संदेश

शिकायत / कविता

चित्र
● डॉ• मुक्ता ● मुझे मेरी मैं से सदा शिकायत रहती  मैं उसे सिर उठाने नहीं देती वह कहती– ज़ुल्म करती हो मुझ पर मुझे चैन की सांस भी लेने नहीं देती क्या कहूं दांवपेच लगा तेरा काम है लड़ना-लड़वाना  शांति तुझे पसंद कहां? दूसरों पर हुक्म चलाना तेरी आदत में शुमार और नीचा दिखाने में तुम्हें सुक़ून मिलता है तेरा भी अजब फ़साना पर मुझे नहीं पसंद दूसरों को नीचा दिखाना खुद को सर्वश्रेष्ठ समझ उन पर ज़ोर आज़माना व्यर्थ बोलना शेख़ी बघारना तेरी-मेरी सोच अलग नहीं हमारी निभने वाली तू ढूंढ दूजा कोई आशियां यहां नहीं तेरी दाल ग़लने वाली मैं ख़ुद में मग्न शांत भाव से जीने वाली नज़रें आकाश में कदम ज़मीन से जुड़े तेरे समान नहीं दम्भ भरने वाली तेरे-मेरे रास्ते अलग नहीं तेरी बातें मुझे पसंद तेरे झांसों में अब मैं नहीं आने वाली ●●●●

कॉन्टैक्ट लेस एवं इंस्टैंट पर्सनल लोन एप नवी लेंडिंग को ग्राहकों का मिल रहा है भरपूर साथ

चित्र
नई दिल्ली - इसी साल जून में लॉन्च पूरी तरह से कागज रहित प्रक्रिया वाला नवी लेंडिंग एप का पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR-एनसीआर ) के शहरों और कस्बों के साथ-साथ नई दिल्ली , गुड़गांव और नोएडा जैसे शहरों में ग्राहकों का जबरदस्त रिस्पांस मिल रहा है. मध्यम आय वाले भारतीय जो स्मार्टफ़ोन और टेक्नोलोजी के साथ काफी सहज हैं, उन ग्राहकों को कॉन्टैपक्ट्लेस एवं इंस्टैंट पर्सनल लोन एप नवी डिजिटल प्रक्रिया के माध्यम से 36 महीने की अवधि के लिए 5 लाख रुपये तक के लोन प्रदान करता है. नवी लेंडिंग एप गूगल प्ले स्टोर पर डाउनलोड के लिए उपलब्ध है. आप अपनी पात्रता की जांच कर सकते हैं.लोन और ईएमआई राशि का चयन कर सकते हैं और अपना पैन और आधार नंबर एप पर दर्ज कर मिनटों के भीतर अपने बैंक खाते में लोन प्राप्त कर सकते हैं. यह डिजिटल प्रोसेस पूरी तरह से पेपर लेस है और इसमें किसी भी डॉक्यूमेंट जैसे पे-स्लीप या बैंक स्टेटमेंट को अपलोड करने की आवश्यकता नहीं होती है. अभी के माहौल में ज्यादातर लोग बाहर नहीं निकल पा रहे  हैं या बाहर नहीं जाना चाहते हैं. कुछ स्थानों पर लॉकडाउन होने के कारण वहां जाना आसान भी नहीं होता.

क्या परवेज परवाज को मिली योगी के खिलाफ बोलने की सजा

चित्र
परवेज परवाज की पत्नी भी यह शिकायत कर चुकी हैं कि गोरखपुर पुलिस उन्हें और उनके पुत्रों को परेशान कर रही है. जबकि परिवार के किसी सदस्य पर कोई मुकदमा नहीं है. पुलिस धमका रही है और फर्जी मुकदमे में फंसाने के षड़यंत्र रच रही है. यह सब इसलिए कि परवेज मुकदमे से पीछे हट जाएं. न्याय की इस लड़ाई को तोड़ने के लिए योगी आदित्यनाथ ने परवेज और उनके परिवार के अन्य सदस्यों को तरह-तरह से प्रताड़ित किया. इसी कड़ी में परवेज के खिलाफ थाना राजघाट, जिला गोरखपुर में मुकदमा दर्ज करवाया गया. परवेज के जेल जाने के बाद उनका परिवार इतना आतंकित था कि घर में रहने का साहस नहीं जुटा पा रहा था. परवेज का एक बेटा विकलांग है, सुनने व बोलने से लाचार है. लखनऊ . रिहाई मंच ने  हेट स्पीच को लेकर सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ पर मुकदमा करने वाले गोरखपुर के सामाजिक कार्यकर्ता परवेज़ परवाज़ को सज़ा सुनाए जाने को सत्ता द्वारा सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का एक और उदारहण बताया. मंच ने कहा कि इस मामले में पुलिस ने पहले फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी और जिस दिन ज़मानत की सुनवाई होनी थी उसी रात को परवाज़ गिरफ्तार किया गया था. रिहाई मंच महासचिव राजीव

नया जन्म / लघुकथा

चित्र
डॉ भावना शुक्ल "मामी कब तक मैं यह काम करती रहूंगी।" 'बेटा कोई बात नहीं जब तक शादी नहीं होती तब तक काम कर लो,  अभी पैसा कमा लो, बाद में घर से निकलना मुश्किल हो जाएगा।" मामी  आंटी कह रही थी.. "शादी जल्दी हो जाना चाहिए सौंदर्य का निखार कम ना हो जाए अब तुम्हारी उम्र भी हो चली है 28 की हो गई हो अब और ज्यादा इंतजार नहीं करना चाहिए।" "कहने दो लोगों को जो कहते अभी तुम केवल काम के बारे में सोचो शादी तो होनी है।"     "ठीक है मामी हम आपके ही पद चिन्हों पर चल रहे हैं आप जैसा कहेंगे हम वैसा करेंगे। लेकिन आज काम पर जाने का बिल्कुल भी मन नहीं बहुत बुखार लग रहा है बदन दुख रहा है।" अरे ये क्या कह रही हो "अरे आज तो तुम्हें तो बड़े साहब ने काम दिया था जाना ही पड़ेगा नहीं तो वो पैसे काट लेंगे।" "मामी काट लें तो काटने दो हमारी आज हिम्मत नहीं है हम नहीं जाएंगे।" "अरे मेरी प्यारी बेटा..तुम नहीं जाओगी तो गुजारा कैसे होगा।" "ठीक है हिम्मत जुटाती हूं" रिश्तेदारों ने लक्ष्मी की एक नहीं सुनी और उनके पीछे पड़ने के कारण सोनाली

कद्र / लघुकथा

चित्र
डॉ भावना शुक्ल आज ही सोना मुंबई से आईं  और पापा ने अटैची देखते ही कहा .."बेटा इतना समान मत लाया करो अब सबके लिए देना बंद करो जिसे भी देना हो पैसे दिया करो।" "अरे पापा कोई बात नहीं साल में एक बार ही तो आना हो पाता है ।" और जैसे ही सोमेश चाचा  को पता चला  की सोना आईं है वो अपने परिवार सहित मिलने आए।   जब वो जाने लगे तब सोना ने उनके बच्चे को कपड़े दिए  उन्होंने कपड़े हाथ में लिए और  तुरंत वापस कर दिए। सोना ने कहा "क्या हुआ? क्या साइज़ ठीक नहीं  है?" उन्होंने कहा ..."हम इस तरह के कपड़े बच्चे को नहीं पहनाते तुम जो आठ साल से कपड़े ला रही हो वो सभी आज भी रखे है। हम संकोचवश नहीं कह पाए।   हम बच्चों को ब्रांडेड कपड़े ही पहनाते है।" सोना ने भरे गले से कहा" आप अवश्य ब्रांडेड कपड़े ही पहनाते होंगे लेकिन इसमें हमारी भावनाएं है, हम भी अपने भाईयों को कुछ देना चाहते हैं, सब मेरे से छोटे हैं। उन्हें लगे कि दीदी इतनी दूर है,पर उन्हें याद रखती है।" ये सुनकर सोना की मां की आंखें गीली हो गई बस इतना ही कहा... " चलो अन्दर इन्हें भावनाओं की कद्र कहाँ , पा

"मुंशी प्रेमचंद के कथा -साहित्य का नारी -विमर्श"

चित्र
सुरेखा शर्मा,लेखिका / समीक्षक  [ 31 जुलाई 1880,140वीं जयंती पर प्रस्तुत विशेष आलेख ] स्त्री -विमर्श में प्रेमचंद का योगदान नींव की ईंट की तरह है।जो समाज निर्माण में अपनी अहम भूमिका निभाता है जिसके बिना समाज अधूरा है।वह पुरुष को आधार देती है,स्पर्धा नहीं करती। यह वह स्त्री है जो परिवार, समाज तथा राष्ट्र का निर्माण करती है। प्रेमचंद जी के नारी पात्रों ने शारीरिक सौंदर्य को महत्व न देकर हमेशा संघर्ष, परिश्रम, नैतिक मूल्य, मानवीय मूल्य और सच्चाई को महत्व दिया गया है।२१वीं सदी में जहां एक ओर नारी आदर्शों में भौतिकता के प्रति आकर्षित हो रही ऊं, वहां ऐसे समय में प्रेमचंद के नारी पात्र एक सुखद एहसास दिलाते हैं।ये नारी पात्र पाश्चात्य सभ्यता की ओर आकर्षित भारतीय नारी के समक्ष एक चुनौती बनकर खड़ी हो जाती हैं। अतः नारी में अधिकार सजगता एवं स्वयं निर्णय लेने की क्षमता की पहल मुंशी प्रेमचंद ने ही की. एक स्वस्थ समाज के निर्माण हेतु जितने भी मुक्ति संघर्ष हुए हैं उनमें से एक है 'नारी चिंतन'।समाज निर्माण में स्त्री की भूमिका मुख्य होती है।धर्म ग्रंथों में स्त्री को संसार की जननी कहा गया है। आज

" भारतीयों  को तर्कसंगत संवाद के लिए उचित जगह की ज़रूरत ”

चित्र
किताब, कोलकाता की सुप्रसिद्ध सामाजिक संस्था प्रभा खेतान फाउंडेशन की एक पहल है जो लेखकों के साथ बुद्धिजीवियों, पुस्तक प्रेमियों और साहित्यकारों को जोड़कर पुस्तक लॉन्च के लिए एक मंच प्रदान करता है। शशि थरूर, विक्रम संपत, सलमान खुर्शीद, कुणाल बसु, वीर सांघवी, विकास झा, ल्यूक कुतिन्हो और अन्य जैसे प्रख्यात लेखक इससे पहले किताब के सत्र की शुरुआत कर चुके हैं।   कोलकाता : भारतवर्ष में रहनेवाले लोगों को अभी एक ऐसे माहौल ऐसे जगह की ज़रूरत है, जहां लोग एक दूसरे से बातचीत और संवाद कर सकें, जिसमें मार्क्सवादियों की तरह नहीं बल्कि भारतीय अपने तर्कसंगत विचार रख सके। लेखक अनंत विजय द्वारा लिखी गई नयी पुस्तक ‘मार्क्सवाद का अर्धसत्य’ के लोकार्पण समारोह में लेखक ने यह बातें कही। कोलकाता के प्रभा खेतान फाउंडेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम किताब सत्र में इस पुस्तक का लोकार्पण किया गया। इस पुस्तक में मार्क्सवादियों के दोहरे चरित्रों पर तीखी आलोचना की गई है, जिसके बारे में वे कहते हैं, वे कभी भी इसका अत्ममंथन नहीं करते कि वे क्या उपदेश दे रहे हैं। लेखक के साथ देशभर के प्रख्यात साहित्यकार, विद्वान, पुस्तक प्रेमी