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राकेश शर्मा की 'स्मृतिरूपेण' का लोकार्पण

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0  योगेश भट्ट 0 स्मृतियां हमारी संस्कारी ताकत हैं और बौद्धिक बल भी प्रदान करती है। राकेश शर्मा जैसे लेखक हमें समृद्ध करते हैं, क्योंकि वे आधुनिक समय का पाठ भी परंपरा की जमीन पर करते हैं। जो अपनी स्मृतियों से टूट जाता है, वह अपना सब कुछ खो देता है । इंदौर। आईआईएमसी के पूर्व महानिदेशक प्रो.संजय द्विवेदी का कहना है कि अपनी गौरवशाली परंपरा से भटककर हम एक अलग मार्ग पर चल पड़े, जिसके कारण विश्वगुरु भारत एक साधारण देश बन गया। अब हमारी स्मृतियां ही हमारे खोए हुए बौद्धिक, आध्यात्मिक और आर्थिक वैभव को वापस दिला सकती हैं। इसके लिए 'विचारों की घर वापसी' जरूरी है। इंदौर स्थित श्री मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति में आयोजित राकेश शर्मा की पुस्तक 'स्मृतिरूपेण' के लोकार्पण समारोह में संबोधित कर रहे थे। विशेष अतिथि फगवाड़ा (पंजाब) से आए डॉ. अनिल पांडे ने कहा कि यह कृति 'स्मृति रूपेण' जड़ता में प्राण फूंकती है और संस्कृति तथा व्यावहारिकता को दृष्टि प्रदान करती है। डॉ.वसुधा गाडगिल ने कृति पर विस्तार से समीक्षात्मक विचार व्यक्त किए एवं कृति को साहित्य की धरोहर बताया । इस अवसर विशेष र

लोकहृदय के प्रतिष्ठापक आचार्य रामचन्द्र शुक्ल

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पुस्तक : आचार्य रामचंद्र शुक्ल स्मृति ग्रंथ, संपादक : डॉ. परमात्मा नाथ द्विवेदी, मूल्य : 895 रुपये,पृष्ठ : 354,प्रकाशक : यश पब्लिकेशंस, दरियागंज,नई दिल्ली • बी. एल. आच्छा • कहते हैं कि आलोचकों की मूर्तियां नहीं बनती। पर दौलतपुर (रायबरेली) के आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी तो अपवाद हैं ही। और साहित्य में लोकहृदय के प्रतिष्ठापक आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का व्यक्तित्व तो हिन्दी के हर पाठक में मूर्तिमान है। यह क्या कम है कि ग्राम अगौना जनपद बस्ती (उ.प्र) में सन 1884 में जनमे  इस आचार्य की स्मृति मे आचार्य रामचन्द्र शुक्ल हिन्दी परिषद बस्ती (उ.प्र.) द्वारा 2022 में एक महाग्रंथ का प्रकाशन हुआ है। डॉ. परमात्मा नाथ द्विवेदी के संपादन में प्रकाशित इस महाग्रंथ में शीर्ष विद्वानों के प्रकाशित आलेखों का ऐसा संचयन है, जो शुक्ल-प्रस्थान के सभी परिप्रेक्ष्यों को खंडन-मंडन और तुल्यार्थक विवेचन के साथ निरपेक्ष भाव से मूल्यांकित करता हो। शुक्ल प्रस्थान से पहले आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने साहित्य को ज्ञान-विज्ञान की धाराओं के साथ किसानों-मजदूरों के जीवन से जोड़ने की दिशा दी थी। उन्होंने हिन्दी आलोचना

किसी भाषा के बढ़ने का मतलब दूसरी भाषा का खत्म होना नहीं

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० योगेश भट्ट ०  "हर भाषा की एक शक्ति होती है। हमें अपनी भाषा की शक्ति का अहसास होना जरूरी है। हम देखते हैं कि हिन्दी की उर्दू के साथ एक ऐतिहासिक प्रतिस्पर्धा रही है।  लेकिन हमें यह समझने की जरूरत है कि एक भाषा के बढ़ने का मतलब दूसरी भाषा का खत्म होना नहीं होता।" नई दिल्ली. हिन्दी में समाजविज्ञान और मानविकी की पूर्व-समीक्षित त्रैमासिक पत्रिका 'सामाजिकी' का पहला व्याख्यान इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में सम्पन्न हुआ। 'सामाजिकी' गोविन्द बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान, प्रयागराज और राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली की संयुक्त पहल है जो भारतीय समाज मे हो रहे परिवर्तनों को समझने और समझाने के लिए ज्ञान के गहन शोध पर आधारित पत्रिका है। यह पत्रिका हिन्दी भाषा में शोध आलेख, साक्षात्कार और पुस्तक समीक्षा को छापती है कार्यक्रम की शुरूआत में पत्रिका के संपादक प्रो. बद्री नारायण ने श्रोताओं को सामाजिकी और व्याख्यान का परिचय दिया। इसके बाद प्रो. फ्रेंचेस्का ओर्सिनी ने 'साहित्य के इतिहास की प्रासंगिकता : क्यों और कैसे?' विषय पर केन्द्रित वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा, "हर भाषा

सत्य अहिंसा और सादगी उनके यही विचार

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०  सुषमा भंडारी ०   यूं तो गांधी थे सामान्य तेरे मेरे जैसे आओ सोच विचार करें हम काम किये थे कैसे बन कर सब के राष्ट्रपिता जो जन जन पर हैं छाये जाने उनके आदर्शों को जो थे बदलाव लाये नई चेतना नई प्रेरणा बन कर आये जग में चरखा, दांडी, सत्याग्रह से, बस गए सबकी रग में सत्य अहिंसा और सादगी उनके यही विचार जर्जर काया और लकुटि से गया था दुश्मन हार काला-गोरा भेद मिटाया सदाचार फैलाया आन्दोलन से जन जागरण जन जन में पहुंचाया बदली समय की धारा ऐसी गांधी बन गये बापू पराधीनता की बेड़ियाँ तोड़ के माने बापू पर पीड़ा को अपनी माना बने महात्मा गॉंधी पद प्रतिष्ठा, जिये, जब तक बनी रही थी बांधी ३० जनवरी ४८ दिन ऐसा जग में आया गोली मार गोडसे ने बापू को था सुलाया कभी न जागने के लिए----- रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीता राम सत्य अहिंसा के नारे में छिपा है जीवन सारा गांधी जी ने इसको अपने जीवन में उतारा उतारा, उतारा --- घृणा नहीं सिर्फ़ प्रेम से बदले दुनिया सारी सत्याग्रह से स्वदेशी का पक्ष रखा जारी जारी हाँ जारी सहिष्णुता, समता चाही, रामराज्य चाहा वैष्णव जन तो तेने कहिये, गीत हरदम गाया गाया हाँ गाया जर्जर काया ,

डॉ. बीआरसी की नई किताब 'व्हेन क्योर इज क्राइम' का अनावरण

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० योगेश भट्ट ०  नई दिल्ली : क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) का इलाज अब उपलब्ध है, वो भी डायलिसिस या गुर्दा प्रत्यारोपण की दर्दनाक और महंगी प्रक्रियाओं से गुजरे बिना। यह बात डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी (बीआरसी) ने आज भगत सिंह जयंती के अवसर पर, नई दिल्ली के एलटीजी ऑडिटोरियम में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में अपनी नई पुस्तक 'व्हेन क्योर इज क्राइम' का अनावरण करते हुए कही। संपूर्ण भारत से कई मरीज़ इस कार्यक्रम में वर्चुअली शामिल हुए। उन्होंने डॉ. बीआरसी द्वारा विकसित ग्रैड सिस्टम की मदद से ठीक होने के अपने सुखद अनुभव साझा किए। डॉ. बीआरसी की मेडिकल इंजीनियरिंग की मदद से असाध्य रोगों का इलाज संभव है, जिसे श्रीधर विश्वविद्यालय, पिलानी और दयानंद आयुर्वेदिक कॉलेज, जालंधर द्वारा किए गए अवलोकन अध्ययन में भी अनुमोदित किया गया है। इस अध्ययन को प्रतिष्ठित शोधपत्र 'द जर्नल ऑफ इंटरनेशनल हेल्थकेयर' ने भी स्वीकार किया है।  लगभग 75% मरीज डायलिसिस पर निर्भरता से पूरी तरह मुक्त हुए हैं। इतिहास में ऐसा पहली बार है कि गुर्दा रोग के पुराने मरीज, विशेष रूप से डायलिसिस पर रहने वाले, भी अपनी बीमारी को उलट

'किस्सागोई’ के लिए जयपुर की उमा को दिया कन्हैयालाल सहल पुरस्कार'

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० आशा पटेल ०  जयपुर। जयपुर की साहित्यकार उमा को उनकी किताब ‘किस्सागोई : अदीबों के निज की जादुई कथाएं’ के लिए राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर की ओर से वर्ष 2020-21 का कन्हैयालाल सहल पुरस्कार प्रदान किया गया। अकादमी ने हाल ही उदयपुर में पुरस्कार समारोह आयोजित करके गत तीन वर्ष (2019-20, 2020-21, 2021-22)के अकादमी पुरस्कारों से साहित्यकारों को नवाजा।  उमा को कथेतर विधा में यह सम्मान मिला। विभिन्न विधाओं में उमा की अब तक तीन किताबें आ चुकी हैं।  पहली ही किताब ने लेखन की दुनिया में स्थापित कर दिया, उनका उपन्यास ‘जन्नत जाविदां’ भारतीय ज्ञानपीठ नवलेखन पुरस्कार के लिए अनुशंसित हुआ। अकादमी की ओर से पुरस्कृत किताब किस्सागोई में उन्होंने अनूठी शैली का प्रयोग करते हुए राजस्थान के छह लेखकों के शुरुआती जीवन पर किस्से बुने हैं, जो सत्य और गल्प का मेल है। किताब कलमकार मंच से प्रकाशित हुई है। पुरस्कार समारोह में गांधी शांति प्रतिष्ठान दिल्ली के अध्यक्ष कुमार प्रशांत ने बतौर मुख्य अतिथि और साहित्यकार लीलाधर मंडलोई ने बतौर विशिष्ट अतिथि शिरकत की। अध्यक्षता राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष दुलाराम सहारण न

महिला काव्य मंच की काव्य गोष्ठी

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० योगेश भट्ट ०  नयी दिल्ली - विद्या विहार विद्यालय, दिल्ली के सभागार में मुख्य अतिथि नीतू सिंह  (वैश्विक अध्यक्ष, मकाम), विशिष्ट अतिथि सविता चड्ढा (वरिष्ठ साहित्यकार) और सरिता गुप्ता (अध्यक्ष, शाहदरा इकाई) की अध्यक्षता में महिला काव्य मंच, शाहदरा इकाई की काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। सभी अतिथियों का नन्ही प्रदन्या ने केसर तिलक और अक्षत लगाकर स्वागत किया। कार्यक्रम का शुभारंभ कामना मिश्रा जी द्वारा गणेश जी के समक्ष नृत्यांजली और शाहदरा इकाई की सक्रिय सदस्या पुनीता सिंह द्वारा सरस्वती वंदना रूपी शब्द-सुमन माँ के चरणों में समर्पित करके किया गया।  तत्पश्चात अतिथियों और सभी कवयित्रियों को मोती की माला और अंगवस्त्र पहनाकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में लगभग 30 प्रतिष्ठित तथा 4 नवोदित कवयित्रियों ने काव्य पाठ किया। उपस्थित कवयित्रियों में कामना मिश्रा (महासचिव), अर्चना वर्मा (सचिव), पुनीता सिंह, अंजू ढाका, इंदू गर्ग, नौरिन शर्मा, मधु अरोड़ा, शिखा अरोड़ा, चंचल हरेंद्र वशिष्ट (सचिव, दक्षिणी दिल्ली इकाई ) मंजू शाक्य (उपाध्यक्ष, उत्तरी दक्षिणी दिल्ली इकाई) तरुणा पुंडीर (उपाध्यक्ष, दक्षिणी दिल

सतरंगी दस्तरख्वान - बहुसांस्कृतिक जीवन और खानपान' पर पुस्तक का लोकार्पण

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० योगेश भट्ट ०  नई दिल्ली -  'सतरंगी दस्तरख्वान - बहुसांस्कृतिक जीवन और खानपान' इस अर्थ में एक निराली पुस्तक है कि इसमें कई जानी-मानी हस्तियों के आलेख हैं जिन्होंने अपने जीवन से जुड़े खानपान के प्रसंगों को बड़े सुंदर तरीके से इसमें संजोया है। इस किताब में शामिल लेखक न सिर्फ भारत के भिन्न क्षेत्रों से हैं, बल्कि उन्होंने कला और साहित्य के अपने-अपने क्षेत्रों में भी विशेष पहचान हासिल की है। उनमें से कुछ ने अपनी मादरी जुबान और कुछ ने अंग्रेजी में ये अनुभव लिखें हैं, जिन्हें हिंदी में अनूदित किया गया है।इस पुस्तक को राजकमल प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। राजकमल प्रकाशन एवं तक्षशिला एजुकेशन सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में 'सतरंगी दस्तरख्वान - बहुसांस्कृतिक जीवन और खानपान' का लोकार्पण ,कांस्टीट्यूशन क्लब में हुआ। इस पुस्तक का संपादन सुमना रॉय व कुणाल रे और अनुवाद वन्दना राग व गीत चतुर्वेदी ने किया है। पुस्तक लोकार्पण के बाद हुई बातचीत में 'ऑन ईटिंग' के सुमना रॉय, कुणाल रे, ज्ञानपीठ सम्मानित कोंकणी लेखक दामोदर मावजो, प्रसिद्ध गायिका कलापिनी कोमकली, नाट्यकर्मी नीलम मान

रिसर्च मेथडोलॉजी पर डॉ लता सुरेश की पुस्तक का विमोचन

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० आशा पटेल ०  जयपुर /  डॉ. सुरेश एक शिक्षक, प्रशिक्षक, शोधकर्ता हैं और सरकारी संस्थान में काम कर रही हैं। 30 वर्षों की प्रतिष्ठित करियर के साथ उन्होंने शिक्षण , प्रशिक्षण और शोध में महत्वपूर्ण योगदान किए हैं। यह पुस्तक उनकी शोध और शिक्षा के क्षेत्र को आगे बढ़ाने की उनकी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है। यह पुस्तक पाठकों को उनकी शोध क्षमता और समझ को बढ़ाने में मदद करने के लिए एक व्यापक संसाधन प्रदान करेगी है।  राज्यपाल कलराज मिश्र ने शोध पद्धति विषय पर एक प्राधिकृत पुस्तक का विमोचन किया, जिसकी लेखिका डॉ. लता सुरेश हैं। इस उत्कृष्ट प्रकाशन का शीर्षक “अनवीलिंग द पाथ टू नाॅलेज एक्सप्लोरिंग रिसर्च थ्योरी एंड डिजाइन " है, जिसका उद्देश्य शोधकर्ताओं को उनकी शोध क्षमता और समझ को बढ़ाने में मदद करना है। इस पुस्तक जिसे डॉ. लता सुरेश ने सतर्कता से रचा है, उन्होंने अपने शैक्षिक, शोध, और सार्वजनिक सेवा में अनेक अनुभव का संयम रखते हुए उसका उपयोग किया है। सिद्धांत को अभ्यास से जोड़ने के साथ पुस्तक पाठकों को मूलभूत समझ, व्यावसायिक सुझाव और विभिन्न विषयों में प्रभावी और सख्त शोध करने के लिए कदम

शहादत 12 कहानियांे का संग्रह

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० योगेश भट्ट ०  नई दिल्ली ।  लेखक कर्नल सी. एम. नौटियाल का 12 कहानियों का संग्रह जिसमें वास्तविक घटनाओं पर केन्द्रित कहानियां सम्मलित है । पहली कहानी के नाम पर ही शीर्षक शहादत रखा गया है। तत्पश्चात लाड़ो, गोधाम पंचधाम, गुमशुदा, कन्यादान, डायन, महत्वाकांक्षा, तोहफा, आरजू, बेवफा, जन्नत, ऋण एक से बढ़कर एक कहानियां 152 पेजों में सम्मलित है। यद्यपि जीवन स्वयं में एक कहनी है जिसमें मनुष्य जीवन के रंगमंच पर कई किरदारों को निभाते हुए अदृश्य परिवेश में चला जाता है, बचती है वहां भी सिर्फ कहानी ही कर्नल सी. एम. नौटियाल की रचना धार्मिता की मूल प्रेरणा स्त्रोत उनकी स्वर्गीय पत्नी पुष्पा नौटियाल ही है जिसकी प्रेरणा उन्हें प्रतिपल प्रोत्साहित करती रहती हैं। यह कहानी संग्रह शहादत भी उन्हें ही समर्पित है। यद्यपि इन कहानियों में कई कहानियां शहादत, गुमशुदा, ऋण प्रचलित प्रचारित व प्रसारित हैं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में समाज के मध्य लेकिन लेखक का अपना नजरिया है, इन शीर्षकों के माध्यम से समाज में मानवीय संवेदनाओं को पुन: जागृत करना इसमें वह भिन्न-भिन्न चरित्रों के माध्यम से सफल होते नजर आते हैं। 12 कहानियों

गांधी ने जिसको सत्य माना हमेशा उसके साथ अडिग रहे : डॉ. मिथिलेश

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० योगेश भट्ट ०  प्रयागराज : राजकमल प्रकाशन समूह द्वारा आयोजित ‘ज्ञान पर्व’ के दूसरे दिन की शुरुआत 'अच्छी हिन्दी कैसे लिखें?' विषय पर आयोजित कार्यशाला से हुई। इस सत्र में विशेषज्ञ डॉ. लक्ष्मण प्रसाद गुप्त ने बच्चों को अच्छी हिन्दी लिखने और बोलने के गुर सिखाए। इस सत्र में अस्सी से अधिक छात्रों ने हिस्सा लिया। लगभग दो घंटे चले इस बेहद रोचक सत्र में स्नातक प्रथम वर्ष के छात्रों से लेकर शोधार्थियों तक ने बढ़ चढ़कर अपनी प्रस्तुति दर्ज कराई। विशेषज्ञ डॉ. लक्ष्मण प्रसाद गुप्त ने अच्छी हिन्दी हेतु कई महत्वपूर्ण किताबों की भी चर्चा की। अगला सत्र 'हिंदी व्यंग्य और हरिशंकर परसाई' पर परिचर्चा का आयोजन हुआ। इस सत्र में डॉ. बसंत त्रिपाठी, डॉ. दिनेश कुमार और डॉ. चित्तरंजन कुमार ने परसाई के जीवन और साहित्य पर बातचीत की। इस सत्र का संचालन शोधार्थी पुष्पेंद्र ने किया।  डॉ. चित्तरंजन कुमार ने कहा कि परसाई अपने समाज के सजग लेखक हैं। परसाई को पढ़ते हुए कबीर की याद अक्सर आती है।  डॉ. दिनेश कुमार ने कहा कि जो स्थान कथा साहित्य में प्रेमचंद का है, कविता में मुक्तिबोध का है वही स्थान व्यंग्य में

साहित्य, संस्कृति तथा ज्ञान का अद्भुत समागम है ‘ज्ञान पर्व

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० योगेश भट्ट ०  नई दिल्ली/ इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज में राजकमल प्रकाशन समूह द्वारा आयोजित ‘ज्ञान पर्व’ का सोमवार को हुआ उद्घाटन। ‘सांस्कृतिक रिपोर्टिंग’ विषय पर आयोजित की गयी कार्यशाला। उद्घाटन में शामिल हुए इलाहाबाद के वरिष्ठ साहित्यकार, पाठक।  अकादमिक जगत और छात्रों हेतु इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आयोजित ‘ज्ञान पर्व’ का पहला दिन युवा पाठकों और पुस्तक प्रेमियों से भरा रहा। ‘सांस्कृतिक रिपोर्टिंग’ विषय पर आयोजित कार्यशाला में 50 से अधिक विद्यार्थी जुड़े। प्रवीण शेखर जी ने विद्यार्थियों को ‘सांस्कृतिक रिपोर्टिंग’ के गुर बताए। यह सत्र लगभग डेढ़ घंटे से अधिक चला। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मेजर ध्यानचंद छात्र गतिविधि केन्द्र के सभागार में 26 अगस्त तक आयोजित ‘राजकमल ज्ञानपर्व’ का उद्घाटन वरिष्ठ साहित्यकार व आलोचक प्रो. राजेन्द्र कुमार के कर-कमलों द्वार सम्पन्न हुआ।   इस अवसर पर ‘हिंदी प्रकाशन में इलाहाबाद का योगदान’ विषय पर चर्चा आयोजित की गयी। विषय पर अपना वक्तव्य रखते हुए प्रो. राजेन्द्र कुमार ने कहा कि इलाहाबाद शुरू से ही साहित्यिक गतिविधियों का केन्द्र रहा है।  उन्होंने कहा कि

काव्य संध्या "आजादी के तराने" आयोजित

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० योगेश भट्ट ०  नयी दिल्ली - देशभक्ति से ओत-प्रोत "आजादी के तराने" - काव्य संध्या हिंदुस्तानी भाषा अकादमी एवं 'हम सब साथ-साथ' के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुई। मां सरस्वती की मूर्ति के समक्ष दीप प्रज्वलन के उपरांत राष्ट्रगान के साथ वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. जय सिंह आर्य की अध्यक्षता एवं प्रसिद्ध कवि विनय विनम्र की उपस्थिति में दिल्ली-एनसीआर से आमंत्रित पैंतीस से अधिक कवि-कवियित्रियों ने अपनी-अपनी रचनाएं प्रस्तुत की।  इस काव्य संध्या में अकादमी के संस्थापक अध्यक्ष सुधाकर पाठक, विजय शर्मा, विनोद पाराशर, सुशील भारती ने गरिमापूर्ण उपस्थिति दर्ज की।  मंच संचालन किशोर श्रीवास्तव ने किया। इसी अवसर पर अकादमी की त्रैमासिक पत्रिका हिन्दुस्तानी भाषा भारती के नवीनतम अंक का विधिवत विमोचन भी किया गया। अकादमी के अध्यक्ष सुधाकर पाठक ने २०१५ से लेकर वर्तमान तक अकादमी के सफर तथा भावी योजनाओं पर प्रकाश डाला।

‘साइकिल से दुनिया की सैर’ का लोकार्पण

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० योगेश भट्ट ०  नई दिल्ली.  हिंदी में प्रकाशन से पूर्व ‘साइकिल से दुनिया की सैर’ बांग्ला में ‘सुदूरेर पियासी’ नाम से प्रकाशित और अत्यंत चर्चित रही है। इस पुस्तक में बिमल दे ने अपने उन अनुभवों को अंकित किया है जिनका उनकी चिंतन–धारा पर दीर्घकालीन प्रभाव पड़ा। यह पुस्तक उनके सबसे साहसी यात्रा–अभियान पर केन्द्रित है। पांच वर्षों में पूरी हुई यह यात्रा उन्होंने साइकिल से की थी। वर्ष 1967 में कोलकाता से शुरु हुआ उनका यह सफ़र ईरान, तुर्की, रूस, अफगानिस्तान, इराक, सूडान, मिस्र, इटली, स्वीटजरलैंड, स्पेन, मोरक्को, फ़्रांस, अमेरिका आदि देशों और उनके प्रमुख शहरों से होते 1972 तक जारी रहा। राजकमल प्रकाशन एवं कुंजुम बुक्स के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित लेखक से मिलिए कार्यक्रम में बांग्ला के विख्यात यात्रावृत्तकार एवं यात्री-पवर्तारोही बिमल दे की पुस्तक ‘साइकिल से दुनिया की सैर’ का लोकार्पण बुकर पुरस्कार से सम्मानित लेखक गीतांजलि श्री द्वारा कुंजुम बुक्स, एम ब्लाक ग्रेटर कैलाश में किया गया। लोकार्पण के बाद घुमक्कड़ लेखक अजय सोडानी ने विमल दे से उनकी किताब पर बातचीत की। अजय सोडानी प्रकृति प्रेमी लेखक हैं

साहित्य अकादेमी में डॉ. जगमोहन शर्मा की पुस्तकों का लोकार्पण

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० योगेश भट्ट ०  नयी दिल्ली -   विशिष्ट वक्ता सोमदत्त शर्मा ने कहा, "श्रीमद्भगवद्गीता के विशुद्ध ज्ञान को दोहे में उतार देना असाधारण साहस का काम है। यक्ष प्रिया की पाती में दोहाकार ने पूरी मौलिकता और तन्मयता के साथ इसमें डूब कर लिखा है। इतनी स्पष्टता और लावण्य विरल है। किसी कृति की सफलता इसमें है कि वह पाठक को अपनी कल्पना शक्ति के उपयोग के लिए मजबूर करे और यक्ष प्रिया की पाती में कवि इसमें पूरी तरह सफल हुए हैं।" उन्होंने कहा, “यक्ष प्रिया की पाती” में दोहों की तेरह और ग्यारह मात्राओं का शब्दश: पालन करते हुए भी डॉ. जगमोहन शर्मा ने कविता का आनंद और सौंदर्य अक्षुण्ण रखा है। यह दोहे की विधा पर उनकी असाधारण पकड़ और उनके रचनात्मक सामर्थ्य को रेखांकित करता है. साहित्य अकादेमी के सभागार में प्रख्यात दोहाकार डॉ. जगमोहन शर्मा की पुस्तकों "श्रीमद्भगवद्गीता-दोहा रूपांतरण" और महाकवि कालिदास के "मेघदूत" पर आधारित "यक्षप्रिया की पाती" का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम का आयोजन प्रभात प्रकाशन और हंसराज कॉलेज लिटरेरी सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। कार्यक

आलोक धन्वा को 'आँसू और रौशनी : आलोकधन्वा से संवाद' की पहली प्रति भेंट

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० योगेश भट्ट ०  पटना. प्रतिष्ठित कवि आलोक धन्वा को उनके 76वें जन्मदिन पर चर्चित कवि-आलोचक पकंज चतुर्वेदी के साथ उनके संवादों की किताब 'आँसू और रौशनी : आलोकधन्वा से संवाद' की पहली प्रति भेंट की गई। इस मौके पर राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक महेश्वरी, संपादकीय निदेशक सत्यानंद निरुपम और राधाकृष्ण प्रकाशन के कमीशनिंग एडिटर धर्मेंद्र सुशान्त ने आलोक धन्वा के निवास पर जाकर जन्मदिन की शुभकामनाएँ प्रेषित की साथ ही उनके दीर्घायु होने की प्रार्थना की। नई किताब के बारे में जानकारी देते हुए राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक महेश्वरी ने कहा, ‘आँसू और रौशनी’ किताब आधुनिक कविता को सिर्फ हिन्दी साहित्य या भारतीय साहित्य के ही नहीं बल्कि वैश्विक परिप्रेक्ष्य में देखने-समझने के लिए एक जरुरी किताब है। आलोकधन्वा हमारे समय के एक ऐसे कवि हैं जिनकी अधिक संख्या में किताबें प्रकाशित नहीं हुई है लेकिन साहित्यिक क्षेत्र में उन्होंने असाधारण लोकप्रियता हासिल की है। वे विशेष रूप से युवाओं के प्रिय कवि हैं।" ‘आँसू और रौशनी’ दो रचनाकारों की एक रचनात्मक संवादधर्मिता का उत्कृष्ट उदाहरण है। दो पीढ़ियो

पुस्तक-अनुबंध : उपन्यास गुजरात के एक परिवार पर केंद्रित

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० पुस्तक-अनुबंध  ० लेखक कर्नल सीएम नौटियाल ० प्रकाशक श्री नटराज प्रकाशन, गामड़ी एक्सटेंशन दिल्ली ० मूल्य ₹ 650 ० पेज 312  ०  समीक्षक योगेश भट्ट ०  कर्नल सीएम नौटियाल 14 नवंबर 1943 को उत्तराखंड में जन्मे बीए ऑनर्स एलएलबी एमबीए की शिक्षा में पारंगत होने के साथ-साथ सेना से सेवानिवृत्त तत्पश्चात मल्टीनेशनल कंपनी के महाप्रबंधक व भारतीय जनता पार्टी उत्तराखंड के प्रदेश संयोजक के पद को सुशोभित करने के बाद वर्तमान में उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में रहकर साहित्य साधना में पूर्णरूपेण रत हैं साहित्य साधना के प्रति स्वरूप अभी तक उनकी रचनाओं में वतन उपन्यास वही बाकी निशा होगा पर्वत रोते हैं कहानी संग्रह हिमशिखर काव्य संग्रह पुष्पांजलि डांडी कांठी गीतों की रचनाओं सहित 15 से अधिक किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं  कर्नल सीएम नौटियाल का अनुबंध उपन्यास जो कि 13 अध्यायों में विभक्त है विशेषकर देव भूमि उत्तराखंड के चार धामों के प्रति लोगों की आस्था विश्वास प्रेरणा एवं लगाव के सरोकारों को छूते हुए समय के अनुरूप उत्तराखंड के दर्शन करवाते हैं इसी कड़ी में सन 2013 में केदार की आपदा पर केंद्रित होकर यह उपन्यास उ

संस्कृत उपन्यास 'मानवी' बाल साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित

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० योगेश भट्ट ०  नयी दिल्ली - साहित्य अकादमी द्वारा संस्कृत बाल साहित्य पुरस्कार उपन्यासकार आचार्य राधावल्लभ त्रिपाठी को उनके संस्कृत बाल उपन्यास 'मानवी 'के लिए दिया है । इसमें नवोन्मेषी बिम्बों से बाल मन के लिए पक्षियों आदि के द्वारा पर्यावरण के महत्त्व का बड़ा ही मनभावन ढंग से खाका़ खींचा गया है जो आम तौर पर आज के बाल साहित्य पर प्रौढ मानसिकता के दवाब के आरोपों को सर्वथा अपाकृत करता मालूम पड़ता है । यद्यपि यह रचना पक्षी विशेषज्ञ पद्मश्री सलीम अली को समर्पित है । लेकिन इस उपन्यास में जो सलीम नाम का चरित्र है ,उसे पद्मश्री अली से कुछ भी लेना देना नहीं है ।   जाने माने समीक्षक तथा इस उपन्यास के लेखक प्रो त्रिपाठी  ने इसमें न ही कोई अपनी भूमिका लिखी है और न ही किसी से इस पुस्तक के बारे में कोई अनुशंसा लिखवाई है । इससे साफ़ है कि कथानक की सफलता या असफलता का निर्णय पूरा का पूरा पाठक पर ही छोड़ दिया है जो अमूमन आज के पुस्तकों में ऐसा नहीं देखा जा रहा है ।इसका कारण यह भी लगता है कि लेखक अब मान बैठे हैं कि दिग्गजों की पुस्तक अनुशंसा से ही उनकी किताबों की तूती अधिक बोली जाती

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जीवनी का लोकार्पण करेंगे पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव

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० योगेश भट्ट ०  नई दिल्ली. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जीवनी 'नीतीश कुमार : अंतरंग दोस्तों की नज़र से' का लोकार्पण 03 जुलाई को पूर्व मुख्यमंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के हाथों होगा। लोकार्पण कार्यक्रम अशोक कन्वेंशन सेंटर, गांधी मैदान, पटना में आयोजित होगा। उदय कांत समेत नीतीश कुमार के अंतरंग मित्रों लिखित यह जीवनी राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुई है। लोकार्पण कार्यक्रम में बिहार विधान परिषद के सभापति देवेश चन्द्र ठाकुर; लेखक, सम्पादक, पूर्व सांसद एवं बिहार विधान परिषद के पूर्व सभापति जाबिर हुसैन; मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी पोलित ब्यूरो सदस्य सुभाषिनी अली की विशिष्ट उपस्थिति रहेगी।  जीवनी के लेखक उदय कांत ने कहा, "जब हम किसी विशिष्ट जननेता की जीवनी पढ़ते हैं तो उसमें ज्यादातर उनके राजनीतिक सफर की चर्चा होती है। लेकिन उससे हम उन लोगों, परिस्थितियों और उस मानसिकता के बारे में बहुत कम जान पाते हैं जिनके कारण वे आज किसी ऊँचाई पर पहुँच सके हैं। इस मामले में नीतीश कुमार की इस जीवनी का सुर कुछ अलहदा है। एक कस्बे के कूचे से शुरु हुआ यह ज़िन्दगीना

राजकमल प्रकाशन ने ऑनलाइन बुक फेयर की पहल कर एक नया प्रयोग किया

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० योगेश भट्ट ०   नई दिल्ली.राजकमल प्रकाशन समूह 16 जून से 25 जून तक ऑनलाइन बुक फेयर का आयोजन करने जा रहा है। यह बुक फेयर राजकमल प्रकाशन समूह की वेबसाइट पर आयोजित होगा। इस दौरान राजकमल प्रकाशन समूह से प्रकाशित सभी पुस्तकों के साथ 350 से अधिक नए लेखकों की पुस्तकें भी उपलब्ध होंगी। इस बुक फेयर में पुस्तकों की खरीदारी करने पर पाठकों को कोई भी डिलीवरी चार्ज नहीं देना होगा। राजकमल प्रकाशन समूह ने ऑनलाइन बुक फेयर की पहल करके प्रकाशन जगत में एक नया प्रयोग किया है। अभी तक केवल हिंदी ही नहीं वरन् अंग्रेजी और अन्य किसी भी भाषा के प्रकाशकों ने पाठकों के लिए इस तरह का कोई आयोजन नहीं किया गया। गौरतलब है कि यह राजकमल प्रकाशन समूह का दूसरा ऑनलाइन बुक फेयर है। इससे पहले पिछले वर्ष जनवरी माह में राजकमल प्रकाशन समूह ने इस पहल की शुरुआत की थी। पिछले ऑनलाइन बुक फेयर में 40 से अधिक देशों के पुस्तकप्रेमियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। इस बार ऑनलाइन बुक फेयर में पिछले साल की तुलना में ज्यादा पुस्तकें उपलब्ध होंगी, जिसमें नई-पुरानी सभी पुस्तकें शामिल हैं। राजकमल प्रकाशन समूह की वेबसाइट पर ऑनलाइन बुक फेयर के लिए