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तरक़्क़ी के लिए शिक्षित होना जरुरी - इक़बाल सैफ़ी { Qutub Mail }

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कांग्रेस जिलाध्यक्ष एवं जिला एलडीएम कोर्डिनेटर्स का ओरियंटेशन कार्यक्रम आयोजित

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० संवाददाता द्वारा ०  जयपुर | अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा चलाये जा रहे लीडरशिप डवलपमेंट मिशन के तहत प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय, जयपुर पर राजस्थान प्रदेश के कांग्रेस जिलाध्यक्ष एवं जिला एलडीएम कोर्डिनेटर्स का ओरियंटेशन कार्यक्रम आयोजित हुआ । कार्यक्रम में विषय विशेषज्ञों सहित के. राजू (एससी, एसटी, ओबीसी, माईनोरिटी विभाग) राष्ट्रीय संयोजक, एआईसीसी, राजेश लिलोठिया, चेयरमेन, अनुसूचित जाति विभाग, एआईसीसी, वीरेन्द्र सिंह राठौड़, सहप्रभारी राजस्थान, अमृता धवन, सहप्रभारी राजस्थान, राष्ट्रीय कोर्डिनेटर एवं लीडरशिप डवलपमेंट मिशन के राजस्थान प्रभारी नौशाद सोलंकी, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुख्यालय सचिव ललित तूनवाल तथा अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के चेयरमेन डॉ. शंकर यादव ने मुख्य रूप से अपने विचार रखे। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता स्वर्णिम चतुर्वेदी ने बताया कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिये आरक्षित विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव क्षेत्रों में लीडरशिप डवलपमेंट मिशन का कार्य प्रारम्भ करने हेतु प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय, जयपुर पर प्रदेशाध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा के निर्देशों पर

भारत में पहली बार ‘नीता मुकेश अंबानी कल्चरल सेंटर’ में इंटरनेशनल ब्रॉडवे म्यूजिकल "द साउंड ऑफ म्यूजिक"

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० संवाददाता द्वारा ०  मुंबई - इंटरनेशनल ब्रॉडवे म्यूजिकल शो ने पहली बार भारत में कदम रखा है। यह शो 7 बार प्रतिष्ठित टोनी पुरस्कार जीत चुका है। 1930 के ऑस्ट्रिया की पृष्ठभूमि से जन्मा यह शो दिखाता है कि कैसे संगीत, रोमांस और खुशियों के जरिए जीवन के संघर्षों पर विजय पाई जा सकती है। इस क्लासिक प्रोडक्शन में 'माई फेवरेट थिंग्स', 'डो रे मी', 'द हिल्स आर अलाइव' और 'सिक्सटीन गोइंग ऑन सेवेंटीन' जैसे 26 बेहतरीन गीत शामिल हैं। ‘नीता मुकेश अंबानी कल्चरल सेंटर’ की फाउंडर और चेयरपर्सन नीता एम अंबानी ने कहा, “एनएमएसीसी में भारत में पहले इंटरनेशनल ब्रॉडवे म्यूजिकल ‘द साउंड ऑफ म्यूजिक’ को पेश करते हुए हमें बेहद खुशी हो रही है! भारत की श्रेष्ठ विरासत का प्रदर्शन हमने 'द ग्रेट इंडियन म्यूजिकल' में किया था और अब हम, अब तक के सबसे पसंदीदा इंटरनेशनल म्यूजिकल्स में से एक को भारत लाने पर रोमांचित हैं।" “मेरा हमेशा से मानना रहा है कि कला - आशा और खुशी का संदेश देती है। 'द साउंड ऑफ म्यूजिक' ऐसी ही एक कालजयी रचना है। मुझे उम्मीद है कि मुंबई और भारत के लोग अपन

डॉक्यूमेंट्री फिल्म 'चंबल की चिट्ठी' जयपुर के एंटरटेनमेंट पैराडाइज़ में लॉन्च

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० योगेश भट्ट ०  जयपुर।  'चंबल की चिट्ठी' आर एन प्रोडक्शन्स की निर्माता-निर्देशक रेनू नेगी और निर्देशक सुशील मेहता के निर्देशन में बनी फिल्म है। इस डॉक्यूमेंट्री का मकसद सिर्फ ये सच सामने लाना है कि पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों में सूखे की समस्या को दूर करने के लिए ERCP और चंबल का पानी ही सिर्फ एक उपाय है। मैग्सेसे पुरस्कार विजेता और जलपुरुष के नाम से विख्यात राजेंद्र सिंह और फिल्म अभिनेत्री युविका चौधरी की उपस्थिति में डॉक्यूमेंट्री फिल्म 'चंबल की चिट्ठी' को जयपुर के एंटरटेनमेंट पैराडाइज़ में  लॉन्च किया गया।  मुख्य अतिथि के रूप में राजेंद्र सिंह प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित शख्सियत हैं, सिंह 46 साल से जल संरक्षण के लिए कार्य करते आ रहे हैं।युविका चौधरी दो दशक से अभिनय के क्षेत्र में जाना-माना चेहरा हैं और कई बॉलीवुड फिल्म्स-टीवी सीरीज के लिए काम कर चुकी हैं। चंबल की चिट्ठी' सामाजिक कार्यकर्ता राम निवास मीना का प्रयास है, जो ये बताने के लिए काफी है कि जल संकट की मार झेल रहे पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों में जल आपूर्ति क

कैसे बचेगी हमारी धरती

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० ज्ञानेन्द्र रावत ०  आज के हालात में यह बेहद जरूरी है कि हम जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल पर तत्काल रोक लगावें। अमीर देशों को तो 2030 तक और गरीब देशों को 2040 तक इनका इस्तेमाल पूरी तरह खत्म करना होगा। विकसित देशों को 2035 तक कार्बन मुक्त बिजली उत्पादन का लक्ष्य पूरा करना होगा। यही नहीं गैस आधारित या यों कहैं कि गैस संचालित पावर प्लांट भी पूरी तरह बंद करने होंगे।  अब इसमें कोई संदेह नहीं है कि आज धरती विनाश के कगार पर है। विडम्बना यह है कि हम सब इसके बावजूद सब कुछ जानते-समझते हुए भी मौन हैं।  दुनिया के अध्ययन-शोध इस तथ्य के जीते-जागते सबूत हैं कि यदि धरती को बचाना है तो सभी देशों को पहले से ज्यादा गंभीरता और तेजी से कदम उठाने होंगे। कारण जलवायु परिवर्तन के चलते विनाश की घड़ी की टिक-टिक हमें यह बताने के लिए काफी है कि अब बहुत कुछ हो गया, अब हमें कुछ करना ही होगा अन्यथा बहुत देर हो जायेगी और उस दशा में हाथ मलते रहने के सिवा हमारे पास करने को कुछ नहीं होगा। हालात गवाह हैं कि अब ऐसी स्थिति आ गयी है कि अब नहीं तो फिर कभी भी नहीं। संयुक्त राष्ट्र के अंतर सरकारी पैनल आईपीसीसी की ताजा रिपोर्ट इसी ख