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अप्रैल 11, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

भोजपुरी अभिनेता आनंद ओझा रियल हीरो

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आनंद ओझा (Anand Ojha) भोजपुरी फिल्मो के सफलतम अभिनेताओं में गिने जाते हैं. उन्होंने कई हिट फ़िल्में भी दी हैं. आनंद ओझा सिर्फ फिल्मों के हीरो ही नहीं हैं बल्कि वह रियल हीरो है. इन दिनों वह आगरा जोन में उत्तर प्रदेश सरकार में ट्रैफिक इन्सपेक्टर के रूप में सेवा दे रहें हैं. आनंद ओझा एक पुलिस अधिकारी के रूप में दिन रात लॉक डाउन में सेवा देकर यह साबित कर दिया है की वह रियल लाइफ के भी हीरो हैं.एक ट्रैफिक इंस्पेक्टर के रूप में वह लोगों की मदद मे दिन-रात लगे हैं. वह आगरा में फंसे लोगों के लिए दिन रात एक कर ना केवल कानून व्यवस्था बनाए रखने में अपनी भूमिका  निभा रहें है. बल्कि वह चप्पे- चप्पे पर अपनी नजर बनाये हुए हैं, ताकी कोई बेसहारा खाली पेट न सो पाये. इसके पहले भी आनंद ओझा नें कोरोना के चलते पलायन करने वालों के लिए आगरा के अलग-अलग हिस्सों में में खुद जाकर राहत सामग्री उपलब्ध कराया. इसके साथ ही उन्होंने उन पलायन करने वालों को सही सलामत उनके घरो तक भेजने मे में मदद भी की. अभिनेता और इन्सपेक्टर आनंद ओझा नें बताया की जो भी व्यक्ति आगरा के अंदर फंसा है उसके तत्काल रहने और खाने पीने की व्यवस्था की

भईया नीलकंठ’ की तैयारी में जुटे अभिनेता अभय तिवारी

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रुद्रा फिल्म कंपनी के बैनर ‘भईया नीलकंठ’ के लिए लीड रोल में नजर आने वाले अभिनेता अ‍भय तिवारी इन दिनों अपने घर में ही खूब पसीना बहा रहे हैं। देश भर में लगातार कोरोना का कहर जारी है और संपूर्ण लॉकडाउन से सारे काम – काज ठप्‍प पड़े हैं। इसका असर फिल्म इंडस्‍ट्री पर भी खूब देखा जा रहा है। तभी फिल्‍म के शूटिंग की पूरी तैयारी होने के बावजूद ‘भईया नीलकंठ’ की शूटिंग लॉकडाउन समाप्‍त होने तक टाल दिया गया है। मगर फिल्‍म के तमाम कलाकारों अपने घरों में ही इस फिल्‍म के लिए वार्मअप कर रहे हैं।  अभिनेता अभय तिवारी अपने घर को ही जिम बना डाला और फिल्‍म की तैयारी में जुट गए हैं। उन्‍होंने अपनी डेली रूटीन में एक्‍सरसाइज और रिहर्सल को शामिल कर लिया है। फिल्‍म की तैयारियों की एक तस्‍वीर उन्‍होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से शेयर भी किया। साथ ही उन्‍होंने लोगों को संदेश दिया कि वे कोरोना को हराने के लिए घर में ही रहें। उन्‍होंने कहा कि हम ही नहीं, पूरी दुनिया इस महामारी की शिकार है और इससे बचने व कोरोना के चैन को तोड़ने का एकमात्र रास्‍ता है कि हम अपने घरों में रहे हैं।  अभय तिवारी के पीआरओ संजय भूषण पटियाला न

अभिनेता अभय तिवारी ने तकनीशियनों को बांटा राशन

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अभय तिवारी रुद्रा फिल्म कंपनी के बैनर तले बन रही भोजपुरी फ़िल्म 'दिल तुझ पर क़ुर्बान' में सिंगर - एक्टर रितेश पांडेय के साथ नजर आने वाली हैं। फ़िल्म की शूटिंग कोलकाता के दुर्गापुर और पानागढ के मनोरम लोकेशन पर हुई है, जो इन दिनों पोस्‍ट प्रोडक्‍शन फेज में है। फ़िल्म की निर्माता अदिति राय हैं और निर्देशन राजू चौहान हैं। फिल्म के पीआरओ संजय भूषण पटियाला हैं, जो राहत सामग्री वितरण के दौरान उनके साथ रहे।   कोरोना की लड़ाई में खाने – पीने का संकट अब फिल्‍म इंडस्‍ट्री में तकनीशियनों पर गहराने लगा है। लॉकडाउन के उनके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा है, जिसके बाद आज फिल्‍म 'दिल तुझ पर क़ुर्बान' के अभिनेता अभय तिवारी ने मुंबई में इंडस्‍ट्री के तकनीशियनों के बीच राहत सामग्री का वितरण किया। उन्‍होंने तकनीशियनों के बीच 5 किलो चावल, 5 किलो आटा, 2 किलो दाल, 2 किलो तेल, 1 किलो नमक, सर्फ, साबुन और मास्‍क का वितरण किया।  इनमें कई विदेशी तकनीशियन भी थे, जो खाने के संकट से जूझ रहे हैं।  अभय तिवारी ने इस मदद के दौरान लॉकडाउन के नियमों का पालन किया और सोशल डिस्‍टेंसिंग का खास ख्‍याल रखते हुए लोगों की मद

5 दिन में 6.7 लाख जरूरतमंदों को मुहैया कराया भोजन

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नयी दिल्ली - इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (I-PAC) सबकी रसोई पहल के तहत दिल्ली समेत देश के 26 शहरों में जरूरतमंदों को अब तक 6.7 लाख से अधिक भोजन उपलब्ध करा चुकी है।  I-PAC ने देश के 26 शहरों में 1,44,562 जरूरतमंदों को ताजा भोजन उपलब्ध कराया। आईपैक दिल्ली-NCR में दिल्ली, गुड़गांव और फरीदाबाद में जरूरतमंदों जो भोजन मुहैया कराने के लिए 70 डिस्ट्रीब्यूशन प्वॉइंट बनाया है और दिल्ली-NCR में 17362 जरूरतमंदों को ताजा भोजन उपलब्ध कराया। इस पहल के बारे में अधिक जानने के लिए या हिस्सा लेने के लिए, कृपया हमसे संपर्क कर सकते हैं। आप हमें info.sabkirasoi@indianpac.com पर ईमेल भेज सकते हैं या हमें यहां कॉल कर सकते हैं: 6900869008

अच्छे दिन बीत गए,ये कैसे दिन आए

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विजय सिंह बिष्ट अच्छे दिन बीत गए, ये कैसे दिन आए। कैसी बिपदा आन पड़ी, द्रुदिन धरती पर छाए। ये द्रुदिन कैसे आए। अच्छे दिनों के सपने थे संजोए। ये विपदा भरे दिन कैसे आए। शत्रु बड़ा भयंकर कैसे जाएं। सारी दुनियां भयातुर ये कैसे दिन आए। लाशों का अंबार लगा है, कोई इससे बच न पाए। जुदा जुदा अपनों से हैं, कोई इनसे मिल न पाए। ये द्रुदिन कैसे जाएं। संदेशे आते अपनों के हैं, कैसे हम मिलने को आएं। गम भरी बेला में कैसे हाथ मिलाएं। घिरे हुए हैं चार दीवाली में, कैसे घर आंगन में आएं। ये कैसी मजबूरी बना डाली, कैसे तुमसे मिलने को आएं। ये कैसे द्रुदिन लेकर आए। अदृश्य चेहरा शत्रु लेकर आया, जिसे हर कोई देख न पाए। तुम सांसों में घुट रहे हो, अपनी व्यथा बता न पाए। ये कैसे द्रुदिन आए।। धैर्य धारण कर प्रार्थना करें, शत्रु भागे और हम उसे भगाएं। आओ कोरोना को जड़ से मिटाएं।। अच्छे दिन लौटाने होंगे, आओ मिलकर हाथ बढ़ाएं।।