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कहाँ नहीं विज्ञान बताओ कहाँ नहीं विज्ञान

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0  अंजू सचदेवा 0  कहाँ नहीं विज्ञान बताओ कहाँ नहीं विज्ञान भूत-भविष्य का ज्ञाता है , वर्तमान की शान भू गर्भ से लेकर ये अन्तरिक्ष तक जाये जैविक, भौतिक, मौसम और रसायन भी समझाये माटी के कण कण में सब है , पानी, हवा व आग करता है विज्ञान खुलासा, क्या है जीवन राग जीवन से मृत्यु तक का देता यही हिसाब क्या होती है मूल हकीकत क्या होता है ख़्वाब विविध समस्यायें हल करता सबका यही जवाब कण कण में विज्ञान छिपा है कण कण में विज्ञान

आचार्य राधावल्लभ त्रिपाठी को संस्कृत भाषा के लिए सन् 2024 का 'कर्तृत्व समग्र सम्मान '

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० योगेश भट्ट ०  नयी दिल्ली -  संस्कृत कवि, उपन्यासकार, नाट्यकार आचार्य राधावल्लभ त्रिपाठी को संस्कृत भाषा तथा साहित्य में योगदान देने के लिए राष्ट्रीय 'कर्तृत्व समग्र सम्मान 'से नवाजे जाने के कारण न केवल संस्कृत साहित्य ,अपितु हिन्दुस्तानी अदब तथा अनेक शैक्षणिक संस्थानों में भी खुशी का माहौल है।  भारतीय भाषा परिषद,कोलकाता की स्थापना भारतीय भाषा तथा साहित्य के उन्नयन के लिए सन् 1975 में की गयी थी और हिन्दुस्तानी भाषाओं तथा उनके साहित्यों का अधिक से अधिक संरक्षण तथा संबर्धन हो सके । इसी भावना को और अधिक प्रोत्साहित करने के लिए यह ' कर्तृत्व समग्र सम्मान ' वरिष्ठ तथा युवा भारतीय साहित्यकारों के लिए सन् 1980 में शुरू किया गया था।  इस साल का यह पुरस्कार संस्कृत भाषा तथा उसके साहित्य के उन्नयन में महनीय योगदान देने के लिए आचार्य राधावल्लभ त्रिपाठी के साथ हिन्दी (भगवानदास मोरवाल), पंजाबी (जसवीर भुल्लर), मलयालम (एम.मुकुंदन) भाषाओं को यह सम्मान दिया गया है । साथ ही युवा पीढ़ी को प्रोत्साहन वर्धन के लिए आरिफ़ रजा ,संदीप शिवाजीराव जगदाले, गुंजन श्री तथा जसिंता केरकेट्टा को क्रमशः

नये रास्तों की तलाश में वर्तमान पीढी की लेखिकाओं ने अपने लेखन में घिसे पिटे जाल को तोड़ा : संतोष श्रीवास्तव

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०  जया केतकी ०  भोपाल -अंतर्राष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच पर महिला दिवस के उपलक्ष में "चुनौतियां एवं अवसर" विषय पर विमर्श आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार , पत्रकार डॉ. प्रमिला वर्मा ने बताया "महाराष्ट्र के औरंगाबाद में महिला हक्क सम्मेलन हुआ था जिसमें 50,000 महिलाओं ने शिरकत की थी। सभी का यह कहना था कि हमें गुजारा भत्ता नहीं बल्कि "दांपत्य हक्क चाहिए।" वही साहित्यकार नीलम कुलश्रेष्ठ ने मुख्य अतिथि के आसंदी से गुजरात की महिलाओं की पीड़ा व्यक्त की तथा उसी से संदर्भित एक लघु कथा भी पढ़ी। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार सुरेश पटवा ने अपनी बात रखते हुए कविता के माध्यम से महिलाओं की भूमिका को व्याख्यात किया। आरंभ में मध्य प्रदेश इकाई की अध्यक्ष महिमा श्रीवास्तव वर्मा ने सभी का स्वागत किया और अंतर्राष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच की संस्थापक अध्यक्ष संतोष श्रीवास्तव ने प्रस्तावना वक्तव्य देते हुए कहा कि "नये रास्तों की तलाश में वर्तमान पीढी की लेखिकाओं ने अपने लेखन में घिसे पिटे जाल को तोड़ा है। "मंच पर चुनौतियां और अवसर विषय पर कुछ

इसरो के वैज्ञानिकों को समर्पित इंदु नांदल द्वारा चौथा विश्व रिकॉर्ड

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० आशा पटेल ०  जयपुर वासी एवं बिरला बालिका विद्यापीठ, पिलानी, झुंझुनूं की अकैडमिक कॉर्डिनेटर सावित्री धायल, इंदु नांदल, इंडोनेशिया निवासी भारतीय के प्रोत्साहन से इसरो के वैज्ञानिकों को समर्पित चौथे विश्व रिकॉर्ड पुस्तक की सह-सम्पादक बनी। सावित्री धायल, राजेंद्र सिंह धायल (पति), आस्था धायल विजय (बेटी), नीतेश विजय (दामाद), श्रीमाला धायल गुप्ता (बेटी), सार्थक गुप्ता (दामाद), डॉ उद्दिप्ता धायल (बेटी), स्कूल सहयोगी निशा पारीक, कल्पना सोनी समेत 12 छात्राओं ने कविताएं लिखकर चंद्रयान-3 पर आधारित विश्व रिकॉर्ड बनाने में इंदु नांदल का सहयोग किया।   इस विश्व रिकॉर्ड स्थापित पुस्तक प्रधानमंत्री, इसरो के वैज्ञानिकों, विभिन्न दूतावासों, पुस्तकालयों को भेंट किया जाएगा। इस विश्व रिकॉर्ड का उद्देश्य भारत के चाँद पर तिरंगा फहराने के पलों को अमर बनाने का है। इंदु नांदल भारत पर 4 विश्व रिकॉर्ड बना चुकी हैं । वे लगभग 30 वर्षों से विदेश में रह रही है । उन्होंने 3 विश्व रिकॉर्ड जर्मनी में व 1 विश्व रिकॉर्ड इंडोनेशिया में रहते हुए बनाया । 2008 से 2020 तक इंडोनेशिया में अध्यापिका के रूप में कार्य किया और विद्या

विश्व पुस्तक मेले में हुआ 'इस मीडिया समय' का लोकार्पण

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० योगेश भट्ट ०  नई दिल्ली। साहित्यकार गिरीश पंकज का कहना है कि संजय द्विवेदी भारतीय मीडिया के अप्रतिम विमर्शकार हैं। वे समाधानपरक पत्रकारिता और मूल्यनिष्ठ पत्रकारिता के ध्वजवाहक भी हैं। पंकज यहां विश्व पुस्तक मेले में प्रो.संजय द्विवेदी की नई किताब 'इस मीडिया समय' का लोकार्पण कर रहे थे। पुस्तक का प्रकाशन संस्मय प्रकाशन, इंदौर ने किया है। उन्होंने कहा संजय की यह किताब मीडिया और हमारी भाषा के सामने उपस्थित संकटों पर बात करती है। व्यंग्यकार सुभाष चंदर ने कहा कि संजय का जीवन और लेखन नयी पीढ़ी के पत्रकारों के लिए एक उदाहरण है। संजय अपने लेखन में समावेशी हैं और जीवन में लोकसंग्रही। उन्होंने कहा कि संजय की सृजनात्मक सक्रियता अप्रतिम है। लोकार्पण अवसर पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो.अविनाश वाजपेयी, प्रो.पवित्र श्रीवास्तव, हिंदी की प्राध्यापक और कथाकार डा.पूनम सिंह, भाजपा नेता गणेश मालवीय, राष्ट्र पत्रिका (नागपुर) के संपादक कृष्ण नागपाल,  मातृभाषा उन्नयन संस्थान के अध्यक्ष अर्पण जैन, भावना शर्मा,भारतीय जन संचार संस्थान के डा.राकेश उपाध्याय,डा.पवन

विश्व पुस्तक मेले में शिव दयाल द्वारा संपादित जेपी आंदोलन और भारतीय लोकतंत्र पुस्तक लोकार्पित

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० आशा पटेल ०  नई दिल्ली । वरिष्ठ साहित्यकार शिवदयाल द्वारा संपादित किताब 'जेपी आन्दोलन और भारतीय लोकतंत्र ' का विश्व पुस्तक मेला में लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर समाज वादी नेता रघु ठाकुर, प्रोफेसर आनंद कुमार और लेखक शिवदयाल द्वारा पुस्तक का लोकर्पण किया गया। लोकार्पण समारोह में सभी विद्वानो संबोधित किया। इस अवसर पर प्रोफेसर आनन्द कुमार ने शिवदयाल को बधाई देते हुए कहा कि यह पुस्तक शिवदयाल द्वारा रचित जयप्रकाश नारायण के विचार और आंदोलन के संदर्भ में तीसरा योगदान है।‌ यह पुस्तक सेतु प्रकाशन की ज्ञान ‌श्रृंखला में जयप्रकाश‌ नारायण के चिंतन-मंथन में से 43 प्रसंगों के संदर्भ में महत्वपूर्ण भूमिका के साथ 528 पृष्ठों का एक वृहद संकलन है। साथ ही शिवदयाल जी का बिहार आंदोलन से जुड़ा एक और उपन्यास 'एक और दुनिया होती '(अनन्य प्रकाशन) द्वारा प्रकाशित हो चुका हैं। प्रोफेसर आनन्द ने कहा कि जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन की इस अर्ध शताब्दी वर्ष की शुरुआत में ही एक साथ तीन पुस्तकें महत्वपूर्ण योगदान है। शिवदयाल जी ने जेपी द्वारा स्थापित छात्र युवा संघर्ष वाहिनी के माध्यम

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2024, साहित्यिक मैराथन का समापन

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० आशा पटेल ०  जयपुर। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2024, का 5-दिवसीय साहित्यिक मैराथन का समापन हुआ| फेस्टिवल में संस्मरण से लेकर स्पोर्ट्स, हिस्ट्री से माइग्रेशन और फूड से लेकर कई विषयों पर बात हुई| अंतिम सुबह की शुरुआत सप्तक चटर्जी के प्रदर्शन के साथ हुई, जो तीसरी पीढ़ी के हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक थे, जिन्होंने अपने शास्त्रीय वायलिन से मधुर धुनें बजाईं। सत्र ‘शाहजहानाबाद: ऑन देल्ही’स ब्रोकन हिस्ट्री’ में तीन इतिहासकारों, स्वप्ना लिडल, राणा सफवी और विलियम डेलरिम्पल ने शाहजहानाबाद/दिल्ली के इतिहास पर दिलचस्प चर्चा की  इतिहासकार और लेखिका स्वप्ना ने कहा, “अभी हाल ही में प्रकाशित मेरी किताब (शाहजहानाबाद) मेरे दिल के काफी करीब है| उसमें अकबर द्वितीय और उनके पुत्र बहादुर शाह ज़फर द्वितीय के जीवनकाल को वर्णित किया गया है|” शाहजहाँ ने 17वीं सदी में शाहजहानाबाद की स्थापना की थी, जो वर्तमान में देश की राजधानी दिल्ली है| लेखिका राणा सफवी ने दिल्ली पर छह किताबें लिखी हैं, “मुझे अतीत को देखना और वर्तमान में उसकी प्रासंगिकता तलाशना अच्छा लगता है|” हाल ही में मेहरौली, दिल्ली में प्रशासन द्वारा गिराई गई म

उपन्यास 'इक्वेशन्स' के हिंदी अनुवाद 'सियासत' का जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में हुआ लोकार्पण

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० योगेश भट्ट ०  नई दिल्ली . शिवानी सिब्बल के पहले बहुचर्चित उपन्यास ‘इक्वेशंस’ (Equations) के हिन्दी संस्करण ‘सियासत’ का लोकार्पण जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में हुआ। इस कार्यक्रम में लेखक शिवानी सिब्बल, वरिष्ठ साहित्यकार मृदुला गर्ग, अनुवादक प्रभात रंजन, राजकमल प्रकाशन समूह के सम्पादकीय निदेशक सत्यानन्द निरुपम और कार्यक्रम सूत्रधार मीता कपूर उपस्थित रहे। लोकार्पण के बाद लेखक और अनुवादक से मीता कपूर ने इस उपन्यास पर बातचीत की। इस मौके पर कार्यक्रम की सूत्रधार मीता कपूर ने कहा कि जब मैंने किताब के अनुवादक प्रभात रंजन से पूछा कि इस किताब के अनुवाद का ख़याल आपके मन में कैसे आया तो उन्होंने कहा कि जैसे ही मैंने इस किताब को पढ़ना शुरू किया मुझे लगा, जैसे यह किताब अनुवाद की प्रतीक्षा ही कर रही है। हिंदी की वरिष्ठ लेखक मृदुला गर्ग ने कहा कि यह शिवानी के लिए एक मुबारक दिन है। जब किसी की पहली किताब मुकम्मल होती है तो वह उसके लिए मुबारक दिन होता है।  फिर जब पहली किताब छप कर आती है तो भी मुबारक दिन होता है। और जब उसका अनुवाद होता है तो वह भी मुबारक दिन होता है। यही बात मेरी पहली किताब के पूरा होने पर कृ

पुस्तक ‘सत्य व अहिंसा अनुगामी-महात्मा गांधी’’का लोकार्पण

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० आशा पटेल ०  जयपुर। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में स्वच्छ नगर संस्था जयपुर द्वारा प्रकाशित ‘‘सत्य व अहिंसा अनुगामी-महात्मा गांधी’’ पुस्तक का लोकार्पण किया गया। पुस्तक में पूर्व आई.ए.एस. अधिकारी स्व.डाॅ.सत्यनारायण सिंह द्वारा महात्मा गांधी के बहुआयामी व्यक्तित्व के संबंध में लिखे गये लेखों का संकलन है। इन लेखों का संपादन वरिष्ठ लेखक व पत्रकार देवीसिंह नरूका द्वारा किया गया है। पुस्तक में महात्मा गांधी का जीवन दर्शन, गांधी का राष्ट्रवाद, सत्य व अहिंसा, भारत छोड़ो आन्दोलन, गांधी की दांडी यात्रा, महात्मा गांधी व नारी सशक्तिकरण, गांधी की धार्मिकता, महात्मा गांधी और सरदार पटेल, महात्मा गांधी का हिन्दुत्व आदि विविध सारगर्भित लेख हैं। इस अवसर पर पार्थो सान्याल शिक्षाविद, डाॅ. परिक्षित सिंह, यू.एस.ए., प्रो. बी.एम.शर्मा कोटा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति व राजस्थान लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष,  एम.एस.कुमावत बीएसएफ एवं सी.बी.आई. के पूर्व प्रमुख, वी.पी.सिंह पूर्व आई.पी.एस., फारूक आफरिदी वरिष्ठ साहित्यकार, आशा पटेल संपादक-वाणिज्य सेतु, प्रदीप पांडे पूर्व चीफ टाउन प्लानर, श्रीमती निर्मला सिंह, डाॅ. र

जन-जन में सद्भावना , हो ज्यूँ बहता नीर

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०  सुषमा भंडारी  ०  गणतन्त्र कहता सदा , न हो कोई गुलाम। आजादी के वास्ते , अमर अनेकों नाम।। पावन है अति पर्व ये, है अपना गणतन्त्र। जन जन के ह्रदय बसा, ये ही इसका मंत्र।। भाषा अपने देश में , कोस कोस पे भिन्न। भाई चारा एकता, इक दूजे के अभिन्न।। आंखों में रहता सदा , भारत माँ का रूप। गंगधार छल छल करे, भाये उजली धूप।। आजादी का पर्व है , लिए खुशी का ज्वार। फाँसी पर चढ़ सूरमा , दे गये ये संसार।। बर्ष 24 शुभ बहुत, आये घर पर राम। हुई अयोध्या जगमगी, जय जय सीया राम।।

ग़ज़लों और रुबाइयों के संग्रह ‘चलो टुक मीर को सुनने’ का लोकार्पण

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० योगेश भट्ट ०  नई दिल्ली. रेख्ते के मशहूर शायर मीर तक़ी मीर की 300वीं वर्षगांठ पर अंजुमन तरक्की उर्दू (हिन्दी) द्वारा इंडिया हैबिटैट सेंटर में ‘अगले जमाने में कोई मीर भी था’ कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मौके पर मीर तक़ी मीर की 1500 से अधिक ग़ज़लों और चुनिन्दा रुबाइयों के संग्रह ‘चलो टुक मीर को सुनने’ का लोकार्पण हुआ। राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित इस किताब का सम्पादन विपिन गर्ग ने किया है। लोकार्पण के दौरान मंच पर अंजुमन तरक्की उर्दू (हिन्दी) के जनरल सेक्रेटरी अतहर फ़ारूक़ी, दास्तानगो मोहम्मद फ़ारूक़ी, सदफ़ फातिमा, जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के प्रो. अहमद महफ़ूज, किताब के सम्पादक विपिन गर्ग, राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक महेश्वरी समेत अन्य गणमान्य मौजूद रहे। किताब के लोकार्पण के बाद दास्तानगो महमूद फ़ारूक़ी और दारेन शहीदी ने मीर की ज़िन्दगी पर आधारित दिलचस्प दास्तान ‘दास्तान-ए-मीर’ सुनाई। ‘चलो टुक मीर को सुनने’ संग्रह के सम्पादक विपिन गर्ग ने कहा कि मीर ने शायरी की सभी विधाओं को आज़माया लेकिन उनका पसंदीदा शगल ग़ज़ल-गोई है। मीर ने ग़ज़लों में तक़रीबन 14-15 हज़ार शे’र कहे हैं। इसी क

साहित्य के महाकुम्भ में देश-दुनिया के 550 से अधिक लेखक, वक्ता और कलाकार हिस्सा लेंगे,

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० आशा पटेल ०  जयपुर। 1 से 5 फरवरी को जयपुर में होने वाले जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2024 का काउंटडाउन शुरू हो चुका है|  फेस्टिवल के प्रोडूसर, टीमवर्क आर्ट्स ने मीडिया को फेस्टिवल के 17वें संस्करण के विषय में विस्तार से बताया| साहित्य के इस महाकुम्भ में देश-दुनिया के 550 से अधिक लेखक, वक्ता और कलाकार हिस्सा लेंगे, और इसमें 16 भारतीय और 8 अंतर्राष्ट्रीय भाषाएं प्रस्तुत की जाएंगी| भारतीय भाषाओँ में शामिल हैं: असमी, अवधी, बंगाली, हिन्दी, कन्नड़, कश्मीरी, कुरुख, मलयालम, ओड़िया, पंजाबी, राजस्थानी, संस्कृत, तमिल, तोड़ा, उर्दू और बंजारा भाषा – लामानी (लम्बाडा)| फेस्टिवल में साहित्य की श्रेष्ठ प्रतिभाओं को सम्मिलित किया जाएगा, जिनमें प्रमुख हैं: नेशनल जिओग्राफिक की यूरोप और पश्चिमी एशिया में रीजनल मैनेजर, यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में ऑनरेरी फेलो और सिल्क: ए हिस्ट्री इन थ्री मेटामोर्फेस की लेखिका आरती प्रसाद; भूतपूर्व इंडियन क्रिकेटर और कमेंटेटर अजय जड़ेजा; ब्लॉकबस्टर बाहुबली त्रयी, असुर: टेल ऑफ़ द वेन्क़ुइश्ड और अजय सीरिज के लेखक आनंद नीलकंठन; बैड न्यूज़: लास्ट जर्नलिस्ट इन ए डिक्टेटरशिप और स्ट्रिंगर: ए रि

सपना सच सच में हुआ, बोलो ‘जय श्री राम’

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 ० प्रो. रवि शर्मा ‘मधुप’ ० सपना सच सच में हुआ, बोलो ‘जय श्री राम’| सदियों थे वनवास में, पहुँचे हैं निज धाम || हर्षोल्लास से भर गए, नाच उठे मन-मयूर| धाम बना प्रभु राम का, बाधा हुइ हर दूर|| अवध पुरी में फिर हुई, प्रभु की जय-जयकार| भव्य भवन तैयार हुआ, जन-मन है बलिहार|| जनता जब करने लगी, मोदी का गुणगान| मोदी हँस कहने लगे, कृपा करें प्रभु राम|| आज दीप घर-घर जलें, हर घर हो त्योहार| भाव-पुष्प कर में सजें, कर सोलह शृंगार|| योगी मोदी सा नहीं, जग में कोई वीर| जो कहा, कर दिखा दिया, रख मनवा में धीर||

पत्रकार संतोष निर्मल ने लिखा हस्तलिखित रामचरितमानस

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० आशा पटेल ०  जयपुर। कम्प्यूटर, इंटरनेट वाले इस डिजिटल युग में किसी ने 500 पृष्ठों का ग्रंथ हाथ से लिखा है, तो आश्चर्य होना स्वाभाविक है। क्योंकि लोग जब से मोबाइल और कम्प्यूटर का उपयोग करने लगे हैं, तबसे वह हाथ से लिखना भूलते जा रहे हैं। लोगों के लिए दो-चार पृष्ठ ही लिखना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में जयपुर के प्रसिद्ध और वरिष्ठ पत्रकार संतोष कुमार निर्मल ने गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस को हाथ से लिखकर एक अनूठा उदाहरण पेश कर दिया। श्रीरामचरित मानस के हस्तलिखित संस्करण के बारे में उनका कहना था कि उसे लिखने की प्रेरणा उन्हें कहां से मिली, यह उन्हें खुद नहीं मालूम। निर्मल ने बताया कि श्री रामचरित मानस जब घर-घर में है, तो उसे हाथ से लिखने का क्या औचित्य ? लेकिन पता नहीं क्यों मन में यह भावना बढ़‌ती जा रहीं थीं कि मैं इसकी प्रतिलिपि तैयार करू। जब से राममंदिर का निर्माण शुरू हुआ, तबसे यह इच्छा और बढ़ गई। इसके बाद मैंने इसे लिखना शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि इसे वह इसलिए भी लिखना चाह रहे थे, ताकि हाथ से लिखने की आदत बनी रहे। साथ ही नई पीढ़ी की रामचरितमानस के प्रति रुचि बढ़े

साहित्य में मानवीय मूल्यों के संवर्धन का प्रयास होना चाहिए-संतोष श्रीवास्तव

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०  मुज़फ्फर सिद्दीकी   ०  भोपाल - अंतर्राष्ट्रीय विश्वमैत्री मंच का अभिनव आयोजन, कहानी संवाद - दो कहानी दो समीक्षक गूगल मीट पर आयोजित किया गया। इस मौके पर अपने वक्तव्य में अंतर्राष्ट्रीय विश्वमैत्री मंच की संस्थापक अध्यक्ष संतोष श्रीवास्तव ने कहा कि "हिंदी साहित्य, उत्तरोत्तर समृद्ध हो रहा है। संसार को यदि किसी ने समृद्ध किया है तो वह साहित्य ही है। साहित्य में मानवीय मूल्यों के संवर्धन का प्रयास होना चाहिए। कहानी ने हमेशा चुनौतियों का सामना किया है।" मुख्य अतिथि राज बोहरे ने मनीष वैद्य की कहानी, "अब्दुल मजीद की मिट्टी', की विस्तार से विवेचना करते हुए कहा कि यह कहानी हुनर मंद लोगों की कहानी है। हुनर मंद लोग अब यहां से हकाले जा रहे हैं। यह उस वर्ग की कहानी है जिनसे, उनके हाथ का काम छीन कर हाशिये की ज़िन्दगी जीने पर मजबूर किया गया। वसुधा सहस्त्र बुद्धे की कहानी 'संगम', अपने आप में एक अलग कहानी है। कहानी भी इतिहास का ही एक रूप होती है। जो हमें उस काल खंड में ले जाती है। काल जो ज़ख़्म देता है उसका कोई इलाज नहीं।" अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार प्रकाश कांत ने

राज्यपाल मिश्र को पुस्तक मूर्धन्य साहित्य सर्जक की प्रति भेंट

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० आशा पटेल ०  जयपुर। राजधानी की साहित्यिक संस्था शब्द संसार के अध्यक्ष साहित्यकार श्रीकृष्ण शर्मा प्रणीत कृति 98 मूर्धन्य साहित्य सर्जक" की प्रति राजस्थान के राज्यपाल कलराज जी मिश्र को भेंट की गई। राज्यपाल ने हिन्दी साहित्य के उन्नयन के लिए इस प्रयास की सराहना की। राजभवन में राज्यपाल से भेंट के दौरान श्रीकृष्ण शर्मा की हिन्दी भाषा की शुद्ध वर्तनी के संदर्भ में भी चर्चा हुई। इस अवसर पर भाषाविद डा. नरेन्द्र शर्मा कुसुम ने पुस्तक में वर्णित साहित्यकारों के गीतों का उल्लेख करते हुए कहा कि अब लोकप्रिय सुमधुर गीतों की गति मंद हो गई है। स्तम्भकार ललित शर्मा अकिंचन के अनुसार इस पुस्तक में बालकृष्ण राही, हेत प्रकाश जोशी, कन्हैयालाल सेठिया, रामनाथ कमलाकर, डॉ. गार्गी शरण मिश्र ,डॉ. नरेन्द्र शर्मा कुसुम, इकराम राजस्थानी, नीरु सक्सेना , गोपाल प्रसाद मुद‌गल, डा. मूलचंद पाठक एवं डा. फराज हामिदी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को रेखांकित किया गया है।

श्री नाथ भगवान को नमन है बारम्बार

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०  सुषमा भंडारी  ०   श्री नाथ भगवान को नमन है बारम्बार देवपुरा परिवार का, देखा चमत्कार देखा चमत्कार , साहित्य मंडल न्यारा आभा बाऊ जी की, चमके नाथद्वारा चमके नाथद्वारा , श्याम करे प्रकाश साहित्य मंडल में यूँ ही खिलें पलाश यूँ ही खिलें पलाश महके नाथद्वारा श्री नाथ का हाथ, और शीश हमारा शीश हमारा, आशीषों की हो बौछार देवपुरा परिवार का मिले सदा ही प्यार

चित्रा बनर्जी दिवाकरुणी ने लिखी मूर्ति युगल सुधा -नारायण मूर्ति की प्रेम कथा

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० आशा पटेल ०  जयपुर । सबसे बड़े साहित्यिक शो’, जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का आयोजन 1 से 5 फरवरी को होने जा रहा है| ये फेस्टिवल 5 दिन तक साहित्य, संस्कृति और कला के रंगों से रंगा रहता है| फेस्टिवल के 17वें संस्करण में देश-विदेश के 250 से अधिक लेखक, चिन्तक और वक्ता हिस्सा लेंगे| फेस्टिवल का आयोजन जयपुर में होगा| क्ताओं में लोकप्रिय उपन्यासकार चित्रा बनर्जी दिवाकरुणी का भी है| उन्होंने सुधा मूर्ति और नारायण मूर्ति की शादी और शादी से पहले के शुरुआती दिनों को अपनी किताब में दर्ज किया है| मूर्ति युगल की ये प्रेम कहानी वास्तव में इनफ़ोसिस की स्थापना की कहानी भी है  ये इकलौती ऐसी किताब है, जहाँ खुद मूर्ति युगल ने हिस्सा लिया है, लेखिका के साथ बैठकर लम्बे साक्षात्कार दिए और अपने जिंदगी को बयां किया है| किताब की कई हस्तियों ने प्रशंसा की है, जिनमें शामिल हैं इंद्रा नूयी (‘शानदार... थोड़ी बिजनेस, तो थोड़ी रोमांस की कहानी’), मुकेश अंबानी (‘खूबसूरत’), ट्विंकल खन्ना (‘जबरदस्त बयानगी’) और सचिन तेंदुलकर (‘प्रेरक’)| चित्रा बनर्जी दिवाकरुणी कहती हैं “इस किताब को लिखना मेरे लिए बहुत दिलचस्प अनुभव रहा|  मैं खुशनस

विद्या गुप्ता की कहानी संग्रह 'मैं हस्ताक्षर हूं' का लोकार्पण

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० योगेश भट्ट ०  दुर्ग छत्तीसगढ़ ।  विद्या गुप्ता की कहानियां ताकतवर स्त्रियों की कहानियां हैं, जिसमें पठनीयता के तत्व मौजूद हैं। इन कहानियों में संवेदनशील, पारिवारिक मूल्यों को सहेजने वाली सांस्कृतिक रूप से प्रतिबद्ध स्त्रियों के दर्शन होते हैं।  आईआईएमसी के पूर्व महानिदेशक प्रो.संजय द्विवेदी का कहना है कि "छत्तीसगढ़ कथा सृजन के लिए सबसे उर्वर प्रदेश है, क्योंकि जैसी विविधता और लोक अनुभव यहां मिलेंगे वह अन्यत्र दुर्लभ हैं।"  यहां कथाकार श्रीमती विद्या गुप्ता के कथा संग्रह 'मैं हस्ताक्षर हूं' के लोकार्पण समारोह में मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रहे थे।  कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यकार रवि श्रीवास्तव ने की। आयोजन में कथाकार सतीश जायसवाल, परदेशी राम वर्मा,विनोद साव, आलोचक डा.सियाराम शर्मा, गुलवीर सिंह भाटिया विशेष रूप से उपस्थित रहे। प्रो.द्विवेदी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में पं. माधवराव सप्रे द्वारा लिखित 'एक टोकरी भर मिट्टी' हिंदी की पहली कहानी है। इस तरह छत्तीसगढ़ हिंदी कहानी की पुण्यभूमि भी है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में ग्रामीण जीवन भी है, वन्य जीवन भी

नया वर्ष नया हर्ष

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०  डॉ० वहाब ०  नया वर्ष नया हर्ष  नई उमंग नव उल्लास नया उत्साह नव तरंग मन में दूर हो दुःख दूर वेदनाएं सब श्रम से प्राप्त सुख हो मुख पर न हो मुखौटा मन मानव का शुद्ध हो पर निर्भर नहीं आत्म निर्भर हो जनस्वार्थ को त्यागे उपकार परोपकार परमार्थ जानें ईश्वर में हो आस्था छल कपट का भाव न हो मनुष्यता का अभाव न हो हिंसा को कर नकार अहिंसा को अपनाएं बना रहे जन मन यह भाव अक्षुण्ण हो सांप्रदायिक सद्भाव कभी न घेरे निराशा घन आलोडित हों आशाएं मन ।