पत्रकारों को जेंडर संवेदनशीलता को समझने और उस पर कलम चलाने की सख्त जरूरत है
० संवाददाता द्वारा ० जयपुर। आज के दौर में पत्रकारों को जेंडर संवेदनशीलता को समझने और उस पर कलम चलाने की सख्त जरूरत है। अगर हम ऐसा नहीं कर पाए तो समाज में जेंडर भेदभाव को मिटाने की लड़ाई मजबूती से नहीं लड़ पाएंगे। कुछ ऐसे ही विचार शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए), हरिदेव जोशी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय (एचजेयू) और लोक संवाद संस्थान के सहयोग से एचजेयू के छात्रों के लिए जेंडर संवेदनशीलता की समझ बढ़ाने के लिए चलाए गए चार महीने के प्रोजेक्ट के समापन पर निकलकर सामने आए। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि एचजेयू की कुलपति प्रोफेसर सुधि राजीव कहा कि इस तरह के कार्यक्रम पत्रकारिता के छात्रों को जेंडर संवेदनशीलता को बारीकी से समझने में मदद करेंगे। एचजेयू आगे भी यूएनएफपीए के सहयोग से ऐसे कार्यक्रम आयोजित करता रहेगा। विशिष्ट अतिथि यूएनएफपीए के स्टेट हेड डॉ. दीपेश गुप्ता ने कहा कि शिक्षा प्रणाली में जेंडर संवेदनशील पाठ्यक्रम शामिल करने की पहल और जेंडर समानता के मूल मूल्यों का समावेश छात्र-छात्राओं को लैंगिंक भेदभाव के खिलाफ जागरूक करना है। यूएनएफपीए का मानना है कि पितृसत्तात्