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दिसंबर 26, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Jaipur भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल में सांताक्लॉज के साथ झूमें बाल कैंसर...

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तिलोक कोठारी की पंजाबी फिल्म "मजनू" का फर्स्ट लुक रिलीज

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० संवाददाता द्वारा ०   मुंबई - शालीमार प्रोडक्शन्स की पंजाबी फिल्म "मजनू" का फर्स्ट लुक पोस्टर रिलीज कर दिया गया है ।  बेहद रोमांटिक तरीके से खेतों के बीच मचान पर प्रेमी और प्रेमिका की जोड़ी का जो रोमांटिक लुक इस पोस्टर के लिए लिया गया है वो अपनेआप में बहुत ही प्यारा फील दे रहा है । सरसो के फूल और ख़ुशगवार वातावरण के बीच प्यार की तरंगों को अपनेआप में समेटे प्रेमी जोड़े की इस अनोखी छवि से पंजाबी फिल्म जगत में इस फ़िल्म को लेकर चर्चाओं का बाज़ार भी गर्म हो गया है । फ़िल्म "मजनू" अगले साल 2024 में 22 मार्च को रिलीज करने के लिए शेड्यूल की गई है।  इस त्रिकोणीय रोमांटिक फिल्म में गुरमीत सिंह ने अपने मधुर संगीत से जो समा बांधा है । उनकी बेहतरीन धुनों व हशमत सुल्ताना, कमाल खान, मन्नत नूर, सिमरन भारद्वाज और शाहिद माल्या द्वारा गाए गए सभी गाने इतने खूबसूरत बन पड़े हैं कि ये आगे चलकर लोगों की जुबां पर स्वतः ही चढ़ जाएंगे । बॉलीवुड फिल्मों के लिए प्रसिद्ध तिलोक कोठारी द्वारा निर्मित व सुजाद इकबाल खान द्वारा निर्देशित ,किरण शेरगिल द्वारा कृत फिल्म "मजनू" में प्रीत बाठ , किरण

रिनि चंद्रा की राजस्थानी हिपहॉप रैप सॉन्ग झोपड़ी हुआ वायरल

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० संवाददाता द्वारा ०  राजस्थानी की बात की जाए तो वहाँ की डिशेज और राजस्थानी पहनावा दुनियाभर में अपनी अलग पहचान लिए हुए है ।  इसी तरह से यदि आप राजस्थानी गानों की बात करें तो उनमें मारवाड़ी ठाट बाट की बातें और परिधानों की प्रधानता लाज़मी है । गयिका रिनि चंद्रा की रिलीज़ हुई राजस्थानी हिपहॉप रैप सॉन्ग झोपड़ी इस थीम एक नए स्वैग और एनर्जी के साथ नज़र आता है ।  इस हिप हॉप रैप गाने में मदहोशी और ट्रांसफॉर्मिंग एनर्जी लेबल है जिसको आप इस गाने के साथ फील कर सकते हैं । ऐसे गाने राजस्थानी में आमतौर पर नहीं बनते लेकिन उसी परिपाटी को तोड़ते हुए और एक जबरदस्त परफॉर्मेंस के साथ इस झोपड़ी ने इंटरनेट पर सनसनी क्रिएट कर दिया है । यह हिपहॉप रैप झोपड़ी रीलीजिंग के साथ ही वायरल होने की राह पर अग्रसर है । बड़ी संख्या में लोगों को यह रैप सांग पसन्द आ रहा है । व्यूवरशिप की इस स्पीड को देखते हुए यही लगता है कि यह रैप सॉन्ग जल्द ही मिलियन का आंकड़ा छू लेगा । लोगों की जुबां पर यह गाना चढ़ने लगा है ।  रिलीज हुई इस झोपड़ी के बोल लिखे हैं पीके निम्बार्क ने। इस गाने को गाया है रिनि चंद्रा ने जिनके साथ

पहले इतिहास तो जान लो तब कहना कि गुलामी का कानून था या मानवता का

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०  डॉ. उदित राज, पूर्व सांसद ०  अंग्रेजों के द्वारा स्थापित न्याय व्यवस्था के पहले का इतिहास तो जान लो तब कहना कि गुलामी का कानून था या मानवता का। दलित हत्या करने पर एक विशेष जाति को सजा नही दी जाती थी। युद्ध में पति के शहीद होने पर पत्नी को जिंदा जला दिया जाता था । भारत के ब्रिटिश गवर्नर-जनरल लॉर्ड विलियम बेंटिक ने बंगाल सती विनियमन, 1829 को अधिनियमित किया, जिसमें जिंदा जलाने या दफनाने की प्रथा की घोषणा की गई। शूद्र तालाब का पानी भी नहीं पी सकते थे ।  पीने के कुएं अलग थे। शूद्र खाट पर बैठ नही सकते थे और बंधुवा मजदूरी आम थी। दलित और पिछड़े गांव के दक्षिण तरफ़ बसाए जाते थे ताकि हवा चलने पर सवर्ण अशुद्ध न हो जाएं। शूद्र की नई नवेली स्त्री को सवर्ण के साथ सोना पङता था ताकि उसका अनुष्ठान हो सके ।तीन नए क्रिमिनल लॉ बिल भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 लोकसभा और राज्य सभा से पास हुए हैं।भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023 भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860 का स्थान लेगी, जबकि भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) सं

समस्याओं के साथ समाधान भी सुझाए मीडिया : प्रो. डॉ. गोविंद सिंह

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० योगेश भट्ट ०  इन्दौर । आज की मीडिया समस्याओं की प्रस्तुति प्रधानता से करता है, लेकिन मीडिया को समस्याओं का समाधान तथा समाज को सजग करने की भी बात करनी होगी। मीडिया यदि खबरों की रिपोर्टिंग तत्व सार के साथ करे तो यह आने वाली पीढियों के लिए मार्गदर्शक ऐतिहासिक दस्तावेज बन जायेगा । ये विचार प्रो. डॉ. गोविंद सिंह (डीन, अकादमिक भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली ) ने प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के मीडिया प्रभाग के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं इन्दौर जोन के पूर्व संस्थापक ब्रह्माकुमार ओमप्रकाश 'भाईजी' की 8 वीं पुण्यतिथि पर ज्ञान शिखर, ओमशान्ति भवन में 'समाधान परक पत्रकारिता' विषय पर आयोजित मीडिया परिसंवाद में कही। उन्होंने कहा कि, पाश्चात्य पत्रकारिता घटनाओं को ज्यों का त्यों वर्णन करती है जबकि भारतीय पत्रकारिता घटनाओं में से तत्वसार के साथ में रिपोर्टिंग करती है जो कि अगली पीढ़ी के लिए इतिहास का अंग बन जाती है । एक शोध के अनुसार खबरों के प्रस्तुतिकरण के ढ़ंग से युवा वर्ग को समाचारों में सत्यता कम दिखने से प्रिंट मीडिया के बजाय सोशल मीडिया में ज्यादा विश्वास ह