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Delhi Bike Taxi Crisis दिल्ली में बाइक टैक्सी ड्राइवर हुए बेरोजगार { Qut...

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विश्व पुस्तक मेला 2023 में आदिवासी प्रकाशकों की भागीदारी पहली बार होने जा रही है

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० योगेश भट्ट ०   नई दिल्ली में आयोजित विश्व पुस्तक मेला में पहली बार देश भर के आदिवासी प्रकाशक और लेखक अपनी किताबों के साथ शामिल होंगे। भारत और एशिया क्षेत्र के सबसे बड़े पुस्तक मेला के 50 सालों के इतिहास में पहली बार आदिवासी लोग अपना बुक स्टॉल लगा रहे हैं। इस स्टॉल पर भारत के विभिन्न आदिवासी प्रकाशकों की करीब 20 से अधिक आदिवासी मातृभाषाओं में हिंदी और अंग्रेजी सहित 200 से ज्यादा किताबें साहित्य प्रेमियों के लिए उपलब्ध रहेगी। इस अवसर पर मेला में 26 और 27 फरवरी को 15 नई किताबों का लोकार्पण होगा और आदिवासी साहित्य प्रकाशन पर राष्ट्रीय संगोष्ठी होगी। पिछले 19 सालों से आदिवासी साहित्य के प्रकाशन में संलग्न रांची की संस्था प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन ने टाटा स्टील फाउंडेशन के सहयोग से इसकी पहल की है। प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन की मुख्य कार्यकारी और देश की प्रख्यात आदिवासी विदूषी वंदना टेटे ने बताया कि विश्व पुस्तक मेला 2023 में आदिवासी प्रकाशकों की भागीदारी पहली बार होने जा रही है। इसके लिए हमने कई छोटे-बड़े प्रकाशकों को एकजुट किया है। नॉर्थ-ईस्ट से तीन बड़े आदिवासी प्रकाशक ‘पेनथ्रिल पब्लिशिंग हा

लेखिका शारदा मित्तल की काव्य कृतियां का CM खट्टर ने किया विमोचन

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  ० संवाददाता द्वारा ०  चंडीगढ़- मुख्यमंत्री हरियाणा मनोहर लाल खट्टर के कर कमलों से हरियाणा की लेखिका शारदा मित्तल की काव्य कृतियां 'अनुबंध अभिव्यक्ति के ' तथा 'बोनसाई नहीं... बरगद हूॅं मैं ' का लोकार्पण हुआ । मुख्यमंत्री आवास में आयोजित इस समारोह में लेखिका शारदा मित्तल के लेखन की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने उनके उज्जवल भविष्य की कामना की । मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा "हरियाणा की धरती में अनेक सुप्रसिद्ध कवियों ने जन्म लिया है जिनकी लेखनी से यह जगत आलोकित हुआ है। पंडित लक्ष्मीचंद के लेखन का संसार मुरीद है ।" इस अवसर पर उपस्थित अतिथि रहे : मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव अमित अग्रवाल (IAS), हिसार रेंज के पुलिस महानिरीक्षक राकेश आर्या (IPS)तथा देश के प्रख्यात हृदय रोग विशेषज्ञ तथा एस. एस.बी. हार्ट इंस्टीट्यूट एंड मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉक्टर श्याम सुंदर बंसल , प्रबंध निदेशिक एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सीमा बंसल, विकिरण कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ सुलभा आर्या । परिवारिक सदस्य विनोद मित्तल ,वकुल मित्तल, हिमानी मित्तल तथा सी

रिनिकी चक्रवर्ती मारवेंन के पहले काव्य संग्रह ब्रिटल का विमोचन

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० योगेश भट्ट ०  नई दिल्ली : रिनिकी चक्रवर्ती मारवेंन की पहले कविता संग्रह ब्रिटल को नई दिल्ली के मेघालयन ऐज- द स्टोर में परफॉर्मिंग आर्टिस्ट बाह लू माजाओं ने लॉन्च किय़ा। लू माजाओं ने ब्रिटल की कुछ कविताओं का पाठ किया। वहां एकत्र हुए संगीत के दीवानों की भीड़ के लिए कुछ गीतों की परफॉर्मेंस दी बाह लू माजाओं ने काव्य संग्रह “ब्रिटल” के विमोचन पर कहा, “मैं इसे रिनिकी की दर्द में डूबी कविताओं की रंगीन कशिश और पिछली सर्दियों के जख्मों में डूबे शब्दों का एक खास शाम कहूंगा।” मेघालयन ऐज द स्टोर के एक प्रवक्ता ने बताया, “हमने मेघालय की महिलाओं को समर्पित “हर आर्ट सीरीज” लॉन्च की है। हर आर्ट सीरीज में इन महिलाओं के अलग-अलग विविध क्षेत्रों, जैसे कला, शिल्प, साहित्य, परफॉर्मेंस और उद्यमिता के योगदान को अभिव्यक्त किया गया है। हमें रिनिकी के साथ उनकी कविताओं की मस्ती में डूबी शाम और अपने स्टोर की लॉन्चिंग की पहली सालगिरह मनाने के लिए लू माजाओं को अपने आयोजन का हिस्सा बनाकर बेहद खुशी हो रही है।“ ब्रिटल नाम के इस काव्य संग्रह में बैचेनी और उन भावनाओं, अनिश्चय और जीवन के प्रति आशंका की झलक दिखाई दिखाई द

दिल्ली सरकार बाइक टैक्सी की अनुमति दें, बेरोजगार राइडर्स की अपील

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० योगेश भट्ट ०  नयी दिल्ली -  लगभग 140 बेरोजगार बाइक टैक्सी राइडर्स ने दिल्ली सरकार द्वारा हाल ही में बाइक टैक्सी पर प्रतिबंध लगाने के विरोध में शांतिपूर्ण मोर्चा निकाला। मोर्चा दिल्ली स्थित एक एनजीओ 'एम्पावरिंग ह्यूमैनिटी' द्वारा आयोजित किया गया था। मोर्चा साकेत से शुरू होकर सिविल लाइंस पर समाप्त हुआ, जहां आरटीओ आयुक्त को ज्ञापन सौंपा गया। दिल्ली में बाइक टैक्सियों पर प्रतिबंध लगने से कई हजार बाइक टैक्सी सवार और नई दिल्ली के कई लाख नागरिक राज्य सरकार के फैसले से प्रभावित हो रहे हैं। इन बाइक टैक्सी सवारों ने निलंबन के कारण अपनी आजीविका खो दी है और सरकार से प्रतिबंध को रद्द करने का आग्रह किया है। बेरोजगार बाइक टैक्सी राइडर्स में से एक, आशीष महाजन के अनुसार, “हम बस इतना चाहते हैं कि सरकार हमें काम करने दे और अपना काम जारी रखे। अगर हमें काम नहीं मिला तो हम अपने परिवार का भरण-पोषण नहीं कर पाएंगे। ये सभी राइडर्स आज यहां इकट्ठे हुए हैं, क्योंकि हम चाहते हैं कि सरकार हमारी समस्याओं को सुने। क्या सरकार पिछले 7-8 साल से सो रही थी। हमारी आजीविका का एकमात्र स्रोत समाप्त हो जाएगा और हम अब

भारतीय क्लासिक्स, कला और संस्कृति का एक शक्तिशाली शास्त्रीय प्रयोग

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० योगेश भट्ट ०  नई दिल्ली।  डॉ. गणेश ने आज के सांस्कृतिक विरासत के घटते परिदृश्य के दौर में भारतीय विद्या के हजारों अनुरागियों को प्रशिक्षित भी किया है। भारतीय संस्कृति के प्रखर एवं जीवंत विश्वकोष डॉ. गणेश और उनकी उभरती हुई प्रतिभाशाली टीम अपने अष्टावधान तथा शतावधान के माध्यमों से अपनी प्रस्तुति देंगे। इस तरह का भारतीय सभ्यता और संस्कृति की विरासत से जुडी महत्वपूर्ण प्रस्तुतियाँ विश्व के सामने लाना समय की मांग है।  एआईसीटीई ऑडिटोरियम, वसंत कुंज में आयोजित होने वाले कार्यक्रम के विषय में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली के कुलपति प्रोफेसर श्रीनिवास वरखेड़ी ने बहुलब्धप्रतिष्ठत अष्टावधानी डॉ आर. गणेश के विषय में कहा कि उनकी प्रतिभा और व्यक्तित्व अद्भुत और अलौकिक है। प्रो. वरखेडी ने यह भी कहा कि डॉ गणेश और उनकी प्रतिभा सम्पन्न गण भारतीय कला, संस्कृति, क्लासिक्स, सौंदर्यशास्त्र, योगविद्या तथा आध्यात्मिकता के विषयों को विश्वस्तर पर प्रचार प्रसार में जुटे हैं। साथ ही साथ उन्होने यह भी कहा कि डॉ आर. गणेश भारतीय नृत्य, संगीत, संस्कृति और कलाओं की आध्यात्मिकता के वैश्वक ध्वज फहरा रहे हैं।

भारत प्राचीन काल से ही अपनी सांस्कृतिक एवं सामाजिक विशिष्टताओं के लिए विश्व में जाना जाता रहा है

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० योगेश भट्ट ०  बेंगलूरु,।  भारतीय भाषा समिति के सहायक कुलसचिव जे. पी. सिंह ने कहा कि भारत एक बहुभाषी एवं बहुसांस्कृतिक राष्ट्र है। विविधता में एकता के सूत्र में बंधा यह देश अनेक राज्यों, जातियों, भाषाओं और संस्कृतियों को स्वयं में समाहित किए हुए निरंतर अपनी विकास यात्रा पर गतिशील है। भारत प्राचीन काल से ही अपनी सांस्कृतिक एवं सामाजिक विशिष्टताओं के लिए विश्व में जाना जाता रहा है। भाषा संस्कृति का एक विशिष्ट व महत्वपूर्ण उपादान होती है। भारतीय भाषाओं का भी वैश्वीकरण हुआ है। "स्वराज सिर्फ अंग्रेजों का चला जाना और हिन्दुस्तानियों का सत्ता में आ जाना नहीं है। स्वराज का मतलब है कि अब हमारा सारा जीवन और चिंतन हमारी भाषाओं पर आधारित होगा। स्वभाषा, स्वभूषा, स्व-संस्कृति होगी। कोई चीज थोपी नहीं जाएगी। ज्ञान परंपरा अपने आधारों पर खड़ी होगी।"  यह विचार भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी ने भारतीय भाषा समिति (शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार) और माउंट कार्मेल कॉलेज (स्वायत्त), बेंगलूरु के संयुक्त तत्वावधान में 'भारतीय परिदृश्य में भारतीय भाषाएं और राष्ट्रीय एक