संवेदनाओं की अनुगूँज को स्वर देते 'तेरह किस्से'
'तेरह किस्से' कहानी संग्रह आज की कहानीकार प्रीति मिश्रा के संवेदनशील हृदय की वे धड़कन हैं,जिनमें सामाजिक परिवेश, संबंध और जीवन के अनुभवों की मार्मिक और प्रभावपूर्ण अभिव्यक्ति है और उनके पात्र हमारे जाने पहचाने सामान्य जीवन जीने वाले लोग हैं या यूं कहूं कि हम जैसे ही हैं
ये पंक्तियाँ हैं ,'अभी देर नहीं हुई' कहानी के पात्र शौर्य की, जो अपनी माँ को मेल लिखकर कहता है ।वह माँ जो अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने में पति द्वारा दिए सहयोग, योगदान, त्याग और प्रेम को भूल घर परिवार छोड़ आगे ही आगे बढ़ती चली गई। पुत्र की मेल माँ विभा के दिलो-दिमाग पर छाई बाहरी दुनिया में पहचान बनाने, तालियों की गूंज और स्टेज पर जलवा दिखाने की महत्वाकांक्षी धुंध को मिटा उसे पति और पुत्र के करीब पहुंच अपनी गलती सुधारने के लिए इस रूप में प्रेरित करती है कि वह आखरी परफॉर्मेंस देकर एयरपोर्ट जाने का निर्णय ले लेती है। यह कहानी समाज की हर स्त्री को झकझोर कर सोचने पर विवश करती है कि पहचान बनाने या उड़ान भरने में अपनों को इतना पीछे छोड़ना कहाँ तक उचित है ???इतना ही नहीं एक बेटे द्वारा माँ की घर वापसी करवाना अपने आप में एक अनोखी सोच है जिसके लिए प्रीति जी बधाई की पात्र हैं।
'बोनसाई' कहानी मातृत्व और वात्सल्य का प्रकृति के साथ घनिष्ठ तालमेल बिठाती बहुत मार्मिक कहानी है। पेड़ पौधे हों या मानव संतति, जड़ों से उखाड़ कर विकास की गति का मद्धम पड़ जाना निश्चित है ।सुंदर संदेश के लिए जो भावपूर्ण घटनाक्रम बुना गया है, वह सीधा लेखिका के दिल से उतर पाठक की आँखों को नम कर सोचने को प्रेरित करता है। 'शाबाश' कहानी बच्चों की कलात्मक रूचियों को समझ उन्हें प्रेरित कर आगे बढ़ाने का संदेश देती भावुक कहानी है। नानी जिस तन्वी की चित्रकला को बेकार का शौक समझती थी, उसके चित्र का जब अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी के लिए चयन हो जाता है और फोन पर सब उन्हें बधाई देते हैं तो तन्वी की चित्रकला पर उनका मन गर्वान्वित हो उठता है। बिल्कुल अपने आसपास के ,हर घर से उठाए कथानक में पारिवारिक समस्या को इतने रोचक ढंग से प्रस्तुत करने में लेखिका पूरी तरह सिद्धहस्त है।
'अनुमान' कहानी समाज के हर उस आम व्यक्ति की कहानी है जो वेशभूषा और साजो- सामान को आधार बनाकर व्यक्ति के व्यक्तित्व और ज्ञान का आकलन करते हैं। 'फाँस' विवाह जैसे रिश्तों में कुंडली मिलान के भ्रम से बाहर निकल पारस्परिक वैचारिक तालमेल और सामंजस्य को महत्व देने की कहानी है। 'लड़कियाँ' घर और बाहर के सभी दायित्वों का हँसकर निर्वहन करती लड़कियों की कहानी है, जो ऑफिस में काम करते हुए भी घर के प्रति पूरी तरह संवेदनशील हैं।थोड़ा सा हँस -बोल कर वे काम के बोझ को बोझ नहीं रहने देती। 'जिंदगी बहुत खूबसूरत है' के नायक निराश हताश खिलाड़ी की मुलाकात एक ऐसी महिला से होती है जो 60 वर्ष की आयु में भी कहते हुए अपनी शादी की सालगिरह अकेले मना जिंदगी को खूबसूरती से जी रही है यह भेंट उस खिलाड़ी को निराशा से बाहर निकाल यह संदेश देने में सक्षम है कि जिंदगी को हर परिस्थिति में जीना चाहिए।
'कुत्ते' कहानी बच्चे के भोले, मासूम परंतु माकूल प्रश्नों से आरंभ होती है और हमारी कानून व्यवस्था के अंधेपन को बहुत खूबसूरती से उजागर करती है ।'लत' उन युवक-युवतियों की कहानी है जो आभासी दुनिया में मित्र खोज उनसे चैट कर बोरियत से बाहर निकलने की लत में फंसे हुए हैं ।खतरों का आभास होने पर भी इसकी गिरफ्त से बाहर निकलने में वे असमर्थ हैं। 'माँ' और 'भाई साहब के प्रेम पत्र' पारिवारिक चुहुल, संबंध और प्रेम की रोचक और मर्मस्पर्शी कहानियाँ है जो पाठक के मन को कभी अनायास गुदगुदा जाती है और कभी रुला जाती है। 'पश्चाताप' कहानी बच्चों को अपने निर्णय स्वयं लेने की आजादी देने का संदेश देती मार्मिक कहानी है।'रिश्ता अनोखा सा' संदीप और अनु की ऑनलाइन दोस्ती की कहानी है, जो अपने सुख दुख साझा करते हुए जिंदगी के सफर को तय कर रहे हैं।
ये सभी कहानियाँ आज के जाने पहचाने परिवेश से उठाई गई हैं। लेखिका बड़े-बड़े आदर्शों की बात नहीं करती वरन जीवन को सुखी और सुंदर बनाने की छोटी-छोटी बातों को लेकर किस्सागोई करती हैं और आज के युवा वर्ग की सोच उनके संबंध और मानसिकता को उद्घाटित कर बड़ों को उनके प्रति संवेदनशील हो उनके दिल तक उतर कर उनसे जुड़ने को कहती हैं। टेक्नोलॉजी का ज्ञान लेखिका की भाषा में साफ झलकता है। प्रीति जी की कहानियाँ यथार्थ के धरातल पर लिखी गई कहानियां हैं ,जो संवेदनशीलता से आज के युवा बच्चों और समाज को निकटता से महसूस करती हैं और सरल, सरस शब्दों में मार्मिकता और भाव प्रवणता के साथ पाठकों के दिल में गहराई से उतारती जाती हैं।
आम कहानियों की तरह इनमें शोषण, अत्याचार और अमानवीयता, ऊँचे आदर्शों और बड़े-बड़े मूल्यों की दुहाई नहीं है वरन बदलते समाज की बदलती सोच के साथ सामंजस्य बैठाने का समाधान है ।ये सभी 13 की 13 कहानियाँ यथार्थ के धरातल पर लिखी परिवार और समाज के लोगों की भावनाओं की तरल अनुगूँज हैं।'कौशिक पब्लिशिंग हाउस',दिल्ली से प्रकाशित इस कहानी संग्रह का टंकण और वर्तनी का स्तर भी बढ़िया हैं।प्रीति की कलम इसी तरह चलती रहे और वे निरंतर साहित्य जगत को नई कहानियाँ देकर पाठक को रससिक्त करती रहें।मेरी शुभकामनाएँ लेखिका के साथ हैं। साहित्य जगत में यह पुस्तक नई कहानी के रूप में अपनी पहचान बनाने में पूरी तरह सक्षम है।
टिप्पणियाँ
प्रीति मिश्रा
प्रीति मिश्रा
कुतुब मेल का बहुत-बहुत शुक्रिया साथ ही आदरणीय शकुंतला मित्तल जी का हृदय से धन्यवाद करती हूं उन्होंने मेरी पुस्तक पर इतनी सुंदर समीक्षा देना एक बार पुनः अभिवादन
अभिवादन आदरणीय शकुंतला जी अभिभूत हूं आपकी समीक्षा से ।