भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन होगा


नयी दिल्ली - परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष डॉ. के. सीवन के साथ इसरो के आगामी अंतरिक्ष मिशनों विशेषकर चन्द्रयान-2 के बारे में  नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया।


संवाददाता सम्मेलन में डॉ. जितेन्द्र सिंह ने वैज्ञानिक समुदाय की प्रतिबद्धता और कठोर परिश्रम की सराहना की और सामान्य जन के जीवन में सुधार में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के लाभों को उजागर किया। उन्होंने कहा कि चन्द्रयान-1 चन्द्रमा में पानी का पता लगाने में उपयोगी साबित हुआ। डॉ. सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्ग दर्शन में बुनियादी ढांचा, आपदा प्रबंधन और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग ने सामान्य जन का जीवन आसान बना दिया है और सरकार के कल्याणकारी कार्यक्रमों का प्रतिपादन बेहतर हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दुनिया के अग्रणी देश के रूप में उभरा है।


आगामी गगनयान मिशन के बारे में डॉ. सिंह ने कहा कि 2022 में आजादी की 75वीं वर्षगांठ तक भारत अपनी पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान भेजेगा। सरकार ने इस मिशन के लिए 10,000 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। जो गगनयान राष्ट्रीय सलाहकार परिषद द्वारा निर्देशित है और जिसमें जाने-माने वैज्ञानिक और सदस्य के रूप में कुछ अन्य व्यक्ति हैं।,


इसरो के आगामी मिशन की प्रस्तुति देते हुए डॉ. सीवन ने चन्द्रयान-2, गगनयान, आदित्य एल-1 और शुक्र ग्रह के लिए एक मिशन के बारे में विस्तृत जानकारी दी।


डॉ. सीवन ने कहा कि चन्द्रयान-2 का उद्देश्य है –



  1. चन्द्रमा के उद्भव और उसके क्रमिक विकास का पता लगाने के लिए चन्द्रमा के आकार में घटबढ़ और उसकी सतह के बारे में जानकारी हासिल करना।

  2. चन्द्रमा पर पानी के उद्भव का पता लगाने के लिए चन्द्रमा की सूक्ष्म बाहरी सतह और सतह के नीचे जल कणों के वितरण के बारे में केन्द्रित अध्ययन।


इस मिशन को श्रीहरिकोटा द्वीप पर भूसमकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान मार्क III (जीएसएलवी एमके III) सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 3877 किलोग्राम (8547 एलबी) के उत्तोलक पुंज के साथ उड़ान भरेगा। इसका प्रक्षेपण 15 जुलाई, 2019 को किया जाएगा।       


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