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कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में सहयोग देने के लिए ‘स्टेज़ फॉर सरवाईवर्स’ अभियान लॉन्च

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नयी दिल्ली । लोगों के स्वास्थ्य पर आए इस अप्रत्याशित संकट के समय हैल्थकेयर समुदाय को सहयोग देने के लिए मेकमाईट्रिप (NASDAQ: MMYT), ने ‘स्टेज़ फॉर सेवियर्स’ अभियान लॉन्च किया है, जिसका उद्देश्य कोविड-19 से अग्रिम कतार में लड़ाई लड़ रहे मेडिकल कर्मियों को अस्थायी आवास उपलब्ध कराना है। यह अभियान होटल चेन एवं स्वतंत्र होटलों के साथ साझेदारी में प्रस्तुत किया गया है, जो 26 राज्यों एवं 4 केंद्रशासित प्रदेशों में काम कर रहे हैल्थकेयर क्षेत्र के इन नायकों का सहयोग करने के लिए एकजुट हुए हैं। यह अभियान मेडिकल प्रैक्टिशनर्स को मेकमाईट्रिप ऐप पर भारत के 200 शहरों में स्थित 900 से ज्यादा होटलों में कमरे देखकर उन्हें बुक करने की सुविधा देगा। ‘स्टेज़ फॉर सेवियर्स’ अभियान द्वारा अनेक प्रतिष्ठित होटल चेन, जैसे द पार्क होटल्स, आईएचजी, जिंजर होटल्स, ट्रीहाऊस, लेमन ट्री होटल्स, ओयो होटल्स, कीज़ ग्रुप, सरोवर होटल्स, रॉयल ऑर्किड, सिट्रस ग्रुप, इंटैलिस्टे, जुस्टा, गोल्डन टुलिप होटल्स चेन, लीव्यू ग्रुप एवं सैकड़ों स्वतंत्र होटल्स ने भारत में स्वास्थ्यकर्मियों के लिए विशेष थैंकयू दरों पर होटल के कमरे देना शुरू किया

" लाल चुनरी "

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सुरेखा शर्मा ,लेखिका /समीक्षक "जोर से बोलो ,जय माता दी,  सारे बोलो••• जय माता दी, मैं नहीं सुणया जय माता दी •••जयकारा ए शेरां वाली दा••••"आगे से किसी भक्त ने जोर से आवाज लगाई तो पीछे से भी सुर में सुर मिल गया और सब जोर से बोल पड़े " बोल साँचे दरबार की जय••••।"    देवी माँ के  नवरात्रों में  मनसा देवी माँ के मन्दिर में धूम मची थी।माता के भक्तों की भीड़ बढ़ती ही जा रही थी ।दर्शन करने वालों की कतार लंबी होती जा रही थी।भीड़ मेें फंसी 70-75 साल की वृद्धा अपनी आठ दस वर्ष की पोती के साथ  कतार में लगी हुई थी ।भीड़ को देखकर लग रहा  था आज ही दर्शन करके माँ की कृपा बरसेगी सभी पर।     अभिनव भी अपनी माँ और बहन के साथ रात के दो बजे से दर्शन के लिए  में खड़ा था ।दर्शनार्थी थे कि आगे सरक ही नही रहे थे।उसे स्वयं पर गुस्सा भी आ रहा था कि क्यों नहीं मम्मी और दीदी को मना कर सका।जबकि आज उसकी बहुत ही जरूरी मीटिंग थी।नई -नई नौकरी लगी थी।समय पर नहीं पहुंचा तो क्या प्रभाव पड़ेगा ।मम्मी के आदेश को वह टाल न सका इसलिए उसे आना पड़ा ।मम्मी को विश्वास था कि यह नौकरी माता की कृपा से ही लगी है।सो वह

पैसा नहीं,रोज़गार नहीं,घर वापस न जाएं तो कहां जाएं

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ज़रूरतमंदों को भोजन के पैकेट और अनाज का वितरण

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Jamaat हो या Madarsa सभी को क़ानून का पालन करना चाहिए

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लोगों से कहा समस्या गंभीर है

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इस संकट की घड़ी में सबकी रक्षा करना

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मास्टर राधे कृष्ण जी एक सेवा निवृत्त अध्यापक है।जीवन के कई पड़ाव पार कर  परिवार का पालन-पोषण कर स्वयं ही करते आ रहे थे। कोरोना के प्रतिबंध के कारण दैनिक सुबह का भ्रमण और सांयकालीन सत्संग भी नहीं हो पा रहा था। बेमौसम की बरसात के कारण मार्च के अंत तक भी ठंड और गर्मी अपना प्रभा्व डाल ही रही थी। मास्टर जी सुबह दस बजे तक स्वस्थ थे। लेकिन दोपहर तक उन्हें तेज बुखार के साथ खांसी और ये कहिए कोरोना के मरीज के सारे लक्षण दिखाई देने लगे। परिवार में कोरोना का भय तो पहले ही बना था। अब तो मास्टर जी का बीमार होना और भी भयानक हो गया। उनकी खटिया बाहर के कमरे में डाल दी गई। जहां उनके पालतू कुत्ते रोविन का रैन बसेरा था।यह बेचारा भी उन्हें नाली में गिरा पड़ा था। जब वह बहुत छोटा था। "जाको राखे साइयां मार सके न कोय।" मास्टर जी ने उसे बड़े लाड़-प्यार से पाला, नाम दिया रोविन। पीड़ित अवस्था में रोविन और मास्टर जी बाहर के कमरे में रात ब्यतीत कर रहे थे। दोनों बेटों और बहुओं ने दूरी बना ली साथ ही अपने बच्चों को भी उधर न जाने की मनाही कर दी। बुढ़िया बेचारी को भी जाने के लिए मना कर दिया। प्रातः 108नं0की सर