विद्या के प्रति भक्ति तथा श्रद्धा से ही शास्त्र ज्ञान संभव
० योगेश भट्ट ० नयी दिल्ली । केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी की अध्यक्षता में मनाये जा रहे संस्कृत सप्ताह के ' अमृतभारतीवैभवम् ' के प्रसंग मे तीसरे दिन 'विद्वतसपर्या ' कार्यक्रम का आयोजन किया गया । इसमें देश के लब्धप्रतिष्ठ विद्वानों के द्वारा दर्शनशास्त्र की विविध विधाओं से जुड़े शास्त्रों की दार्शनिकता तथा इसके महत्त्व पर अपना व्याख्यान दिया गया । इस व्याख्यान माला के अन्तर्गत देश के बहुचर्चित विद्वान तथा 'बहुशास्त्रकोविद ' के रुप में लब्धप्रतिष्ठ विद्वान एवं दर्शन विद्या के क्षेत्र में अनेक राष्ट्रीय सम्मान के साथ साथ राष्ट्रपति पुरस्कार - महर्षि बादरायण व्यास सम्मान (2003) प्राप्त आचार्य मणि द्राविड शास्त्री के दार्शनिक चिन्तन पर विचार किया गया । इसमें आचार्य प्रशान्त शर्मा, दयाल सिंह महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, आचार्य के .एस्.महेश्वरन् , मद्रपूरी संस्कृत महाविद्यालय , चेन्नई तथा आचार्य कुप्पा बिल्वेश शर्मा , संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी ने अपने महत्त्वपूर्ण विचार रखे। आचार्य प्रशान्त शर्मा ने बहुशास्त्