"रेत होते रिश्ते" दरकते रिश्तों की,सामाजिक,पारिवारिक जीवन की झलक
पुस्तक - रेत होते रिश्ते (माननीय राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत ) लेखिका -- डॉक्टर मुक्ता ,प्रकाशक -पेसिफिक बुक्स इन्टरनेशनल पृष्ठ -128,मूल्य - ₹ 220/- समीक्षक - सुरेखा शर्मा मैं यहाँ कैसे आ गई ? शायद मेरे पति ने मुझे मृत समझ कर यहां फेंक दिया होगा ताकि उसे क्रिया-कर्म करने से छुटकारा मिल जाए।परन्तु मैं अभागिन बच गई ।शायद मेरे कर्मों का लेखा-जोखा पूरा नहीं हुआ ।न जाने कितने दिन तक दुख सहने हैं ?' ये कुछ अंश हैं लघुकथा संग्रह की कहानी 'सुक़ून की तलाश ' के जो पुस्तक पढ़ने के बाद भी मन मस्तिष्क को कुरेदते रहते हैं। रेत होते रिश्ते की रचनाएँ भाव-भूमि पर रची गई हैं।जो सहज व सरल होने के साथ -साथ वैचारिक रूप से प्रखर और उद्वेलित करती हैं। ' रेत होते रिश्ते 'संग्रह में 127 लघु भावकथा हैं।जिनमें दरकते रिश्तों की, सामाजिक, पारिवारिक जनजीवन की झलक स्पष्ट मिलती है। ये भावकथाएँ हर वर्ग के मानव को उसके अस्तित्व से परिचित करवाने में सफल हुई हैं। लेखिका ने अपने लेखन में जीवन में होने वाली हर छोटी-बड़ी घटनाओं को बहुत ही सहज व सार्थक भावाभिव्यक्ति के बाद हमारे समक्ष यह भावकथा संग