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मार्च 23, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

"शक्ति अराधना के लिए नवरात्र अनुष्ठान" 

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सुरेखा शर्मा लेखिका /समीक्षक            देवि  प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद प्रसीद  मातर्जगतो अखिलस्य     प्रसीद विश्वेश्वरी पाहि विश्वं  त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य।                                                                                                              भारतवर्ष को धर्म प्रधान देश होने के साथ-साथ त्योहारों का देश भी कहें तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी । हर मास कोई न कोई पर्व- त्योहार मनाया जाता है । ये त्योहार जनमानस में नई स्फूर्ति व उमंग का संचार करते हैं । हम यह भी जानते हैं कि भारतीय संस्कृति पर पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव तीव्र गति से पड़ता जा रहा है, फिर भी जन साधारण अपनी प्राचीन गौरवमयी संस्कृति में आस्था रखता है । अभी भारतीय संस्कृति के बीज नष्ट नहीं हुए हैं।इसलिए हमारे जीवन में व्रत-उपवास, तीज त्योहार, पूजा-पाठ  विशेष महत्व रखते हैं। विशेषत: हिन्दू धर्म में तो व्रत -अनुष्ठानों का विशेष स्थान है और नवरात्र अनुष्ठान भी नौ दिनों के व्रत से सम्पन्न होता है।           प्रतिपदा से  नवमी तक के नौ दिन नवरात्र कहलाते हैं।ये वर्ष में दो बार आते हैं ।एक चैत्र मास में दूसरे आश्वि

त्योहारों के सीज़न के लिए घर की अच्छी तरह सफाई करनी चाहिए

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बसंत का मौसम विकास और फसलों की कटाई का मौसम है; यह नई चीज़ों के विकसित होने का मौसम है। बसंत का मौसम फिर से लौट रहा है, जो अपने साथ पके फल और भरपूर हरियाली लेकर आता है- लेकिन साथ ही धूल और पराग के कण भी लाता है- ऐसे में त्योहारों के इस सीज़न के लिए आपको घर की अच्छी तरह सफाई करनी चाहिए। पहले लोग इस तरह के कामों के लिए अपने दोस्तों और नौकरों की मदद लेते थे, लेकिन आज इन कामों के लिए मदद मिलना मुश्किल होता जा रहा है। दुनिया भर में आज लोग अपने घर की सफाई के लिए स्मार्ट टूल्स पर निर्भर होते चले जा रहे हैं, जिनकी मदद से आप किसी से मदद लिए बिना आसानी से अपने घर की सफाई कर सकते हैं। तो आइए, ऐसे ही एक टूल झाड़ू के बारे में बाते करते हैं। बाज़ार में घास और अन्य सामग्री से बनी कई तरह के झाड़ू उपलब्ध हैं, लेकिन जब सफाई की बात आती है, तो ज़रूरी है कि झाड़ू हर कोने में पहुंच कर अच्छी तरह सफाई करे। सफाई को आसान बनाने के लिए झाड़ू खरीदते समय कुछ विशेष चीज़ों पर ज़रूर ध्यान दें।  क्या आपका झाड़ू हर कोने तक पहुंच सकता है? सबसे पहले इस बात पर ध्यान दें कि झ़ाडू ज़्यादा हिस्सा कवर करे और हर कोने तक पहुंच सके, ताकि आप

जैविक रोगाणु इन ध्वनियों से नष्ट हो जाते हैं

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आज से लगभग सत्तर बर्ष पहले गांव में महामारी हैजा , चेचक और काला ज्वर हुआ करता था। जो संक्रामक तो होता ही था। हैजा मक्खियों , चेचक मरीज के शरीर से फंगस, छोटी माता भी फंगसिव ही हुआ करती थी। प्लेग पिस्सुओं द्वारा फैला करता था। वास्तव में ये कीटाणु जैविक होते थे और तरह तरह से संक्रमित होते थे।उस समय विक्सनेटर एक टीका लगाता था।जो रोग निरोधक माना जाता था। पुराने जमाने के लोगों केबांयं  हाथ में ये निशान आज भी देखे जा सकते हैं।तीब्र बुखार और टीका पकना अच्छा लक्षण माना जाता था। शेष जीवन रक्षण के लिए वैद्यराज द्वारा लंगन पाचन और आयुर्वेदिक दवाओं का प्रयोग होता था। मुख्य रूप से निमोनिया, टाइफाइड, और मलेरिया का उपचार वैद्य लोग कर लेते थे। संक्रामक रोग असाध्य माने जाते थे। उस समय भी लोग घरों को छोड़कर दूसरे स्थानों में पलायन कर लेते थे, संक्रमित गांवों के रास्ते कांटों से बंद कर दिए जाते थे। उपचारकों को स्वच्छता का ध्यान रखना पड़ता था। मंत्रोच्चारण हवन यज्ञादि का प्रचलन वायु मंडल की शुद्धि और रोग नाशन हेतु किया जाता था। मोदी जी के आह्वान की भांति शंख ताली और थाली बजाने का प्रचलन था। हमारे निकट  सैं

देश भर में लोगों ने बजाई थाली और ताली

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