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सोशल मीडिया का विस्तार और महिला लेखन/पत्रकारिता के समक्ष बढ़ती चुनौतियां 

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मीनाक्षी माथुर जिंदगी में कुछ पाना हो तो खुद पर ऐतबार रखना , सब्र,अटल इरादे और कलम में सच की धार रखना , सफलता मिल जाएगी एक दिन निश्चित ही तुम्हें , बस खुद को आगे बढ़ने के लिए तैयार रखना । लेखन और पत्रकारिता दोनों ही एक दूसरे के सहयोगी क्षेत्र हैं। इन क्षेत्रों में महिलाओं के समक्ष आने वाली चुनोतियों पर प्रकाश डालने से पूर्व हम लेखन और पत्रकारिता पर संक्षिप्त नज़र डालेंगे। लेखन की गद्य और पद्य की अपनी अनेक विधाएं हैं जैसे कहानी , कविता , गीत , गीतिका , ग़ज़ल, उपन्यास , पटकथा , समीक्षा , समसामयिक व ऐतिहासिक लेख इत्यादि। इसी प्रकार आधुनिक पत्रकारिता के भी अनेक रूप हैं जैसे खोजी-पत्रकारिता , खेल-पत्रकारिता , बाल-पत्रकारिता , महिला-पत्रकारिता , आर्थिक , ग्रामीण पत्रकारिता आदि। अब हम बात करते हैं महिला लेखन व पत्रकारिता की। लेखन में प्राचीन काल से ही महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती आईं हैं जैसे गार्गी , मैत्रयी , लोपामुद्रा , विद्योतमा , शतरूपा आदि अनेक नाम हैं इस वैदिक काल में समाज मातृसत्तात्मक था लेकिन धीरे धीरे सामाजिक व्यवस्था पितृसत्तात्मक होती गई और महिलाओं की दशा बिगड़ती गई इसीलिए सामाजि

शराब पीकर आने वाले पर हजार रुपए आर्थिक दंण्ड

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देहरादून  - यह युवा शक्ति क्षेत्र में शराब उन्मूलन के लिए प्रयास रत होकर क्षेत्र का और नाम रोशन करेंगी। प्रस्ताव के आधार पर गांव में कोई शराब की बिक्री नहीं करेंगे। बाहर से शराब पीकर आने वाले पर हजार रुपए आर्थिक दंण्ड रखा गया है। राजेश रावत के संदेश को पढ़कर एक आलौकिक आनंद की अनुभूति हुई कि विकास क्षेत्र बीरोंखाल के अंतर्गत ग्रामसभा भाकंण्ड  पट्टी साबली पत्रालय वेदीखाल के युवाओं जिसमें जसपाल सिंह नेगी , गांव की मातृशक्ति महिला मंगल दल, भूतपूर्व प्रधान एवं नव निर्वाचित प्रधान एवं समस्त ग्रामवासियों द्वारा शराब  की बिक्री और निर्माण पर प्रतिबंध लगा कर एक अनूठा उदाहरण क्षेत्र में ही नहीं सम्पूर्ण उत्तराखंड के शराब निर्माताओं को दिया है।  इस सराहनीय कार्य से कई घरों को बचाया है।जिसकी बाटजोहते हुए  चार दशक से भी अधिक समय हो गया था। इस पुरानी बीमारी के अंत के लिए अभी क्षेत्र में जागरूकता और प्रचार प्रसार की आवश्यकता है। गांव की युवा शक्ति को यदि बेकारी बेरोजगारी और रोगग्रस्त होने से बचाना है तो इस शराबी नामक राक्षस से मुक्त करना होगा। यह युवा शक्ति क्षेत्र में शराब उन्मूलन के लिए प्रयास रत

खुशी // कविता

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● डॉ• मुक्ता ● खुशी! मेरी सखी बड़े नाज़ो-अंदाज़ से पली-बढ़ी रंगीन मिज़ाज जहां रुख करती ख़ुशियों के अंबार लगाती उल्लसित करती और मन की मलिनता जाने कहां खो जाती सुक़ून-सा दिल को आ जाता मन पाखी मनचाही छलांग लगाता परंतु जहाज़ के पंछी की भांति फिर-फिर लौट कर वहीं आता क्योंकि खुशी को मायूसी नहीं भाती तनावग्रस्त चेहरा देख जीने का अंदाज़ सिखाती उसके न मानने पर वह लौट जाती जीवन में सुरूर छा जाता दास्तान इसकी बड़ी अजब-गज़ब हर पल नये करिश्मे दिखाती मान-मनुहार करती और ख़ुद ही रूठ जाती स्वभाव इसका बहुत चंचल पल भर भी स्थिर नहीं रह पाती आओ! ग़मों के अंधेरे से निकल एक नया दीप जलाएं खुशी के अंग-संग रहें अपना भी नया आशियां उसके निकट बनाएं चमन के फूलों से चुरा लें उनकी रंगीनियां महक उठे मन-उपवन बदल जाये अंदाज़ ज़िंदगी का हम सफ़र बन हरदम साथ निभाएं

16IFFF & ICFF के लिए नॉमिनेटेड और अवार्डेड फिल्मों की घोषणा

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16IFF में प्रतियोगिता के लिए 9 श्रेणियों में चयनित फिल्मों में 9 फीचर फिक्शन फिल्म | 13  डॉक्यूमेंट्री फीचर फिल्म | 1 एनिमेशन  फीचर | 23 शॉर्ट फिक्शन फिल्म | 9 शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री फिल्म | 7 शॉर्ट एनिमेशन फिल्म | 4 मोबाइल फिल्म | 1 वेब सीरीज़ | 4 सॉन्ग शामिल हैं। 16IFF में कुल 71 फिल्मों में से भारत से 25 और विदेश से 46 फिल्मों का चयन हुआ है. जयपुर : कोरोना महामारी के चलते 'जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टीवल ट्रस्ट' द्वारा आयोजित होने वाले फिल्म फेस्टिवल्स  में बदलाव किया गया है. "सिक्सटीन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल्स" (16IFF) और "आर्यन इंटरनेशनल चिल्ड्रन्स फिल्म फेस्टीवल ऑफ़ जयपुर" (ICFF)s का आयोजन जुलाई 29  से 31 तक जयपुर में होना था पर कोरोना महामारी के कारण इन दोनों फेस्टिवल्स में फिल्म स्क्रीनिंग्स नहीं होगी.आयोजकों ने दोनों ही फेस्टिवल्स के लिए नॉमिनेटेड फिल्मों के साथ ही अवार्डेड  फिल्मों की घोषणा की.  16IFF में बेस्ट फीचर फिल्म पुर्तगाल की सरर्डाइन फिल्म, बेस्ट डाक्यूमेंट्री फीचर साउथ अफ्रिका की ओकावेंगो, बेस्ट एनिमेशन फीचर अमेरिका की द लास्ट पेज ऑफ़ समर, बे

ग़ज़ल // हो रही हैं प्यार की बातें अलग

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बलजीत सिंह बेनाम हो रही हैं प्यार की बातें अलग आपसे मेरी मुलाकातें अलग वस्ल के दिन कट रहे हैं मौज से हिज्र की लेकिन सनम रातें अलग चैन से शैतां भी है बैठा हुआ हाँ मगर इन्सां की हैं ज़ातें अलग

स्‍मार्ट इंडिया हैकेथॅन समस्‍याओं को हल करने हेतु छात्रों को मंच प्रदान करता है

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नयी दिल्ली - स्‍मार्ट इंडिया हैकेथॅन (एसआईएच) एक देशव्‍यापी पहल है जो दैनिक जीवन में हमारे द्वारा सामना की जाने वाली कई जरूरी समस्‍याओं को हल करने हेतु छात्रों को एक मंच प्रदान करता है, और इस प्रकार, उत्‍पाद नवाचार एवं समस्‍या हल करने की सोच विकसित करने का माध्‍यम प्रदान करता है। वर्ष 2017 से हर वर्ष स्‍मार्ट इंडिया हैकेथॅन दो फॉर्मट्स अर्थात् एसआईएच सॉफ्टवेयर और एसआईएच हार्डवेयर एडिशंस में आयोजित किया जाता है। स्‍मार्ट इंडिया हैकेथॅन का आयोजन हर वर्ष विभिन्‍न नोडल सेंटर्स पर आयोजित होता था, जहां छात्र प्रतिभागी, इंडस्‍ट्री के प्रतिनिधि एवं मेंटर्स निर्दिष्‍ट नोडल सेंटर्स पर शारीरिक रूप से जुटते थे और चयनित समस्‍याओं का समाधान देता था। इस वर्ष, कोविड-19 महामारी के चलते, पूरे देश में आवागमन और सामूहिक सम्‍मेलनों पर प्रतिबंध है; ऐसे में एसआईएच सॉफ्टवेयर एडिशन ऑनलाइन आयोजित हो रहा है। प्रतिभागी छात्र, एसआईएच समन्‍वयक और इंडस्‍ट्री इवेल्‍यूएटर्स, डिजिटल प्‍लेटफॉर्म पर एक साथ आ रहे हैं। इस प्‍लेटफॉर्म को इस प्रकार से डिजाइन किया गया है, ताकि आसानीपूर्वक आयोजन हो सके और एमएचआरडी के इनोवेशन

85.2% छात्रों का मानना कि पढ़ाई में अभिभावकों का जुड़ाव मददगार

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सर्वे में शामिल 87.5 फीसदी की बड़ी संख्या में छात्रों ने माना कि वे लॉकडाउन के दौरान अपने अभिभावकों की मदद कर रहे हैं। इसके अलावा 85.1 फीसदी छात्रों ने घर में रहते हुए अपने अभिभावकों से कोई न कोई नई स्किल सीखी है। शिक्षा के लिए स्कूल न जाने के कारण छात्रों को अवश्य ही अन्य गतिविधियों के लिए समय मिला है। यह उन्हें नई स्किल सीखने में भी मदद कर रहा है। इसमें घर में रहते हुए पढ़ाई में ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म के सहयोग को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है। इसका दूसरा पहलू यह भी है कि ज्यादा समय मिलने के कारण 82.3 फीसदी बच्चे अभिभावकों के साथ समय व्यतीत कर रहे हैं। नयी दिल्ली : ब्रेनली के सर्वे में यह बात सामने आई है कि भारतीय अभिभावक और छात्रों इस लॉकडाउन के दौरान रोजमर्रा के कामों और पढ़ाई में एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं। ब्रेनली में छात्र इस बात को पसंद कर रहे हैं! छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के लिए विश्व के सबसे बड़े ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म ने भारतीय यूजर पर ‘पैरेंटिंग एंड हायब्रिड लर्निंग ड्युरिंग कोविड-19’ सर्वे किया। 2,138 उम्मीदवारों के इस इस सर्वे में कई उत्साहवर्धक नतीजे सामने आए हैं।

रक्षाबंधन धन, शक्ति, हर्ष और विजय देने में समर्थ माना जाता है

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लाल बिहारी लाल   भारत एकता  में  अनेकता  का  देश  है  जहां   कई भिन्न -भिन्न  धर्मों एंव  मतों  के  लोग  रहते  हैँ।  यहां  अनेक  धार्मिक त्योवहार  भी  मनाये  जाते है। उन्ही त्योवहारों  में  एक  त्योवहार  है  -रक्षाबंधन-रक्षा  बंधन हिन्दुओं एवं  जैनियो  का  एक  महत्वपूण  त्योवहार  है। जो भाई-बहन  के  रिश्तों  पर  आधारित  है। इसे  हर  साल  सावन  मास  के  पूर्णिमा  के  दिन मनाया  जाता  है। रक्षा  बंधन  में रक्षा  सूत्र  या  राखी  का  बहुत ही महत्व है। ये  राखी  आजकल अलग-अलग  रुपों में  देखने  को  मिल  रहा  है।  कही  धागे  का  तो  कही  सोने का तो  कहीं  चांदी  के  भी  मिल  रहे  है। यह  पर्व भाई-बहन  के  रिश्तों  को मजबूत  बनाता  है।  बहनें  भाई  को  इस  दिन रक्षा  के  रुप में  भाई  के  कलाई  पर राखी  या  रक्षा सूत्र  बांधती  है। औऱ  ललाट  पर  रोली का  तिलक  लगाकर मिष्ठान  खिलाती  है  और  आरती  उतारती  है, आरती  उतारते  समय  प्रभू  से अपने  भई  की  रक्षा  के  लिए प्रार्थना करती  है। और  भाई  अपने  बहन  को  रक्षा  का  वचन  देता  है।  इतिहास में इसके  कई  उदाहरण विद्यमान  है।  राखी का त्योहार

शिकायत / कविता

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● डॉ• मुक्ता ● मुझे मेरी मैं से सदा शिकायत रहती  मैं उसे सिर उठाने नहीं देती वह कहती– ज़ुल्म करती हो मुझ पर मुझे चैन की सांस भी लेने नहीं देती क्या कहूं दांवपेच लगा तेरा काम है लड़ना-लड़वाना  शांति तुझे पसंद कहां? दूसरों पर हुक्म चलाना तेरी आदत में शुमार और नीचा दिखाने में तुम्हें सुक़ून मिलता है तेरा भी अजब फ़साना पर मुझे नहीं पसंद दूसरों को नीचा दिखाना खुद को सर्वश्रेष्ठ समझ उन पर ज़ोर आज़माना व्यर्थ बोलना शेख़ी बघारना तेरी-मेरी सोच अलग नहीं हमारी निभने वाली तू ढूंढ दूजा कोई आशियां यहां नहीं तेरी दाल ग़लने वाली मैं ख़ुद में मग्न शांत भाव से जीने वाली नज़रें आकाश में कदम ज़मीन से जुड़े तेरे समान नहीं दम्भ भरने वाली तेरे-मेरे रास्ते अलग नहीं तेरी बातें मुझे पसंद तेरे झांसों में अब मैं नहीं आने वाली ●●●●

कॉन्टैक्ट लेस एवं इंस्टैंट पर्सनल लोन एप नवी लेंडिंग को ग्राहकों का मिल रहा है भरपूर साथ

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नई दिल्ली - इसी साल जून में लॉन्च पूरी तरह से कागज रहित प्रक्रिया वाला नवी लेंडिंग एप का पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR-एनसीआर ) के शहरों और कस्बों के साथ-साथ नई दिल्ली , गुड़गांव और नोएडा जैसे शहरों में ग्राहकों का जबरदस्त रिस्पांस मिल रहा है. मध्यम आय वाले भारतीय जो स्मार्टफ़ोन और टेक्नोलोजी के साथ काफी सहज हैं, उन ग्राहकों को कॉन्टैपक्ट्लेस एवं इंस्टैंट पर्सनल लोन एप नवी डिजिटल प्रक्रिया के माध्यम से 36 महीने की अवधि के लिए 5 लाख रुपये तक के लोन प्रदान करता है. नवी लेंडिंग एप गूगल प्ले स्टोर पर डाउनलोड के लिए उपलब्ध है. आप अपनी पात्रता की जांच कर सकते हैं.लोन और ईएमआई राशि का चयन कर सकते हैं और अपना पैन और आधार नंबर एप पर दर्ज कर मिनटों के भीतर अपने बैंक खाते में लोन प्राप्त कर सकते हैं. यह डिजिटल प्रोसेस पूरी तरह से पेपर लेस है और इसमें किसी भी डॉक्यूमेंट जैसे पे-स्लीप या बैंक स्टेटमेंट को अपलोड करने की आवश्यकता नहीं होती है. अभी के माहौल में ज्यादातर लोग बाहर नहीं निकल पा रहे  हैं या बाहर नहीं जाना चाहते हैं. कुछ स्थानों पर लॉकडाउन होने के कारण वहां जाना आसान भी नहीं होता.

क्या परवेज परवाज को मिली योगी के खिलाफ बोलने की सजा

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परवेज परवाज की पत्नी भी यह शिकायत कर चुकी हैं कि गोरखपुर पुलिस उन्हें और उनके पुत्रों को परेशान कर रही है. जबकि परिवार के किसी सदस्य पर कोई मुकदमा नहीं है. पुलिस धमका रही है और फर्जी मुकदमे में फंसाने के षड़यंत्र रच रही है. यह सब इसलिए कि परवेज मुकदमे से पीछे हट जाएं. न्याय की इस लड़ाई को तोड़ने के लिए योगी आदित्यनाथ ने परवेज और उनके परिवार के अन्य सदस्यों को तरह-तरह से प्रताड़ित किया. इसी कड़ी में परवेज के खिलाफ थाना राजघाट, जिला गोरखपुर में मुकदमा दर्ज करवाया गया. परवेज के जेल जाने के बाद उनका परिवार इतना आतंकित था कि घर में रहने का साहस नहीं जुटा पा रहा था. परवेज का एक बेटा विकलांग है, सुनने व बोलने से लाचार है. लखनऊ . रिहाई मंच ने  हेट स्पीच को लेकर सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ पर मुकदमा करने वाले गोरखपुर के सामाजिक कार्यकर्ता परवेज़ परवाज़ को सज़ा सुनाए जाने को सत्ता द्वारा सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का एक और उदारहण बताया. मंच ने कहा कि इस मामले में पुलिस ने पहले फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी और जिस दिन ज़मानत की सुनवाई होनी थी उसी रात को परवाज़ गिरफ्तार किया गया था. रिहाई मंच महासचिव राजीव

नया जन्म / लघुकथा

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डॉ भावना शुक्ल "मामी कब तक मैं यह काम करती रहूंगी।" 'बेटा कोई बात नहीं जब तक शादी नहीं होती तब तक काम कर लो,  अभी पैसा कमा लो, बाद में घर से निकलना मुश्किल हो जाएगा।" मामी  आंटी कह रही थी.. "शादी जल्दी हो जाना चाहिए सौंदर्य का निखार कम ना हो जाए अब तुम्हारी उम्र भी हो चली है 28 की हो गई हो अब और ज्यादा इंतजार नहीं करना चाहिए।" "कहने दो लोगों को जो कहते अभी तुम केवल काम के बारे में सोचो शादी तो होनी है।"     "ठीक है मामी हम आपके ही पद चिन्हों पर चल रहे हैं आप जैसा कहेंगे हम वैसा करेंगे। लेकिन आज काम पर जाने का बिल्कुल भी मन नहीं बहुत बुखार लग रहा है बदन दुख रहा है।" अरे ये क्या कह रही हो "अरे आज तो तुम्हें तो बड़े साहब ने काम दिया था जाना ही पड़ेगा नहीं तो वो पैसे काट लेंगे।" "मामी काट लें तो काटने दो हमारी आज हिम्मत नहीं है हम नहीं जाएंगे।" "अरे मेरी प्यारी बेटा..तुम नहीं जाओगी तो गुजारा कैसे होगा।" "ठीक है हिम्मत जुटाती हूं" रिश्तेदारों ने लक्ष्मी की एक नहीं सुनी और उनके पीछे पड़ने के कारण सोनाली

कद्र / लघुकथा

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डॉ भावना शुक्ल आज ही सोना मुंबई से आईं  और पापा ने अटैची देखते ही कहा .."बेटा इतना समान मत लाया करो अब सबके लिए देना बंद करो जिसे भी देना हो पैसे दिया करो।" "अरे पापा कोई बात नहीं साल में एक बार ही तो आना हो पाता है ।" और जैसे ही सोमेश चाचा  को पता चला  की सोना आईं है वो अपने परिवार सहित मिलने आए।   जब वो जाने लगे तब सोना ने उनके बच्चे को कपड़े दिए  उन्होंने कपड़े हाथ में लिए और  तुरंत वापस कर दिए। सोना ने कहा "क्या हुआ? क्या साइज़ ठीक नहीं  है?" उन्होंने कहा ..."हम इस तरह के कपड़े बच्चे को नहीं पहनाते तुम जो आठ साल से कपड़े ला रही हो वो सभी आज भी रखे है। हम संकोचवश नहीं कह पाए।   हम बच्चों को ब्रांडेड कपड़े ही पहनाते है।" सोना ने भरे गले से कहा" आप अवश्य ब्रांडेड कपड़े ही पहनाते होंगे लेकिन इसमें हमारी भावनाएं है, हम भी अपने भाईयों को कुछ देना चाहते हैं, सब मेरे से छोटे हैं। उन्हें लगे कि दीदी इतनी दूर है,पर उन्हें याद रखती है।" ये सुनकर सोना की मां की आंखें गीली हो गई बस इतना ही कहा... " चलो अन्दर इन्हें भावनाओं की कद्र कहाँ , पा