद्भाव को जी रहे हैं। योग में योग (लोगों को जोड़ने) की अद्भुत शक्ति है।
मैं आने वाले अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में एक-दो दिनों के लिये जरूरी आऊँगा। मुम्बई में रहने के बाद जब भी परमार्थ निकेतन आता हूँ वास्तव में यहां आकर लगता है जैसे हम शान्ति से युक्त किसी और दुनिया में जी रहे हैं। वे भी बाकी ऋषिकुमारों की तरह ही यहां पर पीले कपड़े पहन कर आरती में भजन गाते थे। उन्होंने कहा कि जैसे पहले मुझे गंगा माँ का आशीर्वाद मिला उसी तरह अब भी गंगा जी का आशीर्वाद लेकर पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति की गंगा प्रवाहित करने जा रहा हूँ। मैं आज जो भी हूँ वह इसी दिव्य तट का कमाल है और स्वामी जी का आशीर्वाद है।

इस बार अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में भारत के कई राज्यों के स्कूल और काॅलेज जाने वाले युवाओं के ग्रुप ने भी सहभाग किया। तवांग बौद्ध मठ, अरूणाचल प्रदेश से बच्चों और बौद्ध लामा ने स्वामी जी से भेंट की। बच्चों ने अपनी आध्यात्मिक जिज्ञासाओं को समाधान प्राप्त किया तथा भविष्य में उन्हें क्या बनना है, और अपने सपनों के विषय में चर्चा की। बच्चों ने प्रसन्नता व्यक्त की कि उन्हें योग महोत्सव में सहभाग की स्वीकृति प्रदान की। सभी बच्चों ने स्वामी जी और कैलाश खेर के साथ ’’बुद्धं शरणं गच्छामि, धम्मं शरणं गच्छामि, संघं शरणं गच्छामि’ का स्व श्वर उच्चरण किया स्वामी जी ने कहा कि ’एस धम्मो सनंतनो’ अर्थात यही है सनातन धर्म।

 कहा कि जब युवा पीढ़ी भारतीय संस्कृति, संस्कार और सनातन से जुड़ने के लिये उत्सुक होती है तो वास्तव में उस राष्ट्र का भविष्य एक स्वर्णीम युग की ओर अग्रसर होने लगता है। वर्तमान समय में भारत के पास एक ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति की ध्वजा को लहरा रहे हैं। वास्तव में यह समय भारत का स्वर्णीम काल है।

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