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दिल्ली जल बोर्ड की लापरवाही से लोग दूषित पानी पीने को मजबूर { Qutub Mail }

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जयपुर में आज तक का सबसे बडा भूकंप { Qutub Mail }

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Jaipur भूकंप के झटके से लोगों में घबराहट फैली

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० आशा पटेल ०  जयपुर । राजधानी जयपुर सहित पूरे प्रदेश में आज सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए। ये एक बार आकर ही नहीं रूका लगातार तीन बार भूकंप झटके महसूस किए गए। पहला भूकंप सुबह करीब 4 बजकर 9 मिनट पर आया। इसकी तीव्रता काफी तेज थी और तेज कंपन से लोगों की नींद खुल गई और लोग अपने घरों के बाहर आकर खड़े हो गए। जयपुर सहित जयपुर ग्रामीण के जोबनेर, सांभर, फुलेरा, रेनवाल, बगरू, इत्यादि जगहो में भूकंप के जबरदस्त झटके.घरों से बाहर निकले सहमे लोग.धरती के अंदर से आ रही है धड धड की तीव्र आवाज.दो से तीन बार महसूस किए गए भूकंप के झटके 4.5 रिएक्टर पैमाने पर जयपुर में आज तक का सबसे बडा भूकंप । नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के मुताबिक पहला भूकंप सुबह 4 बजकर 9 मिनट पर आया है।  भूकंप की तीव्रता 4.5 रही और इसका केंद्र बिंदू जयपुर ही रहा। भूकंप के झटके से लोगों में घबराहट फैली, लेकिन किसी भी नुकसान की खबर नहीं मिली है।राजधानी में लंबे समय बाद इतना तेज भूकंप का झटका महसूस किया गया। दूसरी और तीसरी बार आया भूकंप सामान्य रहा।

Delhi Jal Board की लापरवाही से लोग दूषित पानी पीने को मजबूर,

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० योगेश भट्ट ०  नयी दिल्ली - दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों एवम कर्मचारियों की लापरवाही से जहां महीनो से लाखों लीटर पानी की बरबादी हो रही है वहीं लाखों लोग दूषित पानी पीने को मजबूर है। द्वारका सेक्टर तीन,आदर्श अपार्टमेंट एवम पालम ड्रेन के बीच से गुजरने वाली पीने के पानी की पाइप लीकेज है जिससे रोज हजारों लीटर पानी की बरबादी हो रही है। इसके साथ ही लीकेज में सीवर का पानी मिक्स होकर लोगों के घरों में जा रहा है जिसके पीने से लोग बीमार हो रहे है। पालम इलाके के पच्चीस कालोनियों के फेडरेशन के प्रधान,राष्ट्रीय युवा चेतना मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवम आरडब्ल्यूए मधु विहार के प्रधान चौधरी रणबीर सिंह सोलंकी ने बताया कि इस लीकेज के बारे में उन्होंने जल बोर्ड के बड़े अधिकारियों से लेकर जे ई, ए ई तक को इसकी शिकायत की है परंतु इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया है। तथा रोज लाखों लीटर पानी की बरबादी जारी है। सोलंकी ने बताया कि जल बोर्ड के वर्तमान  उपाध्यक्ष विधायक सोमनाथ भारती ने कहा है की जल बोर्ड की कोई भी समस्या का समाधान बारह घंटे की अंदर हो जाने चाहिए परंतु दो महीनो से इस समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा

हिमालय बचाओ ! मौजूदा विकास नीति पर सवाल

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० सुरेश भाई ०  जहां तक हिमालय बचाओ का सवाल है, यह केवल नारा नही है। यह हिमालय क्षेत्र में भावी विकास नीतियों को दिशाहीन होने से बचाने का एक रास्ता बता रहा है। क्योंकि पहाड़ की महिलाओं ने चिपको आंदोलन के दौरान कहा है कि ’’मिट्टी, पानी और बयार! जिन्दा रहने के आधार!’’ और आगे चलकर रक्षासूत्र आन्दोलन का नारा है कि ’’ऊंचाई पर पेड़ रहेंगे! नदी ग्लेशियर टिके रहेंगे!’’, आदि के निर्देशन हिमालय के लोगों ने देशवासियों को दिये हैं। अभी अलकनंदा के सिरहाने पर बसे हुए हेलंग गांव की महिलाओं को उन्हीं के चारागाह मे घास नहीं काटने दिया गया है। जिसके विरुद्ध उत्तराखंड में लोग जगह-जगह सड़कों पर उतरे हुए हैं। विश्व विख्यात पर्यावरणविद् सुन्दरलाल बहुगुणा कहते थे कि ’’धार ऐंच पाणी, ढाल पर डाला, बिजली बणावा खाला-खाला!’’ इसका अर्थ यह है कि चोटी पर पानी पहुंचना चाहिये, ढालदार पहाडियों पर चौड़ी पत्ती के वृक्ष लगे और इन पहाड़ियों के बीच से आ रहे नदी, नालों के पानी से घराट और नहरें बनाकर बिजली एवं सिंचाई की व्यवस्था की जाये। इसको ध्यान में रखते हुए हिमालय नीति के लिये केंद्र सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है।हिमालय की पानी,

न्यायोचित नहीं है राष्ट्रीय पार्कों के समीप उद्योगों की स्थापना

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० राम भरोस मीणा ०  यह सच है कि राष्ट्रीय अभ्यारण्य आक्सीजन के अपार भण्डार होने के साथ ही ग्राऊण्ड वाटर लेवल बनाये रखने में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं। इन्हें उन सभी गतिविधियों से दूर रखना नितान्त आवश्यक है जो पर्यावरण के लिए खतरा हैं या ख़तरा पैदा करने की सम्भावना को बल प्रदान करती हैं। इसमें भी दो राय नहीं है कि प्राणों की रक्षा के लिए प्राणवायु अत्यन्त आवश्यक है। इसके बिना एक क्षण भी व्यक्ति हो, पशु - पक्षी हो या कोई जीव जंतु जीवित नहीं रह सकता। इस प्राण वायु के लिए पेड़ - पौधों की आवश्यकता अहम होती है।  यह हम सब जानते हैं,समझते हैं कि आक्सीजन की उत्पत्ति पेड़-पौधों के बिना असंभव है और वही इस महत्वपूर्ण दायित्व का निर्वहन कर सकते हैं । इसीलिए इन्हें सच्चा मित्र कहा गया है । क्योंकि प्राणों की रक्षा प्राण वायु मिलने से ही हो सकतीं है और उसे केवल पेड़ ही दें सकते हैं। जहां वन कहें या वृक्ष कहें कम होते हैं,वहां का प्राकृतिक वातावरण दूषित होता है। स्वच्छता - सुंदरता की वहां आशा नगण्य मात्र होती है। वहां दुर्गंध व रोगों का विस्तार होता है, जो सभी जीवों के लिए प्राणघातक होता है। इसके चलते

तापमान वृद्धि,जलवायु परिवर्तन और बिगड़ते पर्यावरण के खतरे से बेखबर हम

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० ज्ञानेन्द्र रावत ०  मौसम में दिनोंदिन आ रहे बदलाव को सामान्य नहीं कह सकते। दरअसल यह एक भीषण समस्या है जिसे झुठलाया नहीं जा सकता। समूची दुनिया इसके दुष्प्रभाव से अछूती नहीं है। इसका मुकाबला इसलिए जरूरी है कि हमारी धरती आज जितनी गर्म है उतनी मानव सभ्यता के इतिहास में कभी नहीं रही है। इससे यह जाहिर हो जाता है कि हम आज एक अलग दुनिया में रहने को विवश हैं जबकि हम यह भलीभांति जानते-समझते हैं कि यह खतरे की घंटी है।  उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव के बीच जलवायु में बदलाव का अंतर दिनोंदिन तेजी से बढ़ता जा रहा है जिसके काफी दूरगामी परिणाम होंगे। दुख तो यह है कि इस सबके बावजूद हम इसे सामान्य घटना मानने में ही लगे हुए हैं। यही नहीं तापमान में बढो़तरी और जलवायु में बदलाव को रोकने की दिशा में जो भी अभी तक प्रयास किए गये हैं, उनका कोई कारगर परिणाम नहीं निकल सका है। यह बेहद चिंतनीय है। जहां तक दक्षिण एशिया का सवाल है, यह निश्चित है कि यदि तापमान वृद्धि चरम पर पहुंची तो इस इलाके मे हजारों लोग मौत के मुंह में जायेंगे। 2003 में योरोप और रूस की घटना इसका जीता-जागता सबूत है जबकि वहां तापमान बहुत अधिक नहीं था, तब

बीएलके-मैक्स हॉस्पिटल : दिल की बीमारी और किडनी कैंसर से पीड़ित 67 वर्षीय महिला का सफल इलाज

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० नूरुद्दीन अंसारी ०  नई दिल्ली : बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलटी हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने 67 वर्षीय महिला को नया जीवन दिया है, जो किडनी कैंसर और हार्ट की मुख्य आर्टरीज़ में ब्लॉकेज से पीड़ित थीं, दो दिनों के अंदर उनकी 2 बड़ी सर्जरियां की गईं। बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलटी हॉस्पिटल के विशेषज्ञ डॉक्टरों- डॉ सुरेन्द्र कुमार डबास, वाईस चेयरमैन, ओंकोलोजी, डॉ रामजी मेहरोत्रा, चीफ़ कार्डियोथोरेसिक एण्ड वैस्कुलर सर्जरी और डॉ विकास ठकरान, सीनियर कन्सलटेन्ट एण्ड युनिट हैड- इंटरवेंशनल कार्डियोलोजी के नेतृत्व में इन सर्जरियों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया, जिनके अच्छे परिणाम मिले। महिला किडनी कैंसर से पीड़ित थीं। वे इलाज के लिए बीएलके-मैक्स हॉस्पिटल आई थीं। जांच में पता चला कि मरीज़ को क्लास 3 एंज़ाइना, हाइपरटेंशन और टाईप 2 डायबिटीज़ मेलिटस भी है। उनकी कोरोनरी एंजियोग्राफी से पता चला कि तीन वैसल्स का उपचार जल्द से जल्द करना बहुत ज़रूरी था, ताकि कैंसर सर्जरी के दौरान कोई बड़ी कार्डियक घटना न हो। मेडिकल टीम ने उनके इलाज के लिए पूरी योजना तैयार की। सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि मरीज़ को चार स्टेंट्स के लिए कम्पलीट रीवैस्कुल

इंडिया एक्सपो सेंटर में हुआ जीआई फेयर इंडिया'23 का उद्घाटन

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० आशा पटेल ०  ग्रेटर नोएडा । इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट, ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे में 20 से 24 जुलाई तक आयोजित हो रहे जीआई फेयर इंडिया के दूसरे संस्करण का उद्घाटन केंद्रीय कपड़ा राज्य मंत्री श्रीमती दर्शना वी जरदोश द्वारा किया गया I इस अवसर पर ईपीसीएच अध्यक्ष दिलीप बैद, आईईएमएल अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार, राज कुमार मल्होत्रा, पूर्व अध्यक्ष-ईपीसीएच, ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर के वर्मा और ईपीसीएच की प्रशासनिक समिति के सदस्य मौजूद थे। सभा को संबोधित करते हुए दर्शना वी जरदोश, केंद्रीय कपड़ा राज्य मंत्री, ने जीआई फेयर इंडिया को भारत के कम प्रख्यात खजाने, स्वदेशी शिल्प और दुर्लभ विरासत के बौद्धिक गुणों को बढ़ावा देने का एक उत्कृष्ट माध्यम कहा और अपने निर्माताओं को बातचीत करने, ज्ञान साझा करने और व्यापार के अवसरों का पता लगाने का अवसर प्रदान करने वाला माध्यम बताया । उन्होंने ऐसे प्रदर्शकों, विशेष रूप से जीआई उपयोगकर्ताओं/उद्यमियों/कारीगरों, बुनकरों को एक मंच प्रदान करने में ईपीसीएच की भूमिका की सराहना की, जो अपनी कड़ी मेहनत, रचनात्मकता और पहल से भारत के सुदूर क्षेत्रों के उत्पादों की दृश्

IFWJ का धरना : पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग

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० आशा पटेल ०  जयपुर। लम्बे समय से पत्रकार सुरक्षा कानून सहित अन्य मांगों के लिए लगातार संघर्षरत आई एफ डब्ल्यू जे (इंडियन फैडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट) की राजस्थान प्रदेश इकाई के आव्हान पर विभिन्न जिलों से सैकड़ों की संख्या में आए पत्रकारों ने जयपुर में जुलुस निकाल कर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदेश अध्यक्ष उपेन्द्र सिंह राठौड़ के नेतृत्व में पत्रकारों ने जयपुर के पिंक सिटी प्रेस क्लब से विधानसभा तक पैदल मार्च निकाला और सरकार के प्रतिनिधी को ज्ञापन सौंपने के लिए आठ सदस्यो का एक प्रतिनिधी मंडल तैयार किया , पहले अनुमति पांच फिर तीन करने पर पत्रकार संगठन आक्रोशित हो गया और विधानसभा के बाहर ही धरने पर बैठ गया , वह चार घंटे वहीं सड़क पर डटे रहे ।  पुलिस प्रशासन की समझाइश के लम्बे दौर के पश्चात केबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने एक दस सदस्यीय प्रतिनिधी मंडल को विधानसभा बुलाया और ज्ञापन लेते हुए कहा कि पत्रकारों की सभी मांगे पूर्णतः वाजिब हैं , पूर्व में भी उन्होंने स्वयं आगे बढ़कर पत्रकारों की इस मांग का समर्थन किया था और आज भी अपने वादे पर कायम है। वह मुख्यमंत्री से मिलकर पत्रकार सुरक्षा