प्लास्टिक छोड़े जीवन से नाता जोड़े
लेखक > लाल बिहारी लाल आज भागमभाग भरी जिंदगी में मानव इस कदर उलझ गया है कि वो न अपने सेहत पे औऱ नाहीं प्रकृति को बचाने के प्रति ध्यान दे पाता हैं। इसके परिणामस्वरुप वातावरण दूषित और स्वंय बिमार रहने लगा है। यूं तो प्रकृति को सबसे ज्यादा खतरा प्रदूषण से है क्योंकि बढ़ती हुई आबादी की मांग को पूरा करने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का दोहन अंधाधुंध हो रहा है। जिस कारण जलवायु दूषित हो चुके है। प्रदूषण को बढ़ने या फैलने के लिए कई कारक उतरदायी है। उन्हीं कारकों में एक कारक (प्रदूषक ) प्लास्टिक भी है। जी हां हम बात कर रहे है प्लास्टिक की जो आज निर्माण के 120 साल के अंदर ही समस्त जीवों के लिए संकट बनते जा रहा है। क्योँकि पर्यावरण में इनका विघटन होने में 200-500 साल तक लग जाते है । प्लास्टिक के ढक्कण का विघटन होने में तो लगभग 1000 वर्ष लग जाते है । ये नन बायोडिग्रेडेबल पदार्थ है जो वातावरण में आसानी से घूलते नहीं है। प्लास्टिक एवं पदार्थ का अलग-अलग गुण है। एक गुण के रुप में प्लास्टिक उन पदार