हम रॉलेट एक्ट के जमाने में चले गए जहां वकील,अपील,दलील की बात करना बेमानी
1980 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जब इस काले कानून को संसद से पारित करवाया था तो इसकी तुलना रॉलेट एक्ट से की गई थी. जिसमें वकील, दलील, अपील की कोई गुंजाइश नहीं. यह भी कहा गया कि इस कानून का सत्ता द्वारा दुरुपयोग किया जाएगा. इस कानून का इंदिरा काल में भी दुरुपयोग किया गया और ट्रेड यूनियन नेताओं समेत आन्दोलनों को कुचलने के लिए इसका प्रयोग किया गया. लोकतांत्रिक व्यवस्था में रासुका जैसे निरोधक कानून के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए. लखनऊ . रिहाई मंच ने स्वतंत्रता दिवस की बधाई देते हुए कहा की साझी शहादत साझी विरासत की परम्परा को मजबूत करना होगा. वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण, प्रोफेसर अपूर्वानंद जैसे देश के प्रतिष्ठित बुद्धिजीवियों पर हो रही कार्रवाइयां बताती हैं कि संविधान-लोकतंत्र पर बात करना भी अब गुनाह हो गया है. यूपी में रासुका के तहत की गई कार्रवाइयों पर मंच ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) को अलोकतांत्रिक और दमनात्मक कहते हुए रासुका के तहत गिरफ्तार सभी आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता के तहत परीक्षित किए जाने की मांग की. रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि उत्तर प्रदे