ग्रासरूट लीडरशिप फेस्टिवल में भेदभाव, छुआछूत, महिला अत्याचार पर 37 जिलों ने उठाये मुद्दे
० आशा पटेल ० जयपुर। पिछले एक दशक में राजस्थान में जमीनी स्तर पर नए नेतृत्व के साथ एक बड़ी और जीवंत प्रक्रिया उभरी है। इस प्रक्रिया का नेतृत्व करने वाले ऐसे ग्रासरूट लीडर हैं जो हाशिये पर रहने वाले समुदायों में स्थानीय मुद्दों से निपटने के लिए एक समुदाय-आधारित दृष्टिकोण विकसित कर रहे हैं। ये सभी ग्रासरूट लीडर विभिन्न मुद्दों पर व्यापक स्तर पर सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया में पहल कर रहे हैं। इन्हीं ग्रासरूट लीडर के साथ जयपुर के राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में “नेतृत्व के रंग-उम्मीदों के संग‘‘ ग्रासरूट लीडरशिप फेस्टिवल कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस फेस्टिवल के माध्यम से राजस्थान में हुए ग्रासरूट कार्यों, अनुभवों को एक दूसरे के साथ साझा किया गया। विभिन्न संस्था/संगठनों और कोरो इंडिया द्वारा आयोजित इस फेस्टिवल में राजस्थान के 37 जिलों के तकरीबन 150 संस्था/संगठनों से जुड़े 450 प्रेरक व ग्रासरूट लीडर्स ने भागीदारी निभाई। जैसे - निरमा, अजमेरः- निरमा ने दिव्यांग होते हुए भी अपने कार्यक्षेत्र में बहुत से बदलाव किया। उन्होंने स्वयं वार्ड पंच निर्वाचित होकर खुद की पहचान ही बदल ली। वह वर्तमान में भी