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राष्‍ट्रीय डिजिटल स्‍वास्‍थ्‍य योजना रिपोर्ट जनता के लिए जारी

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नयी दिल्ली - केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने विभिन्‍न साझेदारों से जानकारी लेने के लिए नई दिल्‍ली में राष्‍ट्रीय डिजिटल स्‍वास्‍थ्‍य योजना रिपोर्ट जनता के लिए जारी की। इस अवसर पर केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कहा कि डिजिटल स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र में तेजी से बदलाव हो रहा है और इसमें सार्वभौमिक स्‍वास्‍थ्‍य कवरेज (यूएचसी) को सहयोग देने की भारी संभावना है। भारत के पास वह सब कुछ है, जिससे सभी के लिए स्‍वास्‍थ्‍य  के लक्ष्‍य को हासिल किया जा सकता है। उन्‍होंने कहा कि राष्‍ट्रीय डिजिटल स्‍वास्‍थ्‍य योजना प्रधानमंत्री की उस कल्‍पना की तर्ज पर है, जिसके तहत उनका सपना देश के प्रत्‍येक व्‍यक्ति के दरवाजे तक डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को पहुंचाना है। इस अवसर पर स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण राज्‍य मंत्री अश्‍विनी कुमार चौबे, स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय में सचिव श्रीमती प्र‍ीति सूदन, यूआईडीएआईके पूर्व अध्‍यक्ष और एनडीएचबी पर समिति के अध्‍यक्ष जे. सत्‍य नारायण, एएस और डीजी (सीजीएचएस), एएस (स्‍वास्‍थ्‍य) संजीव कुमार और संयुक्‍त सचिव लव अग्रवाल भी उपस्थित थे। स्‍वास्‍थ्‍य

KVIC ने द्वारका के SPG परिसर में मधुमक्‍खी पालने वाले बक्‍से लगाए

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केवीआईसी ने पिछले डेढ़ वर्षों में देशभर में 1.10 लाख से अधिक बी-बॉक्‍स का वितरण किया है। इससे किसानों, बेरोजगार युवाओं और जनजातीय समुदायों के लिए 11,000 से अधिक नए रोजगारों का सृजन हुआ। इसके अलावा केवल इन बक्‍सों से 4 करोड़ रुपये के मूल्‍य का 430 मीट्रिक टन शहद प्राप्‍त किया गया। नयी दिल्ली - स्‍पेशल प्रोटेक्‍शन ग्रुप (एसपीजी) ने अपने परिसर में बी-बॉक्‍स (मधुमक्‍खी पालने वाले बक्‍से) लगाए हैं। इन बक्‍सों को खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने उपलब्‍ध कराया है। इन बक्‍सों को एसपीजी के द्वारका स्थित मुख्‍यालय में लगाया गया है। शहद उत्‍पादन के अलावा परिसर में फूल-पौधों को प्रोत्‍साहन मिलेगा, क्‍योंकि मधुमक्खियां फूलों का पराग जमा करती हैं। पराग कणों से फूल खिलते हैं और शहद भी प्राप्‍त होता है। एसपीजी अधिकारियों ने मार्गदर्शन और प्रशिक्षण के लिए केवीआईसी से हाल में संपर्क किया था, ताकि उनके परिसर में उपरोक्‍त व्‍यवस्‍था हो सके। केवीआईसी के अध्‍यक्ष विनय कुमार सक्‍सेना ने बताया कि मधुमक्खियों के छत्‍तों की जांच करने, मधुमक्‍खी पालन संबंधी उपकरणों से परिचित होने, मधुमक्खियों के रोगों और