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एंड गेम से मनोरंजक शुरुआत, सर्द रात में चमके जुगनू -

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० अशोक चतुर्वेदी ०  जयपुरः कला एवं संस्कृति विभाग, राजस्थान व जवाहर कला केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित जयरंगम जयपुर थिएटर फेस्टिवल के तीसरे दिन जीवन के कई रंग देखने को मिले। तीन नाटकों ने दर्शकों को खूब हंसाया, कभी रुलाया और पूरा मनोरंजन किया। ‘एंड गेम’ मशहूर फ्रांसीसी लेखक सैमुअल बेकेट द्वारा लिखित नाटक है। कृष्णायन में पहुॅंचते ही हाॅलीवुड फिल्मों सा दृश्य नजर आता है। हुक्मरानी औरत, एकांतिका को ऊलजलूल हुक्म देती है। हुक्मरानी ना चल सकती है और ना देख सकती है। हुक्मरानी के जिंदा माॅं-पिता पास-पास रखे ताबूतों में बंद हैं। नाटक में लाॅकडाउन के माहौल जब मानवीय अनुभवों को बयां करने में भाषा असफल रही, अकेलापन, निर्भरता और टूटते रिश्ते से उपजे दर्द को जाहिर किया गया। नाटक कभी हंसाता है और कभी इसमें विवशता दिखती है। अंतहीन कहानियां सुनाने वाली हुक्मरानी अंत में मासूमियत और रिश्तों को जिंदा रखने का संदेश देने के साथ दुनिया को अलविदा कहती है। एस. एम. अजहर आलम के निर्देशन में ने उमा झुनझुनवाला, चंद्रयी दत्ता मित्रा, इंतेखाब वारसी और प्रियंका सिंह ने बेजोड़ डायलाॅग डिलीवरी, हाव-भाव और वाइस

मुंबई में हुआ तीसरा बिफ़्फ़ फेस्टिवल, दादा लख्मी समेत सामाजिक मुद्दों पर बनी फ़िल्मों को लोगों ने सराहा

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० तबस्सुम जहां ०  मुंबई -  बॉलीवुड इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल सीज़न 3 का सफ़ल समापन हुआ। 17-18 दिसंबर को हुए दो दिवसीय आयोजन में देश-विदेश से आईं अनेक शख्सियतें जुड़ीं। फेस्टिवल में जहाँ देश विदेश की बेहतरीन फ़िल्में, शॉर्ट फ़िल्म व डॉक्युमेंट्रीज़ दिखायी गईं वहीं इस मंच से फ़िल्म जगत की अनेक महान हस्तियों से रूबरू होने का अवसर भी प्राप्त हुआ। बॉलीवुड इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल दो साल से लगातार सफलता की ऊंचाइयों को छू रहा है। बॉलीवुड एक्टर यशपाल शर्मा एवं बॉलीवुड एक्टर, डायरेक्टर प्रतिभा शर्मा इसकी संस्थापक हैं जिन्होंने प्रथम लॉकडाउन में इस मंच की स्थापना की थी। दो सालों से अनवरत ऑनलाइन होने वाले इस फेस्टिवल का संचालन इस बार मुंबई के ओशिवारा हारमनी मॉल अंधेरी में हुआ।  बॉलीवुड इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि दोनों दिन दिखाई जाने वाली लगभग सभी फिल्में सामाजिक मुद्दों पर आधारित थीं। इतना ही नहीं, इन फिल्मों द्वारा दर्शकों को फ़िल्म निर्माण से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदुओं को जानने व समझने का अवसर भी मिला। यशपाल शर्मा तथा प्रतिभा शर्मा ने बताया कि आज के कमर्शियल दौर में बॉली

हिंदी को और अधिक लोकप्रिय तथा सर्वव्यापी बनाने के लिए “कंठस्थ” नामक ऐप विकसित

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० कुहू माधव ०  भाषायी परतंत्रता सांस्कृतिक परतंत्रता का प्रस्थान बिन्दु है। भारत में सन् 1947 में स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद से ही हिंदी बनाम अंग्रेजी का संघर्ष जारी रहा। अंग्रेजी के पक्ष में बोलने वाले लोग उसकी सर्वव्यापकता, ग्राह्यता, वैश्विकता और ज्ञान-विज्ञान, तकनीक का विपुल विषय-भण्डार रखने को इसके महत्त्व का कारण बताते रहे तो हिंदी के पक्ष में बोलने वाले हिंदी के वैज्ञानिक भाषा होने, सबसे बड़ा जनाधार और भारत की राजभाषा होने का गौरव प्राप्त होने को प्रमुख कारण बताते रहे। निःसन्देह ये तीनों ही कारण राजभाषा हिंदी की शक्ति हैं जिसके आधार पर तमाम विरोधों के बावजूद हिंदी अपनी उसी धार और तेवर के साथ टिकी रही और दस कदम आगे बढ़कर विश्व भाषा बनने की ओर भी अग्रसर हुई। कहने की आवश्यकता नहीं कि आज विश्व भर के लगभग सभी विश्वविद्यालयों में हिंदी का पठन-पाठन हो रहा है। हिंदी बोली भी जा रही है और समझी भी जा रही है। इसी दिशा में एक क्रान्तिकारी पहल करते हुए गृह मंत्रालय भारत सरकार के अधीन राजभाषा विभाग ने हिंदी को और अधिक लोकप्रिय तथा सर्वव्यापी बनाने के लिए “कंठस्थ” नामक ऐप विकसित किया है जो गूगल

कवि सुदीप सेन, शोभना कुमार और संजॉय राय को किया गया सम्मानित

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० योगेश भट्ट ०  नई दिल्ली- सुदीप सेन ने कविता, गद्य, रचनात्मक नॉन-फिक्शन और फोटोग्राफी के संग्रह 'एंथ्रोपोसिन: क्लाइमेट चेंज, कॉन्टैगियन, कंसोलेशन' में अपने उल्लेखनीय काम के लिए यह पुरस्कार जीता। उनकी महामारी पर लिखी कविताएं उपचार और संवेदनशीलता की ओर इशारा करती हैं जो अभी भी सामान्य मानवीय रिश्तों में मौजूद हैं। यह पुस्तक इतिहास में अभूतपूर्व घटनाओं को समायोजित करने के लिए एक सौंदर्यवादी प्रतिक्रिया है. साहित्य और कला गतिविधियां कोरोना काल से उबर रही हैं. ऐसे में उन लोगों को सम्मानित करने का मौका है जिनका कला और संवेदना के क्षेत्र में बड़ा नाम है. ऐसे ही चंद नामों में शुमार हैं सुदीप सेन, शोभना कुमार और संजॉय रॉय. इन तीनों को कला-साहित्य और सामाजिक योगदान के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए रवींद्रनाथ टैगोर लिटरेरी पुरस्कार एवं सामाजिक योगदान के लिए टैगोर पुरस्कार से सम्मानित किया गया. पुरस्कार समारोह इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित किया गया. शोभना कुमार ने जापान की हाइबुन शैली में कविताओं के संग्रह 'ए स्काई फुल ऑफ़ बकेट लिस्ट्स' में अपने शानदार काम के लिए टैगोर पुरस्क