संदेश

जुलाई 14, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

स्वच्छ ग्राम दर्पण मोबाइल एप्लिकेशन का शुभारंभ

चित्र
ग्रामीण भारत के 30 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 5.6 लाख से अधिक गांवों और 622 जिलों ने स्‍वयं को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया है नयी दिल्ली - जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल और स्वच्छता विभाग (डीडीडब्ल्यूएस) के स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत ग्रामीण भारत के 30 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 5.6 लाख से अधिक गांवों और 622 जिलों ने स्‍वयं को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया है। जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल और स्वच्छता विभाग (डीडीडब्ल्यूएस) ने नई दिल्‍ली में ओडीएफ प्लस और जल संरक्षण पर दो दिवसीय राष्ट्रीय योजना कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में 29 राज्‍यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्‍वच्‍छता प्रभारी सचिवों, मिशन निदेशकों और राज्य स्तर पर अन्य प्रमुख अधिकारियों ने भाग लिया। इस अवसर पर अपने संबोधन में, जल शक्ति मंत्रालय में राज्य मंत्री रतनलाल कटारिया ने कहा कि 2014 में, प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) का शुभारंभ किया था और अब अक्‍टूबर 2019 में लोगों के योगदान के कारण हम इस अभियान की 100% सफलता की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि एसबीएम

तमिलनाडु : डॉ.अम्बेडकर विधि विश्वविद्यालय के तीन न्यायविदों को एलएल.डी. (होनोरिस कोसा) मानद डिग्री प्रदान 

चित्र
राष्ट्र, समाज और अर्थव्यवस्था के विकास के साथ-साथ कानूनी साक्षरता को बढ़ाने और कानूनी नियमों को सरल बनाने की आवश्यकता भी होती है चेन्‍नई -राष्‍ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्‍द ने चेन्‍नई के डॉ.अम्बेडकर विधि विश्वविद्यालय में आयोजित एक विशेष दीक्षांत समारोह में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और वर्तमान में केरल के राज्यपाल पी. सदाशिवम, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश, शरद अरविन्द बोबड़े और मद्रास उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश श्रीमती विजय कमलेश ताहिलरमानी को एलएल.डी. की मानद डिग्री प्रदान की।     इस अवसर पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्र, समाज और अर्थव्यवस्था के विकास के साथ-साथ कानूनी साक्षरता को बढ़ाने और कानूनी नियमों को सरल बनाने की आवश्यकता भी होती है। उन्‍होंने कहा कि यह न केवल लोगों को न्याय दिलाने, बल्कि यह विभिन्‍न पक्षकारों को उनकी भाषा में जानकारी देने के लिए भी महत्वपूर्ण है। राष्‍ट्रपति ने कहा कि उन्‍हें उम्‍मीद है कि कभी एक ऐसी प्रणाली विकसित की जा सके जिसके माध्‍यम से उच्च न्यायालयों के निर्णयों की अनुवादित प्रतियाँ स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में उपलब्ध कराई जा स