ललितपुर, झांसी, तालबेहट, ग्वालियर, चंदेरी समेत बुंदेलखंड में फैला हुआ था “सुरंगों” का जाल
० आदीश जैन ० बुंदेलखंड - आज जब “रैट टनल” खोदने वालों द्वारा जीवटता से अत्याधुनिक मशीनों को धता बताते हुए उत्तराखंड की धंस चुकी सिल्कयारा सुरंग में से 41 लोगों की जान बचाने का लोमहर्षक वाकया सबकी जुबान पर है, तभी इस तथ्य का बड़े ही हलके तरीके से उल्लेख हुआ है कि बुंदेलखंड के दो महत्वपूर्ण गढ़ “झांसी और कालिंजर” के किलों से भी ऐसी सुरंगें निकलती थीं। ऐसी ही एक सुरंग से वीरता और बुंदेलखंड ही नहीं पूरी दुनिया की महिलाओं के साहस और शक्ति की प्रतीक महारानी लक्ष्मीबाई के प्रयोग कर सुरक्षित निकलने और ब्रिटिश सेना के विरुद्ध सैन्य संगठन खड़ा करने में समर्थ होने का इतिहासकार उल्लेख करते हैं। बुंदेलखंड के जागीरदारों के वंशज इस बात से भलीभांति वाकिफ होंगे कि हमारे यहाँ ऐसी सुरंगों का होना आम बात हुआ करती थी| कई पुरानी कोठियों और कच्ची कोठियों में कच्चे फर्शों के नीचे खुदाई करने पर लंबी और अनंत दूरी तक दिखाई पड़ने वाली सुरंग के दर्शन होना आम घटना थी । इनमें बड़े मटकों, हंडियों में, एयर टाइट, पैक करके, पानी, अनाज और धन संपत्ति भी छुपाकर रखी जाती थी। जिससे किसी आपातकालीन स्थिति में घर से बाहर निकलने