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नवंबर 19, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सरकार संसद में सभी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए तैयार PM

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हम सभी मुद्दों पर चर्चा करना चाहते हैं। यह भी बहुत जरूरी है कि मुद्दे के पक्ष और विपक्ष में अच्‍छी बहस हो और देश की बेहतरी और कल्‍याण के लिए चर्चाओं के निष्‍कर्षों का बेहतरीन समाधानों के रूप में उपयोग हो।  नयी दिल्ली - प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने संसद के मौजूदा सत्र को बहुत महत्‍वपूर्ण बताया है क्‍योंकि यह राज्‍यसभा का 250वां सत्र होने के साथ-साथ भारतीय संविधान अंगीकृत होने का भी 70वां वर्ष होगा। आज संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री मीडिया को संबोधित कर रहे थे। उन्‍होंने देश को प्रगति के मार्ग पर लाने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए राज्‍यसभा की भी प्रशंसा की। प्रधानमंत्री ने कहा यह वर्ष 2019 का अंतिम संसद सत्र है। यह इसलिए भी महत्‍वपूर्ण सत्र है क्‍योंकि यह राज्‍यसभा का 250वां सत्र भी है। राज्‍यसभा ने देश के विकास और प्रगति में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है। 26 नवम्‍बर को देश 70वां संविधान दिवस मनाएगा। 26 नवम्‍बर 1949 को संविधान अंगीकृत किया गया था इसलिए इस वर्ष इसके 70 वर्ष पूरे हो रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि संविधान एक महान सिद्धांत है जो देश की एकता, अखंडता

टोल प्‍लाजा 1 दिसम्‍बर से “फास्‍टैग लेनों” के रुप में घोषित

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राष्‍ट्रीय राजमार्ग शुल्‍क प्‍लाजा पर फास्‍टैग के बिना यदि कोई भी वाहन “फास्‍टैग लेन” में प्रवेश कर रहा है, तो उसे वाहन की उस श्रेणी के लिए लागू शुल्‍क के दोगुना शुल्‍क का भुगतान करना पड़ेगा। भारतीय राष्‍ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण राजमार्गों पर परेशानी मुक्‍त यात्रा के लिए चौतरफा प्रयास कर रहा है। शुल्‍क प्‍लाजा की सभी लेनों को 1 दिसम्‍बर 2019 से “फास्‍टैग लेनों” के रुप में घोषित करने का आदेश।  टोल प्‍लाजा पर रूकावटों को खत्‍म करने और यातायात की बेरोकटोक आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय और भारतीय राष्‍ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की प्रमुख पहल, राष्‍ट्रीय इलैक्‍ट्रॉनिक टोल संग्रह (फास्‍टैग) कार्यक्रम को अखिल भारतीय स्‍तर पर लागू कर दिया गया है ताकि रेडियो फ्रीक्‍वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) टेक्‍नोलॉजी का इस्‍तेमाल करते हुए अधिसूचित दरों के अनुसार उपयोग शुल्‍क एकत्र किया जा सके।      डिजीटल भुगतान को प्रोत्‍साहन देने और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए, मंत्रालय ने राष्‍ट्रीय राजमार्गों पर शुल्‍क प्‍लाजा की सभी लेनों को 1 दिसम्‍बर 2019 से “फास्‍टैग लेनों” के रुप में घ

मुम्‍बई से अहमदाबाद तक विशेष पर्यटन पैकेज ‘हेरिटेज वीक’ की शुरूआत

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मुंबई - 19 से 25 नवम्‍बर तक आयोजित होने वाले विश्‍व धरोहर सप्‍ताह-2019 के मद्देनजर भारतीय रेल खान-पान एवं पर्यटन निगम लिमिटेड (आईआरसीटीसी) मुम्‍बई से एक विशेष पर्यटन पैकेज ' हेरिटेज वीक ' की शुरूआत कर रहा है। यह आयोजन 22 से 25 नवम्‍बर, 2019 तक होगा। इस यात्रा को आईआरसीटीसी, पश्चिम ज़ोन कार्यालय, मुम्‍बई संचालित कर रहा है। इस पैकेज की अनोखी विशेषता यह है कि इसमें गुजरात की धरोहर तथा संस्‍कृति का परिचय मिलेगा। इस यात्रा में यूनेस्‍को विश्‍व धरोहर स्‍थल 'रानी की वाव' और प्रसिद्ध 'मोधेरा सूर्य मंदिर' शामिल हैं। अहमदाबाद शहर के आसपास स्थित स्‍थानों को भी इस यात्रा में रखा गया है। यात्रा के दूसरे दिन, यानी 23 नवम्‍बर 2019 को पर्यटकों को प्रसिद्ध यूनेस्‍को विश्‍व धरोहर स्‍थल चंपानेर- पावागढ़ पुरातत्‍व पार्क भी ले जाया जायेगा। इस यात्रा का महत्‍वपूर्ण आकर्षक पक्ष यह है कि पर्यटकों के समूह को विश्‍व के सबसे विशाल स्‍मारक 'स्‍टेचू ऑफ यूनिटी' का पर्यटन भी कराया जायेगा। पैकेज का विवरण आईआरसीटीसी की वेबसाइट  www.irctctourism.com  पर उपलब्‍ध है। अधिक जानकारी के लिए य

सरदार पटेल राष्‍ट्रीय एकता पुरस्‍कार – 2020 का नामांकन 30 नवम्‍बर तक

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कोई भी भारतीय नागरिक या संस्‍थान या संगठन पुरस्‍कार के लिए किसी को भी नामित कर सकता है। भारतीय नागरिक अपने आप को भी नामित कर सकते हैं। राज्‍य सरकार, केन्‍द्र शासित प्रशासन और भारत सरकार के मंत्रालय भी नामांकन भेज सकते हैं। नयी दिल्ली - सरदार पटेल राष्‍ट्रीय एकता पुरस्‍कार – 2020 की ऑनलाइन नामांकन/अनुमोदन प्रक्रिया चल रही है और इसकी अंतिम तिथि 30 नवम्‍बर तक है। नामांकन/अनुमोदन गृहमंत्रालय की वेबसाइट https://nationalunityawards.mha.gov.in .  पर प्राप्‍त किया जा रहा है। भारत सरकार ने सरदार वल्‍लभभाई पटेल के नाम पर देश की एकता और अखंडता के क्षेत्र में उत्‍कृष्‍ट योगदान के लिए इस सर्वोच्‍च नागरिक पुरस्‍कार का गठन किया है। राष्‍ट्रीय एकता और अखंडता को प्रोत्‍साहन देने तथा मजबूत और अखंड भारत के मूल्‍यों को स्‍थापित करने के सम्‍बंध में यह पुरस्‍कार प्रदान किया जाता है। धर्म, नस्‍ल, जाति, लिंग, जन्‍म-स्‍थान, आयु या व्‍यवसाय से इतर सभी नागरिक और संस्‍थान/संगठन इस पुरस्‍कार के लिए पात्र हैं।  

Blessings महिलाओं को बना रहा है आत्मनिर्भर

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बेंगलुरु की धरती उत्तराखंड लोक गायकों और लोक धुन की गूंज से गुंजयमान हुई

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द हंस फाउंडेशन देश के उन दूरस्थ क्षेत्रों में शिक्षा की अलख जगा रहा है। जिन क्षेत्रों तक पहुंच पाना भी आज के समय में नामुकिन सा है। लेकिन इन क्षेत्रों में शिक्षा की अलख जगा दी और सेवा की यह यात्रा जारी है। देश के साथ ही उत्तराखण्ड में स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, ग्रामीण विकास, कृषक कल्याण एवं राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों की आबादी के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। बेंगलुरू । कर्नाटक की राजधानी में ,भारत की उद्यान नगरी बेंगलुरु की धरती उत्तराखंड वाद्य यंत्रों,लोक गायकों और लोक धुन की गूंज से गुंजयमान हुई। पहाड़ के युवाओं ने उत्तराखंडी लोक सांस्कृति विरासत को दक्षिण भारत की सांस्कृति पटल में एक नयी पहचान दिलाई और इस लोक सांस्कृति मंच को अपने श्रीचरणों से कृतार्थ किया समाजसेवी एंव हंस फाउंडेशन की प्रेरणास्रोत माताश्री मंगला जी है। उत्तराखंड महासंघ बेंगलुरू के तत्वावधान में आयोजित इस भव्य लोक सांस्कृति आयोजन का उद्धघाटन में माता मंगला जी एवं सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता और समाज सेवी संजय दरमोड़ा के करकमलों द्वारा हुआ। इस मंच को अपनी स्वर लहरियों से लोक संगीत के रंग

SDMC के चारों क्षेत्रों के बच्चों ने उपराष्ट्रपति के निवास पर मनाया बाल दिवस

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नयी दिल्ली - शिक्षा समिति की अध्यक्षा डॉ नन्दिनी शर्मा के सानिध्य में एस डी एम सी के चारों क्षेत्रों के बच्चों ने उपराष्ट्रपति एम० वेंकैया नायडू के निवास पर मनाया बाल दिवस । पश्चिमी क्षेत्र के कार्यालय से नर्सरी इंचार्ज सुषमा भंडारी,प्रधानाचार्या अंजु सचदेवा ( बी 3 रघुबीर नगर) अपने 6 बच्चों के साथ उपराष्ट्रपति के निवास पर पहुंचे । बच्चों,शिक्षा अधिकारियों तथा अध्यापकों के लिए उपराष्ट्रपति एम० वेंकैया नायडू महोदय से मुलाकात करना अपने आप में ऐतिहासिक के साथ साथ बहुत ही अच्छा अनुभव रहा । मुख्यालय से डी डी ई अनिता नौटियाल  व क्षेत्रीय कार्यालय से डी डी ई रिषिपाल राणा का हार्दिक आभार जताते हुए पश्चिमी क्षेत्र के कार्यालय से नर्सरी इंचार्ज सुषमा भंडारी ने बताया कि उनके द्वारा रचित एक बाल पुस्तक " नई कहानी " उपराष्ट्रपति एम० वेंकैया नायडू महोदय को भेंट करना अपने आप में एक यादगार लम्हा बन गया ।