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जून 24, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

दो जुलाई को कोलकाता भारतीय शास्त्रीय कला और संगीत का गवाह बनेगा

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० संवाददाता द्वारा ०  Kolkata, संगीत और कला का एकमात्र रूप मल्हार (मूसलधार बारिश) के मौसम का एक भव्य उत्सव, हिंदुस्तानी वोकल्स में राग मल्हार और एक शानदार कथक की प्रस्तुति, जो गरजते मानसून के मौसम की चरम और प्रचंड प्रकृति को पकड़ सकता है। कथक की प्रस्तुति पद्म विभूषण पं. बिरजू महाराज जी की पोती शिंजिनी कुलकर्णी करेंगी। हिन्दुस्तानी गायन बनारस घराने की 13वीं पीढ़ी के वंशज पं.दीपक कुमार मिश्रा व पं. प्रकाश मिश्र द्वारा गाया जाएगा। इस कार्यक्रम का आयोजन १९७० में स्थापित संगीत विद्यापीठ, के पं. बूंदी महाराज के द्वारा किया जा रहा है। अपनी स्थापना के बाद से ही विद्यापीठ शो और गहन कार्यशालाओं के माध्यम से भारतीय संगीत के इस प्राचीन और दिव्य रूप की खेती और पोषण करता रहा है। दो घंटे का शास्त्रीय कार्यक्रम जीडी बिड़ला सभागार में आयोजित किया जाएगा, इसका उद्देश्य, जिन्होंने इस कला में महारत हासिल की है, और हर रोज दशकों तक अपने जीवन के के प्रत्येक पल को इस कला को समर्पित किया है, उनके द्वारा लोगों को सबसे मनोरम, उत्तेजक और प्राणपोषक उच्च गति वाले भारतीय शास्त्रीय प्रदर्शनों को दिखाकर,उनके बीच भारती

बद्रीनाथ पुनर्विकास परियोजना के लिए संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता

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० चंडी प्रसाद भट्ट ०  श्री बद्रीनाथ धाम में चल रहे पुनर्निर्माण एवं सौंदर्यीकरण के कारण पंच धाराओं में से दो धाराओं, कुर्म धारा एवं प्रहलाद धारा का पानी छीज हो गया है। यह भी बताया जा रहा है कि, दो बुल्डोजर(पोक्लैंड) मंदीर के निचले भाग में खुदाई कर रहे हैं। इन कार्यों के दुष्प्रभावों को लेकर कई आशंकाएं जन्म ले रही हैं। मैंने विगत 9 दशकों से इस क्षेत्र की अप्रितम, नैसर्गिक, प्राकृतिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक धरोहर को अनुभव किया है। इसमें हो रही अंधाधुंध छेड़ छाड़ विगत कुछ समय से मेरे लिए अतीव कष्टप्रद रही है। तीन दिसंबर 2022 को मुझे श्री बद्रीनाथ धाम के पुनर्निर्माण कार्यों के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका रखने वाले भाष्कर खुल्वे से भेंट करने का अवसर मिला। मैंने उन्हें विशेषज्ञों की राय लेकर निर्माण कार्य को आगे बड़ाने की सलाह दी थी। इसी संदर्भ में मैंने 07जनवरी 2023 को प्रधानमंत्री मोदी एवं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर अपनी चिंताओं से अवगत कराया। मुझे 05 मई 2023 को एस.एम.एस द्वारा सूचित किया गया कि, शिकायत का निराकरण कर दिया गया है। बाद में मुझे यह ज्ञात हुआ कि मेरे

थाई-भारत गौरव सम्मान से सम्मानित हुए प्रो. रवि शर्मा 'मधुप'

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० योगेश भट्ट ०  नई दिल्ली | देश के प्रतिष्ठित महाविद्यालय श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर रवि शर्मा ‘मधुप’ थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में आयोजित एक समारोह में थाई-भारत गौरव सम्मान से अलंकृत किए गए | हिंदी के जाने-माने साहित्यकार एवं समर्पित शिक्षक प्रोफेसर ‘मधुप’ को उनके सुदीर्घ हिंदी शिक्षण एवं साहित्य-सृजन हेतु यह सम्मान प्रदान किया गया | थाईलैंड हिंदी परिषद् के अध्यक्ष सुशील धनुका, थाई-भारत कल्चरल लॉज (बैंकॉक), के सचिव राकेश माटा, जी.आई.एस. बैंकॉक की विभागाध्यक्ष एवं कवयित्री शिखा रस्तोगी, टोक्यो (जापान) की पत्रिका ‘हिंदी की गूँज’ की संपादक रमा पूर्णिमा शर्मा, मारवाड़ी युवा मंच कुआलालंपुर (मलेशिया) की संरक्षक अंजु पुरोहित, केंद्रीय हिंदी संस्थान में नवीकरण एवं भाषा प्रसार विभाग के अध्यक्ष प्रो. उमापति दीक्षित, साहित्य संचय शोध संवाद फाउंडेशन के अध्यक्ष मनोज कुमार, सचिव डॉ. सुमन रानी की गरिमामयी उपस्थिति में सम्मान समारोह संपन्न हुआ | थाई-भारत कल्चरल लॉज, थाईलैंड हिंदी परिषद एवं साहित्य संचय शोध संवाद फाउंडेशन के संयुक्त तत्त्वावधान में थाईलैंड में दो दिवसीय अंत

संस्कृत उपन्यास 'मानवी' बाल साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित

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० योगेश भट्ट ०  नयी दिल्ली - साहित्य अकादमी द्वारा संस्कृत बाल साहित्य पुरस्कार उपन्यासकार आचार्य राधावल्लभ त्रिपाठी को उनके संस्कृत बाल उपन्यास 'मानवी 'के लिए दिया है । इसमें नवोन्मेषी बिम्बों से बाल मन के लिए पक्षियों आदि के द्वारा पर्यावरण के महत्त्व का बड़ा ही मनभावन ढंग से खाका़ खींचा गया है जो आम तौर पर आज के बाल साहित्य पर प्रौढ मानसिकता के दवाब के आरोपों को सर्वथा अपाकृत करता मालूम पड़ता है । यद्यपि यह रचना पक्षी विशेषज्ञ पद्मश्री सलीम अली को समर्पित है । लेकिन इस उपन्यास में जो सलीम नाम का चरित्र है ,उसे पद्मश्री अली से कुछ भी लेना देना नहीं है ।   जाने माने समीक्षक तथा इस उपन्यास के लेखक प्रो त्रिपाठी  ने इसमें न ही कोई अपनी भूमिका लिखी है और न ही किसी से इस पुस्तक के बारे में कोई अनुशंसा लिखवाई है । इससे साफ़ है कि कथानक की सफलता या असफलता का निर्णय पूरा का पूरा पाठक पर ही छोड़ दिया है जो अमूमन आज के पुस्तकों में ऐसा नहीं देखा जा रहा है ।इसका कारण यह भी लगता है कि लेखक अब मान बैठे हैं कि दिग्गजों की पुस्तक अनुशंसा से ही उनकी किताबों की तूती अधिक बोली जाती

इंटरनेट पर हिंदी पढ़ने वालों की संख्या में हर साल 94 फीसदी का इजाफा

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० योगेश भट्ट ०  नई दिल्ली । "विश्व के 260 से ज्यादा विदेशी विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है। 64 करोड़ लोगों की हिंदी मातृभाषा है। 24 करोड़ लोगों की दूसरी और 42 करोड़ लोगों की तीसरी भाषा हिंदी है। इस धरती पर 1 अरब 30 करोड़ लोग हिंदी बोलने और समझने में सक्षम हैं। 2030 तक दुनिया का हर पांचवा व्यक्ति हिंदी बोलेगा।" यह विचार नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति की छमाही बैठक को संबोधित करते हुए भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक एवं नराकास अध्यक्ष प्रो. संजय द्विवेदी ने व्यक्त किए।  इस अवसर पर आईआईएमसी के अपर महानिदेशक डॉ. निमिष रुस्तगी, डीन (अकादमिक) प्रो. गोविंद सिंह, उत्तरी क्षेत्रीय कार्यान्वयन कार्यालय, राजभाषा विभाग के उप निदेशक (राजभाषा) कुमार पाल शर्मा, नराकास के सदस्य सचिव डॉ. पवन कौंडल एवं सहायक निदेशक (राजभाषा) अंकुर विजयवर्गीय सहित 76 सदस्य कार्यालयों के कार्यालय प्रमुख एवं प्रतिनिधि उपस्थित रहे।  तकनीक में हिंदी का प्रसार तेजी से बढ़ा है। हिंदी की लोकप्रियता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इंटरनेट पर हिंदी पढ़ने वालों की संख्या हर साल 94 फीसदी बढ़ रही है, जबकि अं