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उत्तर प्रदेश में आंदोलनकारियों का उत्पीड़न बंद किया जाए

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नयी दिल्ली , आल इंडिया पीपुल्स फोरम उत्तर प्रदेश में योगी सरकार द्वारा लगातार जारी दमन और उत्पीड़न की कार्रवाईयों के क्रम में नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे लोकतांत्रिक - प्रगतिशील ताकतों को बिना कारण रिकवरी नोटिस जारी किए जाने की कड़ी निन्दा करता है और मांग करता है कि इसे तत्काल वापस लिया जाए. ‌एआईपीएफ संयोजक गिरिजा पाठक ने कहा कि जब सीएए आंदोलन और उस संदर्भ में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आंदोलनकारियों पर की गई कार्यवाही पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुकदमा लंबित है, तब कोर्ट द्वारा किसी निर्णय को दिए बगैर  इस तरह से रिकवरी नोटिस दिया जाना स्पष्टत: उत्पीड़न की कार्रवाई है और आंदोलनकारियों को इंसाफ से वंचित करने की कोशिश है. एआईपीएफ सचिवालय मांग करता है कि रिहाई मंच के अध्यक्ष और एआईपीएफ के उ.प्र.संयोजक मोहम्मद शोएब, स्वराज अभियान से जुड़े और पूर्व आईजी एस. आर. दारापुरी सहित विभिन्न आंदोलनकारियों को भेजे गए रिकवरी नोटिस वापस लिए जाए.  यही नहीं कोविड-19 महामारी के दौर में भी जब आम जन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है योगी सरकार सीएए-एनसीआर विरोधी आंदोलनकारियों को लगातार निशाने पर लिया जा रहा

उत्तर प्रदेश में कोरोना का बढ़ता प्रकोप

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लखनऊ - देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या में बढ़ौतरी के साथ ही उत्तजर प्रदेश में भी संक्रमितों की संख्या में लगातार इज़ाफा हुआ है। शुक्रवार 19 जून तक प्रदेश में कुल संक्रमितों की संख्या 16594 थी जबकि 488 लोगों की मौत चुकी थी। सरकार ने जिस सक्रियता का परिचय एक खास समूह में संक्रमण ढूंढ निकालने में दिखाई थी यदि वही तत्परता जांच में तेज़ी लाकर सभी संक्रमितों को बाकी आबादी से अलग करने में प्रदर्शित की होती तो आज का दृश्य कुछ बदला हुआ हो सकता था। मार्च शुरू से मई के अंत तक उत्तर प्रदेश में कुल संक्रमितों की संख्या 8 हज़ार के कम थी जबकि जून के पहले 20 दिनों में यह संख्या दोगुनी से अधिक हो गई। 31 मई को कोरोना से मरने वालों की कुल संख्या 213 थी लेकिन अगले 19 दिनों में यह संख्या 488 पहुंच गई। लगभग 23 करोड़ आबादी वाले उत्तर प्रदेश में लखनऊ‚ कानपुर‚ नोएडा‚ गाजि़याबाद‚ मेरठ‚ मुरादाबाद‚ फिरोज़ाबाद‚ सहारनपुर‚ मुज़फ्फरनगर‚ शामली आदि जनपदों के शहरी इलाके सबसे अधिक प्रभावित हैं। यह शहरी आबदियां लगभग दिल्ली की शहरी आबादी के बराबर हो जाती हैं। लेकिन दिल्ली के मुकाबले में कोरोना जांच की सुविधा आधी से भी

नीतीश के समर्थन में उतरे लालू प्रसाद यादव के साले सुभाष यादव

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पटना । नीतीश के समर्थन में उतरे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के साले पूर्व राज्यसभा सांसद सुभाष यादव . खास बातचीत में उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार बिहार के सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री हैं उनके 15 साल के कार्यकाल में बिहार प्रगति के पथ पर अग्रसर हुआ है बिहार में विकास की गंगा बह रही है . उनके 15 साल के कार्यकाल में  बिहार की किस्मत बदली है.सड़क बिजली पानी स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में हुआ है क्रांतिकारी परिवर्तन नीतीश के नेतृत्व में ही संभव है बिहार का विकास. सुभाष यादव यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि सच सच होता है किसी की झूठलाने से सच झुठ नहीं हो सकता है आज नीतीश कुमार बिहार की मजबूरी नही हैं बिहार के लिए जरूरी है जो बिहार में विकास को अवरुद्ध करना चाहते हैं वहीं नीतीश को सत्ता से हटाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि बिहार के गांव गांव तक में अब सड़क का जाल बिछ गया है बिहार का कोई भी टोला नहीं है जहां पक्की सड़क नहीं है बिहार में विद्युत आपूर्ति भी अन्य प्रदेशों की अपेक्षा काफी बेहतर है कानून-व्यवस्था की स्थिति में भी व्यापक सुधार हुआ है लोग वापस बिहार आ रहे हैं नीतीश कुमार ने कभी भी भ्रष्टा

भोजपुरी फिल्मों की सर्वप्रिय नायिका पाखी तो सचमुच (पंछी) बन गई

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पाखी ने निरहुआ के साथ जो फिल्में की, उनमें 'निरहुआ रिक्शावाला', 'निरहुआ चलल ससुराल', 'निरहुआ मेल', 'निरहुआ नं.1', 'दीवाना', 'प्रतिज्ञा', 'दाग', 'दल', 'विधाता', 'परिवार', 'लोफर', 'औलाद', 'प्रेम के रोग भईल', 'खून पसीना', 'जानी दुश्मन', 'दुश्मनी', 'सात सहेलियां', 'हंटरवाली', 'आज के करन अर्जुन', 'हमरा माटी में दम बा', 'कईसे कहीं कि तोहरा से प्यार हो गईल', 'आखरी रास्ता' आदि बॉक्स ऑफिस पर शुपरहिट साबित हुई. पाखी ने पवन सिंह के साथ 'प्यार मोहब्बत ज़िन्दाबाद', 'पवन पुरवईया', 'देवर भाभी' में काम किया. साढ़े पांच फीट की अतिशय गौरवर्णी इस सुंदरी को बिग बी (अमिताभ बच्चन) के साथ भी काम करने का सौभाग्य प्राप्त है. पाखी भोजपुरी फिल्मो और टीवी की एक मशहूर अभिनेत्री हैं. कई भाषाओं में हिन्दी, मराठी, पंजाबी, गुजराती, तेलुगू फिल्मों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुकीं पाखी भोजपुरी भाषा की सफलतम अभिनेत्रियों में ग

आगामी कुम्भ मेला 2021 हरिद्वार के विषय में बैठक

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देहरादून , उत्तराखंड में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहन्त हरि गिरि महाराज ,अन्तर्राष्ट्रीय संरक्षक श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के नेतृत्व में जूना अखाड़ा के सन्तो नै बैठक में भाग लिया , जिसमें आगामी कुम्भ मेला के विषय में चर्चा हुई।  जिसमें महामंत्री श्रीमहन्त हरि गिरि महाराज ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को अवगत कराया कि  साधु सन्तो एवं विभिन्न अखाड़ों के आपसी विचार-विमर्श में यह निर्णय लिया गया है  कि ज्योतिष गणना के अनुसार महाकुम्भ मेला 2021 का आयोजन निर्धारित समय पर ही हो. अखाड़ा परिषद के सदस्यों द्वारा उत्तराखंड सरकार को यह अवगत कराया कि महाकुम्भ किस स्तर पे होगा।  इस पर सरकार द्वारा अगले वर्ष फरवरी माह में तत्कालीन परिस्थितियों के अनुसार निर्णय होगा ,परन्तु आगामी फरवरी माह में उस समय की परिस्थितियों के अनुरूप सन्तो के मार्ग दर्शन से मेले के स्वरूप के बारे में निर्धारित किया जायेगा ,बैठक में श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के प्रतिनिधि के रूप में अन्तर्राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहन्त नारायण गिरि महाराज श्री दूधेश्वर पीठा

पटना मे नेता प्रतिपक्ष के आवास का घेराव

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पटना  : विधान परिषद चुनाव में उम्मीदवारी को लेकर राष्ट्रीय जनता दल के अंदर फसाद बढ़ता जा रहा है. आरजेडी में दावेदारों की फेहरिस्त इतनी लंबी हो गई है कि रिम्स में इलाज करा रहे लालू यादव भी पशोपेश में होंगे कि आखिर फैसला करें तो कैसे. विधान परिषद के लिए दावेदारी को लेकर राबड़ी आवास के बाहर आज प्रदर्शन देखने को मिला है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के विधानसभा क्षेत्र राघोपुर से आए आरजेडी कार्यकर्ताओं ने स्थानीय नेता उदय नारायण राय उर्फ भोला बाबू को विधान परिषद में भेजे जाने की मांग की है राघोपुर से विधायक रह चुके उदय नारायण राय उर्फ भोला बाबू के समर्थक के राबड़ी आवास पहुंचे हैं और नेतृत्व से उन्हें एमएलसी बनाने की मांग की है राघोपुर के कार्यकर्ताओं का कहना है कि लालू राबड़ी और फिर तेजस्वी के लिए राघोपुर सीट छोड़ने वाले भोला बाबू के त्याग को याद रखते हुए उन्हें विधान परिषद भेजा जाना चाहिए उदय नारायण राय बिहार सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं और उन्होंने राघोपुर की सीट लालू परिवार के लिए छोड़ी थी उदय नारायण राय तीन बार रामपुर से विधायक रह चुके हैं जनता पार्टी के टिकट पर वह 1980 से लेकर 1995

"इन गलियारों में" कहानियां मध्वयर्गीय समाज के ताने-बाने से बुनी गयी

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सुरेखा शर्मा ,समीक्षक / साहित्यकार  पुस्तक-- इन गलियारों में - कहानी संग्रह लेखिका - डा.मुक्ता संस्करण-2016 पृष्ठ---136. मूल्य--350/- प्रकाशक-सुन्दर साहित्य प्रकाशन (दिल्ली)           'इन गलियारों में' शीर्षक से कहानी संग्रह जो माननीय राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत है। संग्रह में डा.मुक्ता जी की 30 कहानियां संकलित हैं । डा.मुक्ता एक अनुभवी एवं सिद्धहस्त लेखिका हैं।अपने जीवन काल में अनेक पदों पर कार्य करते हुए साहित्य सृजन में भी अपना योगदान दिया है।इनकी कहानियां मध्वयर्गीय समाज के ताने- बाने से बुनी गयी हैं और परम्परागत सदियों से चलती आ रही रूढियों की विचारधारा पर इनकी लेखनी खूब चली है।  वास्तव में कहानी मूलत: हमारे परिवेश,हमारे जीवनानुभवों की ही अभिव्यक्ति होती है।हां यह अलग बात है कि लेखक इनको कैसे अभिव्यक्त करता है,अपने अनुभवों को अपनी लेखनी के माध्यम से कैसे रचना का रूप देता है।उसी रूप को दिखाता हुआ यह कहानी संग्रह  समाज का  आईना है।जिसमें हम अपने समाज का वह चेहरा देख सकते हैं जिसके मुखोटों से हमारा हर रोज सामना होता है। संग्रह की पहली कहानी 'अहसास' एक ऐसे व्यक्ति की कह